نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
852 | 6 | 63 | قل من ينجيكم من ظلمات البر والبحر تدعونه تضرعا وخفية لئن أنجانا من هذه لنكونن من الشاكرين |
| | | (ऐ रसूल) उनसे पूछो कि तुम ख़ुश्की और तरी के (घटाटोप) ऍधेरों से कौन छुटकारा देता है जिससे तुम गिड़ गिड़ाकर और (चुपके) दुआएं मॉगते हो कि अगर वह हमें (अब की दफ़ा) उस (बला) से छुटकारा दे तो हम ज़रुर उसके शुक्र गुज़ार (बन्दे होकर) रहेगें |
|
853 | 6 | 64 | قل الله ينجيكم منها ومن كل كرب ثم أنتم تشركون |
| | | तुम कहो उन (मुसीबतों) से और हर बला में ख़ुदा तुम्हें नजात देता है (मगर अफसोस) उस पर भी तुम शिर्क करते ही जाते हो |
|
854 | 6 | 65 | قل هو القادر على أن يبعث عليكم عذابا من فوقكم أو من تحت أرجلكم أو يلبسكم شيعا ويذيق بعضكم بأس بعض انظر كيف نصرف الآيات لعلهم يفقهون |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि वही उस पर अच्छी तरह क़ाबू रखता है कि अगर (चाहे तो) तुम पर अज़ाब तुम्हारे (सर के) ऊपर से नाज़िल करे या तुम्हारे पॉव के नीचे से (उठाकर खड़ा कर दे) या एक गिरोह को दूसरे से भिड़ा दे और तुम में से कुछ लोगों को बाज़ आदमियों की लड़ाई का मज़ा चखा दे ज़रा ग़ौर तो करो हम किस किस तरह अपनी आयतों को उलट पुलट के बयान करते हैं ताकि लोग समझे |
|
855 | 6 | 66 | وكذب به قومك وهو الحق قل لست عليكم بوكيل |
| | | और उसी (क़ुरान) को तुम्हारी क़ौम ने झुठला दिया हालॉकि वह बरहक़ है (ऐ रसूल) तुम उनसे कहो कि मैं तुम पर कुछ निगेहबान तो हूं नहीं हर ख़बर (के पूरा होने) का एक ख़ास वक्त मुक़र्रर है और अनक़रीब (जल्दी) ही तुम जान लोगे |
|
856 | 6 | 67 | لكل نبإ مستقر وسوف تعلمون |
| | | और जब तुम उन लोगों को देखो जो हमारी आयतों में बेहूदा बहस कर रहे हैं तो उन (के पास) से टल जाओ यहाँ तक कि वह लोग उसके सिवा किसी और बात में बहस करने लगें और अगर (हमारा ये हुक्म) तुम्हें शैतान भुला दे तो याद आने के बाद ज़ालिम लोगों के साथ हरगिज़ न बैठना |
|
857 | 6 | 68 | وإذا رأيت الذين يخوضون في آياتنا فأعرض عنهم حتى يخوضوا في حديث غيره وإما ينسينك الشيطان فلا تقعد بعد الذكرى مع القوم الظالمين |
| | | और ऐसे लोगों (के हिसाब किताब) का जवाब देही कुछ परहेज़गारो पर तो है नहीं मगर (सिर्फ नसीहतन) याद दिलाना (चाहिए) ताकि ये लोग भी परहेज़गार बनें |
|
858 | 6 | 69 | وما على الذين يتقون من حسابهم من شيء ولكن ذكرى لعلهم يتقون |
| | | और जिन लोगों ने अपने दीन को खेल और तमाशा बना रखा है और दुनिया की ज़िन्दगी ने उन को धोके में डाल रखा है ऐसे लोगों को छोड़ो और क़ुरान के ज़रिए से उनको नसीहत करते रहो (ऐसा न हो कि कोई) शख़्श अपने करतूत की बदौलत मुब्तिलाए बला हो जाए (क्योंकि उस वक्त) तो ख़ुदा के सिवा उसका न कोई सरपरस्त होगा न सिफारिशी और अगर वह अपने गुनाह के ऐवज़ सारे (जहाँन का) बदला भी दे तो भी उनमें से एक न लिया जाएगा जो लोग अपनी करनी की बदौलत मुब्तिलाए बला हुए है उनको पीने के लिए खौलता हुआ गर्म पानी (मिलेगा) और (उन पर) दर्दनाक अज़ाब होगा क्योंकर वह कुफ़्र किया करते थे |
|
859 | 6 | 70 | وذر الذين اتخذوا دينهم لعبا ولهوا وغرتهم الحياة الدنيا وذكر به أن تبسل نفس بما كسبت ليس لها من دون الله ولي ولا شفيع وإن تعدل كل عدل لا يؤخذ منها أولئك الذين أبسلوا بما كسبوا لهم شراب من حميم وعذاب أليم بما كانوا يكفرون |
| | | (ऐ रसूल) उनसे पूछो तो कि क्या हम लोग ख़ुदा को छोड़कर उन (माबूदों) से मुनाज़ात (दुआ) करे जो न तो हमें नफ़ा पहुंचा सकते हैं न हमारा कुछ बिगाड़ ही सकते हैं- और जब ख़ुदा हमारी हिदायत कर चुका) उसके बाद उल्टे पावँ कुफ्र की तरफ उस शख़्श की तरह फिर जाएं जिसे शैतानों ने जंगल में भटका दिया हो और वह हैरान (परेशान) हो (कि कहा जाए क्या करें) और उसके कुछ रफीक़ हो कि उसे राहे रास्त (सीधे रास्ते) की तरफ पुकारते रह जाएं कि (उधर) हमारे पास आओ और वह एक न सुने (ऐ रसूल) तुम कह दो कि हिदायत तो बस ख़ुदा की हिदायत है और हमें तो हुक्म ही दिया गया है कि हम सारे जहॉन के परवरदिगार ख़ुदा के फरमाबरदार हैं |
|
860 | 6 | 71 | قل أندعو من دون الله ما لا ينفعنا ولا يضرنا ونرد على أعقابنا بعد إذ هدانا الله كالذي استهوته الشياطين في الأرض حيران له أصحاب يدعونه إلى الهدى ائتنا قل إن هدى الله هو الهدى وأمرنا لنسلم لرب العالمين |
| | | और ये (भी हुक्म हुआ है) कि पाबन्दी से नमाज़ पढ़ा करो और उसी से डरते रहो और वही तो वह (ख़ुदा) है जिसके हुज़ूर में तुम सब के सब हाज़िर किए जाओगे |
|
861 | 6 | 72 | وأن أقيموا الصلاة واتقوه وهو الذي إليه تحشرون |
| | | वह तो वह (ख़ुदा है) जिसने ठीक ठीक बहुतेरे आसमान व ज़मीन पैदा किए और जिस दिन (किसी चीज़ को) कहता है कि हो जा तो (फौरन) हो जाती है |
|