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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
91 | 2 | 84 | وإذ أخذنا ميثاقكم لا تسفكون دماءكم ولا تخرجون أنفسكم من دياركم ثم أقررتم وأنتم تشهدون |
| | | और याद करो जब तुमसे वचन लिया, "अपने ख़ून न बहाओगे और न अपने लोगों को अपनी बस्तियों से निकालोगे।" फिर तुमने इक़रार किया और तुम स्वयं इसके गवाह हो |
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92 | 2 | 85 | ثم أنتم هؤلاء تقتلون أنفسكم وتخرجون فريقا منكم من ديارهم تظاهرون عليهم بالإثم والعدوان وإن يأتوكم أسارى تفادوهم وهو محرم عليكم إخراجهم أفتؤمنون ببعض الكتاب وتكفرون ببعض فما جزاء من يفعل ذلك منكم إلا خزي في الحياة الدنيا ويوم القيامة يردون إلى أشد العذاب وما الله بغافل عما تعملون |
| | | फिर तुम वही हो कि अपने लोगों की हत्या करते हो और अपने ही एक गिरोह के लोगों को उनकी बस्तियों से निकालते हो; तुम गुनाह और ज़्यादती के साथ उनके विरुद्ध एक-दूसरे के पृष्ठपोषक बन जाते हो; और यदि वे बन्दी बनकर तुम्हारे पास आते है, तो उनकी रिहाई के लिए फिद्ए (अर्थदंड) का लेन-देन करते हो जबकि उनको उनके घरों से निकालना ही तुम पर हराम था, तो क्या तुम किताब के एक हिस्से को मानते हो और एक को नहीं मानते? फिर तुममें जो ऐसा करें उसका बदला इसके सिवा और क्या हो सकता है कि सांसारिक जीवन में अपमान हो? और क़यामत के दिन ऐसे लोगों को कठोर से कठोर यातना की ओर फेर दिया जाएगा। अल्लाह उससे बेखबर नहीं है जो कुछ तुम कर रहे हो |
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93 | 2 | 86 | أولئك الذين اشتروا الحياة الدنيا بالآخرة فلا يخفف عنهم العذاب ولا هم ينصرون |
| | | यही वे लोग है जो आख़िरात के बदले सांसारिक जीवन के ख़रीदार हुए, तो न उनकी यातना हल्की की जाएगी और न उन्हें कोई सहायता पहुँच सकेगी |
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94 | 2 | 87 | ولقد آتينا موسى الكتاب وقفينا من بعده بالرسل وآتينا عيسى ابن مريم البينات وأيدناه بروح القدس أفكلما جاءكم رسول بما لا تهوى أنفسكم استكبرتم ففريقا كذبتم وفريقا تقتلون |
| | | और हमने मूसा को किताब दी थी, और उसके पश्चात आगे-पीछे निरन्तर रसूल भेजते रहे; और मरयम के बेटे ईसा को खुली-खुली निशानियाँ प्रदान की और पवित्र-आत्मा के द्वारा उसे शक्ति प्रदान की; तो यही तो हुआ कि जब भी कोई रसूल तुम्हारे पास वह कुछ लेकर आया जो तुम्हारे जी को पसन्द न था, तो तुम अकड़ बैठे, तो एक गिरोह को तो तुमने झुठलाया और एक गिरोह को क़त्ल करते हो? |
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95 | 2 | 88 | وقالوا قلوبنا غلف بل لعنهم الله بكفرهم فقليلا ما يؤمنون |
| | | वे कहते हैं, "हमारे दिलों पर तो प्राकृतिक आवरण चढ़े है" नहीं, बल्कि उनके इनकार के कारण अल्लाह ने उनपर लानत की है; अतः वे ईमान थोड़े ही लाएँगे |
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96 | 2 | 89 | ولما جاءهم كتاب من عند الله مصدق لما معهم وكانوا من قبل يستفتحون على الذين كفروا فلما جاءهم ما عرفوا كفروا به فلعنة الله على الكافرين |
| | | और जब उनके पास एक किताब अल्लाह की ओर से आई है जो उसकी पुष्टि करती है जो उनके पास मौजूद है - और इससे पहले तो वे न माननेवाले लोगों पर विजय पाने के इच्छुक रहे है - फिर जब वह चीज़ उनके पास आ गई जिसे वे पहचान भी गए हैं, तो उसका इनकार कर बैठे; तो अल्लाह की फिटकार इनकार करने वालों पर! |
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97 | 2 | 90 | بئسما اشتروا به أنفسهم أن يكفروا بما أنزل الله بغيا أن ينزل الله من فضله على من يشاء من عباده فباءوا بغضب على غضب وللكافرين عذاب مهين |
| | | क्या ही बुरी चीज़ है जिसके बदले उन्होंने अपनी जानों का सौदा किया, अर्थात जो कुछ अल्लाह ने उतारा है उसे सरकशी और इस अप्रियता के कारण नहीं मानते कि अल्लाह अपना फ़ज़्ल (कृपा) अपने बन्दों में से जिसपर चाहता है क्यों उतारता है, अतः वे प्रकोप पर प्रकोप के अधिकारी हो गए है। और ऐसे इनकार करनेवालों के लिए अपमानजनक यातना है |
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98 | 2 | 91 | وإذا قيل لهم آمنوا بما أنزل الله قالوا نؤمن بما أنزل علينا ويكفرون بما وراءه وهو الحق مصدقا لما معهم قل فلم تقتلون أنبياء الله من قبل إن كنتم مؤمنين |
| | | जब उनसे कहा जाता है, "अल्लाह ने जो कुछ उतारा है उस पर ईमान लाओ", तो कहते है, "हम तो उसपर ईमान रखते है जो हम पर उतरा है," और उसे मानने से इनकार करते हैं जो उसके पीछे है, जबकि वही सत्य है, उसकी पुष्टि करता है जो उसके पास है। कहो, "अच्छा तो इससे पहले अल्लाह के पैग़म्बरों की हत्या क्यों करते रहे हो, यदि तुम ईमानवाले हो?" |
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99 | 2 | 92 | ولقد جاءكم موسى بالبينات ثم اتخذتم العجل من بعده وأنتم ظالمون |
| | | तुम्हारे पास मूसा खुली-खुली निशानियाँ लेकर आया, फिर भी उसके बाद तुम ज़ालिम बनकर बछड़े को देवता बना बैठे |
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100 | 2 | 93 | وإذ أخذنا ميثاقكم ورفعنا فوقكم الطور خذوا ما آتيناكم بقوة واسمعوا قالوا سمعنا وعصينا وأشربوا في قلوبهم العجل بكفرهم قل بئسما يأمركم به إيمانكم إن كنتم مؤمنين |
| | | कहो, "यदि अल्लाह के निकट आख़िरत का घर सारे इनसानों को छोड़कर केवल तुम्हारे ही लिए है, फिर तो मृत्यु की कामना करो, यदि तुम सच्चे हो।" |
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