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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1237 | 9 | 2 | فسيحوا في الأرض أربعة أشهر واعلموا أنكم غير معجزي الله وأن الله مخزي الكافرين |
| | | तो (ऐ मुशरिकों) बस तुम चार महीने (ज़ीकादा, जिल हिज्जा, मुहर्रम रजब) तो (चैन से बेख़तर) रूए ज़मीन में सैरो सियाहत (घूम फिर) कर लो और ये समझते रहे कि तुम (किसी तरह) ख़ुदा को आजिज़ नहीं कर सकते और ये भी कि ख़ुदा काफ़िरों को ज़रूर रूसवा करके रहेगा |
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1238 | 9 | 3 | وأذان من الله ورسوله إلى الناس يوم الحج الأكبر أن الله بريء من المشركين ورسوله فإن تبتم فهو خير لكم وإن توليتم فاعلموا أنكم غير معجزي الله وبشر الذين كفروا بعذاب أليم |
| | | और ख़ुदा और उसके रसूल की तरफ से हज अकबर के दिन (तुम) लोगों को मुनादी की जाती है कि ख़ुदा और उसका रसूल मुशरिकों से बेज़ार (और अलग) है तो (मुशरिकों) अगर तुम लोगों ने (अब भी) तौबा की तो तुम्हारे हक़ में यही बेहतर है और अगर तुम लोगों ने (इससे भी) मुंह मोड़ा तो समझ लो कि तुम लोग ख़ुदा को हरगिज़ आजिज़ नहीं कर सकते और जिन लोगों ने कुफ्र इख्तेयार किया उनको दर्दनाक अज़ाब की ख़ुश ख़बरी दे दो |
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1239 | 9 | 4 | إلا الذين عاهدتم من المشركين ثم لم ينقصوكم شيئا ولم يظاهروا عليكم أحدا فأتموا إليهم عهدهم إلى مدتهم إن الله يحب المتقين |
| | | मगर (हाँ) जिन मुशरिकों से तुमने एहदो पैमान किया था फिर उन लोगों ने भी कभी कुछ तुमसे (वफ़ा एहद में) कमी नहीं की और न तुम्हारे मुक़ाबले में किसी की मदद की हो तो उनके एहद व पैमान को जितनी मुद्द्त के वास्ते मुक़र्रर किया है पूरा कर दो ख़ुदा परहेज़गारों को यक़ीनन दोस्त रखता है |
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1240 | 9 | 5 | فإذا انسلخ الأشهر الحرم فاقتلوا المشركين حيث وجدتموهم وخذوهم واحصروهم واقعدوا لهم كل مرصد فإن تابوا وأقاموا الصلاة وآتوا الزكاة فخلوا سبيلهم إن الله غفور رحيم |
| | | फिर जब हुरमत के चार महीने गुज़र जाएँ तो मुशरिकों को जहाँ पाओ (बे ताम्मुल) कत्ल करो और उनको गिरफ्तार कर लो और उनको कैद करो और हर घात की जगह में उनकी ताक में बैठो फिर अगर वह लोग (अब भी शिर्क से) बाज़ आऎं और नमाज़ पढ़ने लगें और ज़कात दे तो उनकी राह छोड़ दो (उनसे ताअरूज़ न करो) बेशक ख़ुदा बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है |
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1241 | 9 | 6 | وإن أحد من المشركين استجارك فأجره حتى يسمع كلام الله ثم أبلغه مأمنه ذلك بأنهم قوم لا يعلمون |
| | | और (ऐ रसूल) अगर मुशरिकीन में से कोई तुमसे पनाह मागें तो उसको पनाह दो यहाँ तक कि वह ख़ुदा का कलाम सुन ले फिर उसे उसकी अमन की जगह वापस पहुँचा दो ये इस वजह से कि ये लोग नादान हैं |
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1242 | 9 | 7 | كيف يكون للمشركين عهد عند الله وعند رسوله إلا الذين عاهدتم عند المسجد الحرام فما استقاموا لكم فاستقيموا لهم إن الله يحب المتقين |
| | | (जब) मुशरिकीन ने ख़ुद एहद शिकनी (तोड़ा) की तो उन का कोई एहदो पैमान ख़ुदा के नज़दीक और उसके रसूल के नज़दीक क्योंकर (क़ायम) रह सकता है मगर जिन लोगों से तुमने खानाए काबा के पास मुआहेदा किया था तो वह लोग (अपनी एहदो पैमान) तुमसे क़ायम रखना चाहें तो तुम भी उन से (अपना एहद) क़ायम रखो बेशक ख़ुदा (बद एहदी से) परहेज़ करने वालों को दोस्त रखता है |
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1243 | 9 | 8 | كيف وإن يظهروا عليكم لا يرقبوا فيكم إلا ولا ذمة يرضونكم بأفواههم وتأبى قلوبهم وأكثرهم فاسقون |
| | | (उनका एहद) क्योंकर (रह सकता है) जब (उनकी ये हालत है) कि अगर तुम पर ग़लबा पा जाएं तो तुम्हारे में न तो रिश्ते नाते ही का लिहाज़ करेगें और न अपने क़ौल व क़रार का ये लोग तुम्हें अपनी ज़बानी (जमा खर्च में) खुश कर देते हैं हालॉकि उनके दिल नहीं मानते और उनमें के बहुतेरे तो बदचलन हैं |
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1244 | 9 | 9 | اشتروا بآيات الله ثمنا قليلا فصدوا عن سبيله إنهم ساء ما كانوا يعملون |
| | | और उन लोगों ने ख़ुदा की आयतों के बदले थोड़ी सी क़ीमत (दुनियावी फायदे) हासिल करके (लोगों को) उसकी राह से रोक दिया बेशक ये लोग जो कुछ करते हैं ये बहुत ही बुरा है |
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1245 | 9 | 10 | لا يرقبون في مؤمن إلا ولا ذمة وأولئك هم المعتدون |
| | | ये लोग किसी मोमिन के बारे में न तो रिश्ता नाता ही कर लिहाज़ करते हैं और न क़ौल का क़रार का और (वाक़ई) यही लोग ज्यादती करते हैं |
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1246 | 9 | 11 | فإن تابوا وأقاموا الصلاة وآتوا الزكاة فإخوانكم في الدين ونفصل الآيات لقوم يعلمون |
| | | तो अगर (अभी मुशरिक से) तौबा करें और नमाज़ पढ़ने लगें और ज़कात दें तो तुम्हारे दीनी भाई हैं और हम अपनी आयतों को वाक़िफकार लोगों के वास्ते तफ़सीलन बयान करते हैं |
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