بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
91284وإذ أخذنا ميثاقكم لا تسفكون دماءكم ولا تخرجون أنفسكم من دياركم ثم أقررتم وأنتم تشهدون
और याद करो जब तुमसे वचन लिया, "अपने ख़ून न बहाओगे और न अपने लोगों को अपनी बस्तियों से निकालोगे।" फिर तुमने इक़रार किया और तुम स्वयं इसके गवाह हो
92285ثم أنتم هؤلاء تقتلون أنفسكم وتخرجون فريقا منكم من ديارهم تظاهرون عليهم بالإثم والعدوان وإن يأتوكم أسارى تفادوهم وهو محرم عليكم إخراجهم أفتؤمنون ببعض الكتاب وتكفرون ببعض فما جزاء من يفعل ذلك منكم إلا خزي في الحياة الدنيا ويوم القيامة يردون إلى أشد العذاب وما الله بغافل عما تعملون
फिर तुम वही हो कि अपने लोगों की हत्या करते हो और अपने ही एक गिरोह के लोगों को उनकी बस्तियों से निकालते हो; तुम गुनाह और ज़्यादती के साथ उनके विरुद्ध एक-दूसरे के पृष्ठपोषक बन जाते हो; और यदि वे बन्दी बनकर तुम्हारे पास आते है, तो उनकी रिहाई के लिए फिद्ए (अर्थदंड) का लेन-देन करते हो जबकि उनको उनके घरों से निकालना ही तुम पर हराम था, तो क्या तुम किताब के एक हिस्से को मानते हो और एक को नहीं मानते? फिर तुममें जो ऐसा करें उसका बदला इसके सिवा और क्या हो सकता है कि सांसारिक जीवन में अपमान हो? और क़यामत के दिन ऐसे लोगों को कठोर से कठोर यातना की ओर फेर दिया जाएगा। अल्लाह उससे बेखबर नहीं है जो कुछ तुम कर रहे हो
93286أولئك الذين اشتروا الحياة الدنيا بالآخرة فلا يخفف عنهم العذاب ولا هم ينصرون
यही वे लोग है जो आख़िरात के बदले सांसारिक जीवन के ख़रीदार हुए, तो न उनकी यातना हल्की की जाएगी और न उन्हें कोई सहायता पहुँच सकेगी
94287ولقد آتينا موسى الكتاب وقفينا من بعده بالرسل وآتينا عيسى ابن مريم البينات وأيدناه بروح القدس أفكلما جاءكم رسول بما لا تهوى أنفسكم استكبرتم ففريقا كذبتم وفريقا تقتلون
और हमने मूसा को किताब दी थी, और उसके पश्चात आगे-पीछे निरन्तर रसूल भेजते रहे; और मरयम के बेटे ईसा को खुली-खुली निशानियाँ प्रदान की और पवित्र-आत्मा के द्वारा उसे शक्ति प्रदान की; तो यही तो हुआ कि जब भी कोई रसूल तुम्हारे पास वह कुछ लेकर आया जो तुम्हारे जी को पसन्द न था, तो तुम अकड़ बैठे, तो एक गिरोह को तो तुमने झुठलाया और एक गिरोह को क़त्ल करते हो?
95288وقالوا قلوبنا غلف بل لعنهم الله بكفرهم فقليلا ما يؤمنون
वे कहते हैं, "हमारे दिलों पर तो प्राकृतिक आवरण चढ़े है" नहीं, बल्कि उनके इनकार के कारण अल्लाह ने उनपर लानत की है; अतः वे ईमान थोड़े ही लाएँगे
96289ولما جاءهم كتاب من عند الله مصدق لما معهم وكانوا من قبل يستفتحون على الذين كفروا فلما جاءهم ما عرفوا كفروا به فلعنة الله على الكافرين
और जब उनके पास एक किताब अल्लाह की ओर से आई है जो उसकी पुष्टि करती है जो उनके पास मौजूद है - और इससे पहले तो वे न माननेवाले लोगों पर विजय पाने के इच्छुक रहे है - फिर जब वह चीज़ उनके पास आ गई जिसे वे पहचान भी गए हैं, तो उसका इनकार कर बैठे; तो अल्लाह की फिटकार इनकार करने वालों पर!
97290بئسما اشتروا به أنفسهم أن يكفروا بما أنزل الله بغيا أن ينزل الله من فضله على من يشاء من عباده فباءوا بغضب على غضب وللكافرين عذاب مهين
क्या ही बुरी चीज़ है जिसके बदले उन्होंने अपनी जानों का सौदा किया, अर्थात जो कुछ अल्लाह ने उतारा है उसे सरकशी और इस अप्रियता के कारण नहीं मानते कि अल्लाह अपना फ़ज़्ल (कृपा) अपने बन्दों में से जिसपर चाहता है क्यों उतारता है, अतः वे प्रकोप पर प्रकोप के अधिकारी हो गए है। और ऐसे इनकार करनेवालों के लिए अपमानजनक यातना है
98291وإذا قيل لهم آمنوا بما أنزل الله قالوا نؤمن بما أنزل علينا ويكفرون بما وراءه وهو الحق مصدقا لما معهم قل فلم تقتلون أنبياء الله من قبل إن كنتم مؤمنين
जब उनसे कहा जाता है, "अल्लाह ने जो कुछ उतारा है उस पर ईमान लाओ", तो कहते है, "हम तो उसपर ईमान रखते है जो हम पर उतरा है," और उसे मानने से इनकार करते हैं जो उसके पीछे है, जबकि वही सत्य है, उसकी पुष्टि करता है जो उसके पास है। कहो, "अच्छा तो इससे पहले अल्लाह के पैग़म्बरों की हत्या क्यों करते रहे हो, यदि तुम ईमानवाले हो?"
99292ولقد جاءكم موسى بالبينات ثم اتخذتم العجل من بعده وأنتم ظالمون
तुम्हारे पास मूसा खुली-खुली निशानियाँ लेकर आया, फिर भी उसके बाद तुम ज़ालिम बनकर बछड़े को देवता बना बैठे
100293وإذ أخذنا ميثاقكم ورفعنا فوقكم الطور خذوا ما آتيناكم بقوة واسمعوا قالوا سمعنا وعصينا وأشربوا في قلوبهم العجل بكفرهم قل بئسما يأمركم به إيمانكم إن كنتم مؤمنين
कहो, "यदि अल्लाह के निकट आख़िरत का घर सारे इनसानों को छोड़कर केवल तुम्हारे ही लिए है, फिर तो मृत्यु की कामना करो, यदि तुम सच्चे हो।"


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