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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5569 | 75 | 18 | فإذا قرأناه فاتبع قرآنه |
| | | तो जब हम उसको (जिबरील की ज़बानी) पढ़ें तो तुम भी (पूरा) सुनने के बाद इसी तरह पढ़ा करो |
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5570 | 75 | 19 | ثم إن علينا بيانه |
| | | फिर उस (के मुश्किलात का समझा देना भी हमारे ज़िम्में है) |
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5571 | 75 | 20 | كلا بل تحبون العاجلة |
| | | मगर (लोगों) हक़ तो ये है कि तुम लोग दुनिया को दोस्त रखते हो |
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5572 | 75 | 21 | وتذرون الآخرة |
| | | और आख़ेरत को छोड़े बैठे हो |
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5573 | 75 | 22 | وجوه يومئذ ناضرة |
| | | उस रोज़ बहुत से चेहरे तो तरो ताज़ा बशबाब होंगे |
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5574 | 75 | 23 | إلى ربها ناظرة |
| | | (और) अपने परवरदिगार (की नेअमत) को देख रहे होंगे |
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5575 | 75 | 24 | ووجوه يومئذ باسرة |
| | | और बहुतेरे मुँह उस दिन उदास होंगे |
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5576 | 75 | 25 | تظن أن يفعل بها فاقرة |
| | | समझ रहें हैं कि उन पर मुसीबत पड़ने वाली है कि कमर तोड़ देगी |
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5577 | 75 | 26 | كلا إذا بلغت التراقي |
| | | सुन लो जब जान (बदन से खिंच के) हँसली तक आ पहुँचेगी |
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5578 | 75 | 27 | وقيل من راق |
| | | और कहा जाएगा कि (इस वक्त) क़ोई झाड़ फूँक करने वाला है |
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