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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
912 | 6 | 123 | وكذلك جعلنا في كل قرية أكابر مجرميها ليمكروا فيها وما يمكرون إلا بأنفسهم وما يشعرون |
| | | (कि भला ही भला नज़र आता है) और जिस तरह मक्के में है उसी तरह हमने हर बस्ती में उनके कुसूरवारों को सरदार बनाया ताकि उनमें मक्कारी किया करें और वह लोग जो कुछ करते हैं अपने ही हक़ में (बुरा) करते हैं और समझते (तक) नहीं |
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913 | 6 | 124 | وإذا جاءتهم آية قالوا لن نؤمن حتى نؤتى مثل ما أوتي رسل الله الله أعلم حيث يجعل رسالته سيصيب الذين أجرموا صغار عند الله وعذاب شديد بما كانوا يمكرون |
| | | और जब उनके पास कोई निशानी (नबी की तसदीक़ के लिए) आई है तो कहते हैं जब तक हमको ख़ुद वैसी चीज़ (वही वग़ैरह) न दी जाएगी जो पैग़म्बराने ख़ुदा को दी गई है उस वक्त तक तो हम ईमान न लाएँगे और ख़ुदा जहाँ (जिस दिल में) अपनी पैग़म्बरी क़रार देता है उसकी (काबलियत व सलाहियत) को ख़ूब जानता है जो लोग (उस जुर्म के) मुजरिम हैं उनको अनक़रीब उनकी मक्कारी की सज़ा में ख़ुदा के यहाँ बड़ी ज़िल्लत और सख्त अज़ाब होगा |
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914 | 6 | 125 | فمن يرد الله أن يهديه يشرح صدره للإسلام ومن يرد أن يضله يجعل صدره ضيقا حرجا كأنما يصعد في السماء كذلك يجعل الله الرجس على الذين لا يؤمنون |
| | | तो ख़ुदा जिस शख़्श को राह रास्त दिखाना चाहता है उसके सीने को इस्लाम (की दौलियत) के वास्ते (साफ़ और) कुशादा (चौड़ा) कर देता है और जिसको गुमराही की हालत में छोड़ना चाहता है उनके सीने को तंग दुश्वार ग़ुबार कर देता है गोया (कुबूल ईमान) उसके लिए आसमान पर चढ़ना है जो लोग ईमान नहीं लाते ख़ुदा उन पर बुराई को उसी तरह मुसल्लत कर देता है |
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915 | 6 | 126 | وهذا صراط ربك مستقيما قد فصلنا الآيات لقوم يذكرون |
| | | और (ऐ रसूल) ये (इस्लाम) तुम्हारे परवरदिगार का (बनाया हुआ) सीधा रास्ता है इबरत हासिल करने वालों के वास्ते हमने अपने आयात तफसीलन बयान कर दिए हैं |
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916 | 6 | 127 | لهم دار السلام عند ربهم وهو وليهم بما كانوا يعملون |
| | | उनके वास्ते उनके परवरदिगार के यहाँ अमन व चैन का घर (बेहश्त) है और दुनिया में जो कारगुज़ारियाँ उन्होने की थीं उसके ऐवज़ ख़ुदा उन का सरपरस्त होगा |
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917 | 6 | 128 | ويوم يحشرهم جميعا يا معشر الجن قد استكثرتم من الإنس وقال أولياؤهم من الإنس ربنا استمتع بعضنا ببعض وبلغنا أجلنا الذي أجلت لنا قال النار مثواكم خالدين فيها إلا ما شاء الله إن ربك حكيم عليم |
| | | और (ऐ रसूल वह दिन याद दिलाओ) जिस दिन ख़ुदा सब लोगों को जमा करेगा और शयातीन से फरमाएगा, ऐ गिरोह जिन्नात तुमने तो बहुतेरे आदमियों को (बहका बहका कर) अपनी जमाअत बड़ी कर ली (और) आदमियों से जो लोग (उन शयातीन के दुनिया में) दोस्त थे कहेंगे ऐ हमारे पालने वाले (दुनिया में) हमने एक दूसरे से फायदा हासिल किया और अपने किए की सज़ा पाने को, जो वक्त तू ने हमारे लिए मुअय्युन किया था अब हम अपने उस वक्त (क़यामत) में पहुँच गए ख़ुदा उसके जवाब में, फरमाएगा तुम सब का ठिकाना जहन्नुम है और उसमें हमेशा रहोगे मगर जिसे ख़ुदा चाहे (नजात दे) बेशक तेरा परवरदिगार हिकमत वाला वाक़िफकार है |
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918 | 6 | 129 | وكذلك نولي بعض الظالمين بعضا بما كانوا يكسبون |
| | | और इसी तरह हम बाज़ ज़ालिमों को बाज़ का उनके करतूतों की बदौलत सरपरस्त बनाएँगे |
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919 | 6 | 130 | يا معشر الجن والإنس ألم يأتكم رسل منكم يقصون عليكم آياتي وينذرونكم لقاء يومكم هذا قالوا شهدنا على أنفسنا وغرتهم الحياة الدنيا وشهدوا على أنفسهم أنهم كانوا كافرين |
| | | (फिर हम पूछेंगे कि क्यों) ऐ गिरोह जिन व इन्स क्या तुम्हारे पास तुम ही में के पैग़म्बर नहीं आए जो तुम तुमसे हमारी आयतें बयान करें और तुम्हें तुम्हारे उस रोज़ (क़यामत) के पेश आने से डराएँ वह सब अर्ज करेंगे (बेशक आए थे) हम ख़ुद अपने ऊपर आप अपने (ख़िलाफ) गवाही देते हैं (वाकई) उनको दुनिया की (चन्द रोज़) ज़िन्दगी ने उन्हें अंधेरे में डाल रखा और उन लोगों ने अपने ख़िलाफ आप गवाही दीं |
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920 | 6 | 131 | ذلك أن لم يكن ربك مهلك القرى بظلم وأهلها غافلون |
| | | बेशक ये सब के सब काफिर थे और ये (पैग़म्बरों का भेजना सिर्फ) उस वजह से है कि तुम्हारा परवरदिगार कभी बस्तियों को ज़ुल्म ज़बरदस्ती से वहाँ के बाशिन्दों के ग़फलत की हालत में हलाक नहीं किया करता |
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921 | 6 | 132 | ولكل درجات مما عملوا وما ربك بغافل عما يعملون |
| | | और जिसने जैसा (भला या बुरा) किया है उसी के मुवाफ़िक हर एक के दरजात हैं |
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