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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4679 | 51 | 4 | فالمقسمات أمرا |
| | | फिर एक ज़रूरी चीज़ (बारिश) को तक़सीम करती हैं |
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4680 | 51 | 5 | إنما توعدون لصادق |
| | | कि तुम से जो वायदा किया जाता है ज़रूर बिल्कुल सच्चा है |
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4681 | 51 | 6 | وإن الدين لواقع |
| | | और (आमाल की) जज़ा (सज़ा) ज़रूर होगी |
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4682 | 51 | 7 | والسماء ذات الحبك |
| | | और आसमान की क़सम जिसमें रहते हैं |
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4683 | 51 | 8 | إنكم لفي قول مختلف |
| | | कि (ऐ अहले मक्का) तुम लोग एक ऐसी मुख्तलिफ़ बेजोड़ बात में पड़े हो |
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4684 | 51 | 9 | يؤفك عنه من أفك |
| | | कि उससे वही फेरा जाएगा (गुमराह होगा) |
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4685 | 51 | 10 | قتل الخراصون |
| | | जो (ख़ुदा के इल्म में) फेरा जा चुका है अटकल दौड़ाने वाले हलाक हों |
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4686 | 51 | 11 | الذين هم في غمرة ساهون |
| | | जो ग़फलत में भूले हुए (पड़े) हैं पूछते हैं कि जज़ा का दिन कब होगा |
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4687 | 51 | 12 | يسألون أيان يوم الدين |
| | | उस दिन (होगा) |
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4688 | 51 | 13 | يوم هم على النار يفتنون |
| | | जब इनको (जहन्नुम की) आग में अज़ाब दिया जाएगा |
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