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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1006 | 7 | 52 | ولقد جئناهم بكتاب فصلناه على علم هدى ورحمة لقوم يؤمنون |
| | | जिस तरह यह लोग (हमारी) आज की हुज़ूरी को भूलें बैठे थे और हमारी आयतों से इन्कार करते थे हालांकि हमने उनके पास (रसूल की मारफत किताब भी भेज दी है) |
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1007 | 7 | 53 | هل ينظرون إلا تأويله يوم يأتي تأويله يقول الذين نسوه من قبل قد جاءت رسل ربنا بالحق فهل لنا من شفعاء فيشفعوا لنا أو نرد فنعمل غير الذي كنا نعمل قد خسروا أنفسهم وضل عنهم ما كانوا يفترون |
| | | जिसे हर तरह समझ बूझ के तफसीलदार बयान कर दिया है (और वह) ईमानदार लोगों के लिए हिदायत और रहमत है क्या ये लोग बस सिर्फ अन्जाम (क़यामत ही) के मुन्तज़िर है (हालांकि) जिस दिन उसके अन्जाम का (वक्त) आ जाएगा तो जो लोग उसके पहले भूले बैठे थे (बेसाख्ता) बोल उठेगें कि बेशक हमारे परवरदिगार के सब रसूल हक़ लेकर आये थे तो क्या उस वक्त हमारी भी सिफरिश करने वाले हैं जो हमारी सिफारिश करें या हम फिर (दुनिया में) लौटाएं जाएं तो जो जो काम हम करते थे उसको छोड़कर दूसरें काम करें |
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1008 | 7 | 54 | إن ربكم الله الذي خلق السماوات والأرض في ستة أيام ثم استوى على العرش يغشي الليل النهار يطلبه حثيثا والشمس والقمر والنجوم مسخرات بأمره ألا له الخلق والأمر تبارك الله رب العالمين |
| | | बेशक उन लोगों ने अपना सख्त घाटा किया और जो इफ़तेरा परदाज़िया किया करते थे वह सब गायब (ग़ल्ला) हो गयीं बेशक तुम्हारा परवरदिगार ख़ुदा ही है जिसके (सिर्फ) 6 दिनों में आसमान और ज़मीन को पैदा किया फिर अर्श के बनाने पर आमादा हुआ वही रात को दिन का लिबास पहनाता है तो (गोया) रात दिन को पीछे पीछे तेज़ी से ढूंढती फिरती है और उसी ने आफ़ताब और माहताब और सितारों को पैदा किया कि ये सब के सब उसी के हुक्म के ताबेदार हैं |
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1009 | 7 | 55 | ادعوا ربكم تضرعا وخفية إنه لا يحب المعتدين |
| | | देखो हुकूमत और पैदा करना बस ख़ास उसी के लिए है वह ख़ुदा जो सारे जहाँन का परवरदिगार बरक़त वाला है |
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1010 | 7 | 56 | ولا تفسدوا في الأرض بعد إصلاحها وادعوه خوفا وطمعا إن رحمت الله قريب من المحسنين |
| | | (लोगों) अपने परवरदिगार से गिड़गिड़ाकर और चुपके - चुपके दुआ करो, वह हद से तजाविज़ करने वालों को हरगिज़ दोस्त नहीं रखता और ज़मीन में असलाह के बाद फसाद न करते फिरो और (अज़ाब) के ख़ौफ से और (रहमत) की आस लगा के ख़ुदा से दुआ मांगो |
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1011 | 7 | 57 | وهو الذي يرسل الرياح بشرا بين يدي رحمته حتى إذا أقلت سحابا ثقالا سقناه لبلد ميت فأنزلنا به الماء فأخرجنا به من كل الثمرات كذلك نخرج الموتى لعلكم تذكرون |
| | | (क्योंकि) नेकी करने वालों से ख़ुदा की रहमत यक़ीनन क़रीब है और वही तो (वह) ख़ुदा है जो अपनी रहमत (अब्र) से पहले खुशखबरी देने वाली हवाओ को भेजता है यहाँ तक कि जब हवाएं (पानी से भरे) बोझल बादलों के ले उड़े तो हम उनको किसी शहर की की तरफ (जो पानी का नायाबी (कमी) से गोया) मर चुका था हॅका दिया फिर हमने उससे पानी बरसाया, फिर हमने उससे हर तरह के फल ज़मीन से निकाले |
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1012 | 7 | 58 | والبلد الطيب يخرج نباته بإذن ربه والذي خبث لا يخرج إلا نكدا كذلك نصرف الآيات لقوم يشكرون |
| | | हम यूं ही (क़यामत के दिन ज़मीन से) मुर्दों को निकालेंगें ताकि तुम लोग नसीहत व इबरत हासिल करो और उम्दा ज़मीन उसके परवरदिगार के हुक्म से उस सब्ज़ा (अच्छा ही) है और जो ज़मीन बड़ी है उसकी पैदावार ख़राब ही होती है |
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1013 | 7 | 59 | لقد أرسلنا نوحا إلى قومه فقال يا قوم اعبدوا الله ما لكم من إله غيره إني أخاف عليكم عذاب يوم عظيم |
| | | हम यू अपनी आयतों को उलेटफेर कर शुक्रग़ुजार लोगों के वास्ते बयान करते हैं बेशक हमने नूह को उनकी क़ौम के पास (रसूल बनाकर) भेजा तो उन्होनें (लोगों से ) कहाकि ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा की ही इबादत करो उसके सिवा तुम्हारा कोई माबूद नहीं है और मैं तुम्हारी निस्बत (क़यामत जैसे) बड़े ख़ौफनाक दिन के अज़ाब से डरता हूँ |
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1014 | 7 | 60 | قال الملأ من قومه إنا لنراك في ضلال مبين |
| | | तो उनकी क़ौम के चन्द सरदारों ने कहा हम तो यक़ीनन देखते हैं कि तुम खुल्लम खुल्ला गुमराही में (पड़े) हो |
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1015 | 7 | 61 | قال يا قوم ليس بي ضلالة ولكني رسول من رب العالمين |
| | | तब नूह ने कहा कि ऐ मेरी क़ौम मुझ में गुमराही (वग़ैरह) तो कुछ नहीं बल्कि मैं तो परवरदिगारे आलम की तरफ से रसूल हूँ |
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