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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3553 | 33 | 20 | يحسبون الأحزاب لم يذهبوا وإن يأت الأحزاب يودوا لو أنهم بادون في الأعراب يسألون عن أنبائكم ولو كانوا فيكم ما قاتلوا إلا قليلا |
| | | (मदीने का मुहासेरा करने वाले चल भी दिए मगर) ये लोग अभी यही समझ रहे हैं कि (काफ़िरों के) लश्कर अभी नहीं गए और अगर कहीं (कुफ्फार का) लश्कर फिर आ पहुँचे तो ये लोग चाहेंगे कि काश वह जंगलों में गँवारों में जा बसते और (वहीं से बैठे बैठे) तुम्हारे हालात दरयाफ्त करते रहते और अगर उनको तुम लोगों में रहना पड़ता तो फ़क़त (पीछा छुड़ाने को) ज़रा ज़हूर (कहीं) लड़ते |
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3554 | 33 | 21 | لقد كان لكم في رسول الله أسوة حسنة لمن كان يرجو الله واليوم الآخر وذكر الله كثيرا |
| | | (मुसलमानों) तुम्हारे वास्ते तो खुद रसूल अल्लाह का (ख़न्दक़ में बैठना) एक अच्छा नमूना था (मगर हाँ यह) उस शख्स के वास्ते है जो खुदा और रोजे आखेरत की उम्मीद रखता हो और खुदा की याद बाकसरत करता हो |
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3555 | 33 | 22 | ولما رأى المؤمنون الأحزاب قالوا هذا ما وعدنا الله ورسوله وصدق الله ورسوله وما زادهم إلا إيمانا وتسليما |
| | | और जब सच्चे ईमानदारों ने (कुफ्फार के) जमघटों को देखा तो (बेतकल्लुफ़) कहने लगे कि ये वही चीज़ तो है जिसका हम से खुदा ने और उसके रसूल ने वायदा किया था (इसकी परवाह क्या है) और खुदा ने और उसके रसूल ने बिल्कुल ठीक कहा था और (इसके देखने से) उनका ईमानदार और उनकी इताअत और भी ज़िन्दा हो गयी |
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3556 | 33 | 23 | من المؤمنين رجال صدقوا ما عاهدوا الله عليه فمنهم من قضى نحبه ومنهم من ينتظر وما بدلوا تبديلا |
| | | ईमानदारों में से कुछ लोग ऐसे भी हैं कि खुदा से उन्होंने (जॉनिसारी का) जो एहद किया था उसे पूरा कर दिखाया ग़रज़ उनमें से बाज़ वह हैं जो (मर कर) अपना वक्त पूरा कर गए और उनमें से बाज़ (हुक्मे खुदा के) मुन्तज़िर बैठे हैं और उन लोगों ने (अपनी बात) ज़रा भी नहीं बदली |
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3557 | 33 | 24 | ليجزي الله الصادقين بصدقهم ويعذب المنافقين إن شاء أو يتوب عليهم إن الله كان غفورا رحيما |
| | | ये इम्तेहान इसलिए था ताकि खुद सच्चे (ईमानदारों) को उनकी सच्चाई की जज़ाए ख़ैर दे और अगर चाहे तो मुनाफेक़ीन की सज़ा करे या (अगर वह लागे तौबा करें तो) खुदा उनकी तौबा कुबूल फरमाए इसमें शक नहीं कि खुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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3558 | 33 | 25 | ورد الله الذين كفروا بغيظهم لم ينالوا خيرا وكفى الله المؤمنين القتال وكان الله قويا عزيزا |
| | | और खुदा ने (अपनी कुदरत से) क़ाफिरों को मदीने से फेर दिया (और वह लोग) अपनी झुंझलाहट में (फिर गए) और इन्हें कुछ फायदे भी न हुआ और खुदा ने (अपनी मेहरबानी से) मोमिनीन को लड़ने की नौबत न आने दी और खुदा तो (बड़ा) ज़बरदस्त (और) ग़ालिब हैं |
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3559 | 33 | 26 | وأنزل الذين ظاهروهم من أهل الكتاب من صياصيهم وقذف في قلوبهم الرعب فريقا تقتلون وتأسرون فريقا |
| | | और अहले किताब में से जिन लोगों (बनी कुरैज़ा) ने उन (कुफ्फार) की मदद की थी खुदा उनको उनके क़िलों से (बेदख़ल करके) नीचे उतार लाया और उनके दिलों में (तुम्हारा) ऐसा रोब बैठा दिया कि तुम उनके कुछ लोगों को क़त्ल करने लगे |
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3560 | 33 | 27 | وأورثكم أرضهم وديارهم وأموالهم وأرضا لم تطئوها وكان الله على كل شيء قديرا |
| | | और कुछ को क़ैदी (और गुलाम) बनाने और तुम ही लोगों को उनकी ज़मीन और उनके घर और उनके माल और उस ज़मीन (खैबर) का खुदा ने मालिक बना दिया जिसमें तुमने क़दम तक नहीं रखा था और खुदा तो हर चीज़ पर क़ादिर वतवाना है |
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3561 | 33 | 28 | يا أيها النبي قل لأزواجك إن كنتن تردن الحياة الدنيا وزينتها فتعالين أمتعكن وأسرحكن سراحا جميلا |
| | | ऐ रसूल अपनी बीवियों से कह दो कि अगर तुम (फक़त) दुनियावी ज़िन्दगी और उसकी आराइश व ज़ीनत की ख्वाहॉ हो तो उधर आओ मैं तुम लोगों को कुछ साज़ो सामान दे दूँ और उनवाने शाइस्ता से रूख़सत कर दूँ |
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3562 | 33 | 29 | وإن كنتن تردن الله ورسوله والدار الآخرة فإن الله أعد للمحسنات منكن أجرا عظيما |
| | | और अगर तुम लोग खुदा और उसके रसूल और आखेरत के घर की ख्वाहॉ हो तो (अच्छी तरह ख्याल रखो कि) तुम लोगों में से नेकोकार औरतों के लिए खुदा ने यक़ीनन् बड़ा (बड़ा) अज्र व (सवाब) मुहय्या कर रखा है |
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