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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1195 | 8 | 35 | وما كان صلاتهم عند البيت إلا مكاء وتصدية فذوقوا العذاب بما كنتم تكفرون |
| | | और ख़ानाए काबे के पास सीटियॉ तालिया बजाने के सिवा उनकी नमाज ही क्या थी तो (ऐ काफिरों) जब तुम कुफ्र किया करते थे उसकी सज़ा में (पड़े) अज़ाब के मज़े चखो |
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1196 | 8 | 36 | إن الذين كفروا ينفقون أموالهم ليصدوا عن سبيل الله فسينفقونها ثم تكون عليهم حسرة ثم يغلبون والذين كفروا إلى جهنم يحشرون |
| | | इसमें शक़ नहीं कि ये कुफ्फार अपने माल महज़ इस वास्ते खर्च करेगें फिर उसके बाद उनकी हसरत का बाइस होगा फिर आख़िर ये लोग हार जाएँगें और जिन लोगों ने कुफ्र एख्तियार किया (क़यामत में) सब के सब जहन्नुम की तरफ हाके जाएँगें |
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1197 | 8 | 37 | ليميز الله الخبيث من الطيب ويجعل الخبيث بعضه على بعض فيركمه جميعا فيجعله في جهنم أولئك هم الخاسرون |
| | | ताकि ख़ुदा पाक को नापाक से जुदा कर दे और नापाक लोगों को एक दूसरे पर रखके ढेर बनाए फिर सब को जहन्नुम में झोंक दे यही लोग घाटा उठाने वाले हैं |
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1198 | 8 | 38 | قل للذين كفروا إن ينتهوا يغفر لهم ما قد سلف وإن يعودوا فقد مضت سنت الأولين |
| | | (ऐ रसूल) तुम काफिरों से कह दो कि अगर वह लोग (अब भी अपनी शरारत से) बाज़ रहें तो उनके पिछले कुसूर माफ कर दिए जाएं और अगर फिर कहीं पलटें तो यक़ीनन अगलों के तरीक़े गुज़र चुके जो, उनकी सज़ा हुई वही इनकी भी होगी |
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1199 | 8 | 39 | وقاتلوهم حتى لا تكون فتنة ويكون الدين كله لله فإن انتهوا فإن الله بما يعملون بصير |
| | | मुसलमानों काफ़िरों से लड़े जाओ यहाँ तक कि कोई फसाद (बाक़ी) न रहे और (बिल्कुल सारी ख़ुदाई में) ख़ुदा की दीन ही दीन हो जाए फिर अगर ये लोग (फ़साद से) न बाज़ आएं तो ख़ुदा उनकी कारवाइयों को ख़ूब देखता है |
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1200 | 8 | 40 | وإن تولوا فاعلموا أن الله مولاكم نعم المولى ونعم النصير |
| | | और अगर सरताबी करें तो (मुसलमानों) समझ लो कि ख़ुदा यक़ीनी तुम्हारा मालिक है और वह क्या अच्छा मालिक है और क्या अच्छा मददगार है |
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1201 | 8 | 41 | واعلموا أنما غنمتم من شيء فأن لله خمسه وللرسول ولذي القربى واليتامى والمساكين وابن السبيل إن كنتم آمنتم بالله وما أنزلنا على عبدنا يوم الفرقان يوم التقى الجمعان والله على كل شيء قدير |
| | | और जान लो कि जो कुछ तुम (माल लड़कर) लूटो तो उनमें का पॉचवॉ हिस्सा मख़सूस ख़ुदा और रसूल और (रसूल के) क़राबतदारों और यतीमों और मिस्कीनों और परदेसियों का है अगर तुम ख़ुदा पर और उस (ग़ैबी इमदाद) पर ईमान ला चुके हो जो हमने ख़ास बन्दे (मोहम्मद) पर फ़ैसले के दिन (जंग बदर में) नाज़िल की थी जिस दिन (मुसलमानों और काफिरों की) दो जमाअतें बाहम गुथ गयी थी और ख़ुदा तो हर चीज़ पर क़ादिर है |
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1202 | 8 | 42 | إذ أنتم بالعدوة الدنيا وهم بالعدوة القصوى والركب أسفل منكم ولو تواعدتم لاختلفتم في الميعاد ولكن ليقضي الله أمرا كان مفعولا ليهلك من هلك عن بينة ويحيى من حي عن بينة وإن الله لسميع عليم |
| | | (ये वह वक्त था) जब तुम (मैदाने जंग में मदीने के) क़रीब नाके पर थे और वह कुफ्फ़ार बईद (दूर के) के नाके पर और (काफ़िले के) सवार तुम से नशेब में थे और अगर तुम एक दूसरे से (वक्त क़ी तक़रीर का) वायदा कर लेते हो तो और वक्त पर गड़बड़ कर देते मगर (ख़ुदा ने अचानक तुम लोगों को इकट्ठा कर दिया ताकि जो बात यदनी (होनी) थी वह पूरी कर दिखाए ताकि जो शख़्स हलाक (गुमराह) हो वह (हक़ की) हुज्जत तमाम होने के बाद हलाक हो और जो ज़िन्दा रहे वह हिदायत की हुज्जत तमाम होने के बाद ज़िन्दा रहे और ख़ुदा यक़ीनी सुनने वाला ख़बरदार है |
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1203 | 8 | 43 | إذ يريكهم الله في منامك قليلا ولو أراكهم كثيرا لفشلتم ولتنازعتم في الأمر ولكن الله سلم إنه عليم بذات الصدور |
| | | (ये वह वक्त था) जब ख़ुदा ने तुम्हें ख्वाब में कुफ्फ़ार को कम करके दिखलाया था और अगर उनको तुम्हें ज्यादा करते दिखलाता तुम यक़ीनन हिम्मत हार देते और लड़ाई के बारे में झगड़ने लगते मगर ख़ुदा ने इसे (बदनामी) से बचाया इसमें तो शक़ ही नहीं कि वह दिली ख्यालात से वाक़िफ़ है |
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1204 | 8 | 44 | وإذ يريكموهم إذ التقيتم في أعينكم قليلا ويقللكم في أعينهم ليقضي الله أمرا كان مفعولا وإلى الله ترجع الأمور |
| | | (ये वह वक्त था) जब तुम लोगों ने मुठभेड़ की तो ख़ुदा ने तुम्हारी ऑखों में कुफ्फ़ार को बहुत कम करके दिखलाया और उनकी ऑखों में तुमको थोड़ा कर दिया ताकि ख़ुदा को जो कुछ करना मंज़ूर था वह पूरा हो जाए और कुल बातों का दारोमदार तो ख़ुदा ही पर है |
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