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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
268 | 2 | 261 | مثل الذين ينفقون أموالهم في سبيل الله كمثل حبة أنبتت سبع سنابل في كل سنبلة مائة حبة والله يضاعف لمن يشاء والله واسع عليم |
| | | जो लोग अपने माल अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करते है, उनकी उपमा ऐसी है, जैसे एक दाना हो, जिससे सात बालें निकलें और प्रत्येक बाल में सौ दाने हो। अल्लाह जिसे चाहता है बढ़ोतरी प्रदान करता है। अल्लाह बड़ी समाईवाला, जाननेवाला है |
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269 | 2 | 262 | الذين ينفقون أموالهم في سبيل الله ثم لا يتبعون ما أنفقوا منا ولا أذى لهم أجرهم عند ربهم ولا خوف عليهم ولا هم يحزنون |
| | | जो लोग अपने माल अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करते है, फिर ख़र्च करके उसका न एहसान जताते है और न दिल दुखाते है, उनका बदला उनके अपने रब के पास है। और न तो उनके लिए कोई भय होगा और न वे दुखी होंगे |
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270 | 2 | 263 | قول معروف ومغفرة خير من صدقة يتبعها أذى والله غني حليم |
| | | एक भली बात कहनी और क्षमा से काम लेना उस सदक़े से अच्छा है, जिसके पीछे दुख हो। और अल्लाह अत्यन्कृत निस्पृह (बेनियाज़), सहनशील है |
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271 | 2 | 264 | يا أيها الذين آمنوا لا تبطلوا صدقاتكم بالمن والأذى كالذي ينفق ماله رئاء الناس ولا يؤمن بالله واليوم الآخر فمثله كمثل صفوان عليه تراب فأصابه وابل فتركه صلدا لا يقدرون على شيء مما كسبوا والله لا يهدي القوم الكافرين |
| | | ऐ ईमानवालो! अपने सदक़ो को एहसान जताकर और दुख देकर उस व्यक्ति की तरह नष्ट न करो जो लोगों को दिखाने के लिए अपना माल ख़र्च करता है और अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान नहीं रखता। तो उसकी हालत उस चट्टान जैसी है जिसपर कुछ मिट्टी पड़ी हुई थी, फिर उस पर ज़ोर की वर्षा हुई और उसे साफ़ चट्टान की दशा में छोड़ गई। ऐसे लोग अपनी कमाई कुछ भी प्राप्त नहीं करते। और अल्लाह इनकार की नीति अपनानेवालों को मार्ग नहीं दिखाता |
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272 | 2 | 265 | ومثل الذين ينفقون أموالهم ابتغاء مرضات الله وتثبيتا من أنفسهم كمثل جنة بربوة أصابها وابل فآتت أكلها ضعفين فإن لم يصبها وابل فطل والله بما تعملون بصير |
| | | और जो लोग अपने माल अल्लाह की प्रसन्नता के संसाधनों की तलब में और अपने दिलों को जमाव प्रदान करने के कारण ख़र्च करते है उनकी हालत उस बाग़़ की तरह है जो किसी अच्छी और उर्वर भूमि पर हो। उस पर घोर वर्षा हुई तो उसमें दुगुने फल आए। फिर यदि घोर वर्षा उस पर नहीं हुई, तो फुहार ही पर्याप्त होगी। तुम जो कुछ भी करते हो अल्लाह उसे देख रहा है |
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273 | 2 | 266 | أيود أحدكم أن تكون له جنة من نخيل وأعناب تجري من تحتها الأنهار له فيها من كل الثمرات وأصابه الكبر وله ذرية ضعفاء فأصابها إعصار فيه نار فاحترقت كذلك يبين الله لكم الآيات لعلكم تتفكرون |
| | | क्या तुममें से कोई यह चाहेगा कि उसके पास ख़जूरों और अंगूरों का एक बाग़ हो, जिसके नीचे नहरें बह रही हो, वहाँ उसे हर प्रकार के फल प्राप्त हो और उसका बुढ़ापा आ गया हो और उसके बच्चे अभी कमज़ोर ही हों कि उस बाग़ पर एक आग भरा बगूला आ गया, और वह जलकर रह गया? इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे सामने आयतें खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि सोच-विचार करो |
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274 | 2 | 267 | يا أيها الذين آمنوا أنفقوا من طيبات ما كسبتم ومما أخرجنا لكم من الأرض ولا تيمموا الخبيث منه تنفقون ولستم بآخذيه إلا أن تغمضوا فيه واعلموا أن الله غني حميد |
| | | ऐ ईमान लानेवालो! अपनी कमाई को पाक और अच्छी चीज़ों में से ख़र्च करो और उन चीज़ों में से भी जो हमने धरती से तुम्हारे लिए निकाली है। और देने के लिए उसके ख़राब हिस्से (के देने) का इरादा न करो, जबकि तुम स्वयं उसे कभी न लोगे। यह और बात है कि उसको लेने में देखी-अनदेखी कर जाओ। और जान लो कि अल्लाह निस्पृह, प्रशंसनीय है |
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275 | 2 | 268 | الشيطان يعدكم الفقر ويأمركم بالفحشاء والله يعدكم مغفرة منه وفضلا والله واسع عليم |
| | | शैतान तुम्हें निर्धनता से डराता है और निर्लज्जता के कामों पर उभारता है, जबकि अल्लाह अपनी क्षमा और उदार कृपा का तुम्हें वचन देता है। अल्लाह बड़ी समाईवाला, सर्वज्ञ है |
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276 | 2 | 269 | يؤتي الحكمة من يشاء ومن يؤت الحكمة فقد أوتي خيرا كثيرا وما يذكر إلا أولو الألباب |
| | | वह जिसे चाहता है तत्वदर्शिता प्रदान करता है और जिसे तत्वदर्शिता प्राप्त हुई उसे बड़ी दौलत मिल गई। किन्तु चेतते वही है जो बुद्धि और समझवाले है |
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277 | 2 | 270 | وما أنفقتم من نفقة أو نذرتم من نذر فإن الله يعلمه وما للظالمين من أنصار |
| | | और तुमने जो कुछ भी ख़र्च किया और जो कुछ भी नज़र (मन्नत) की हो, निस्सन्देह अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है। और अत्याचारियों का कोई सहायक न होगा |
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