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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
854 | 6 | 65 | قل هو القادر على أن يبعث عليكم عذابا من فوقكم أو من تحت أرجلكم أو يلبسكم شيعا ويذيق بعضكم بأس بعض انظر كيف نصرف الآيات لعلهم يفقهون |
| | | कहो, "वह इसकी सामर्थ्य रखता है कि तुमपर तुम्हारे ऊपर से या तुम्हारे पैरों के नीचे से कोई यातना भेज दे या तुम्हें टोलियों में बाँटकर परस्पर भिड़ा दे और एक को दूसरे की लड़ाई का मज़ा चखाए।" देखो, हम आयतों को कैसे, तरह-तरह से, बयान करते है, ताकि वे समझे |
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855 | 6 | 66 | وكذب به قومك وهو الحق قل لست عليكم بوكيل |
| | | तुम्हारी क़ौम ने तो उसे झुठला दिया, हालाँकि वह सत्य है। कह दो, मैं "तुमपर कोई संरक्षक नियुक्त नहीं हूँ |
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856 | 6 | 67 | لكل نبإ مستقر وسوف تعلمون |
| | | "हर ख़बर का एक निश्चित समय है और शीघ्र ही तुम्हें ज्ञात हो जाएगा।" |
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857 | 6 | 68 | وإذا رأيت الذين يخوضون في آياتنا فأعرض عنهم حتى يخوضوا في حديث غيره وإما ينسينك الشيطان فلا تقعد بعد الذكرى مع القوم الظالمين |
| | | और जब तुम उन लोगों को देखो, जो हमारी आयतों पर नुक्ताचीनी करने में लगे हुए है, तो उनसे मुँह फेर लो, ताकि वे किसी दूसरी बात में लग जाएँ। और यदि कभी शैतान तुम्हें भुलावे में डाल दे, तो याद आ जाने के बाद उन अत्याचारियों के पास न बैठो |
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858 | 6 | 69 | وما على الذين يتقون من حسابهم من شيء ولكن ذكرى لعلهم يتقون |
| | | उनके हिसाब के प्रति तो उन लोगो पर कुछ भी ज़िम्मेदारी नहीं, जो डर रखते है। यदि है तो बस याद दिलाने की; ताकि वे डरें |
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859 | 6 | 70 | وذر الذين اتخذوا دينهم لعبا ولهوا وغرتهم الحياة الدنيا وذكر به أن تبسل نفس بما كسبت ليس لها من دون الله ولي ولا شفيع وإن تعدل كل عدل لا يؤخذ منها أولئك الذين أبسلوا بما كسبوا لهم شراب من حميم وعذاب أليم بما كانوا يكفرون |
| | | छोड़ो उन लोगों को, जिन्होंने अपने धर्म को खेल और तमाशा बना लिया है और उन्हें सांसारिक जीवन ने धोखे में डाल रखा है। और इसके द्वारा उन्हें नसीहत करते रहो कि कहीं ऐसा न हो कि कोई अपनी कमाई के कारण तबाही में पड़ जाए। अल्लाह से हटकर कोई भी नहीं, जो उसका समर्थक और सिफ़ारिश करनेवाला हो सके और यदि वह छुटकारा पाने के लिए बदले के रूप में हर सम्भव चीज़ देने लगे, तो भी वह उससे न लिया जाए। ऐसे ही लोग है, जो अपनी कमाई के कारण तबाही में पड गए। उनके लिए पीने को खौलता हुआ पानी है और दुखद यातना भी; क्योंकि वे इनकार करते रहे थे |
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860 | 6 | 71 | قل أندعو من دون الله ما لا ينفعنا ولا يضرنا ونرد على أعقابنا بعد إذ هدانا الله كالذي استهوته الشياطين في الأرض حيران له أصحاب يدعونه إلى الهدى ائتنا قل إن هدى الله هو الهدى وأمرنا لنسلم لرب العالمين |
| | | कहो, "क्या हम अल्लाह को छोड़कर उसे पुकारने लग जाएँ जो न तो हमें लाभ पहुँचा सके और न हमें हानि पहुँचा सके और हम उलटे पाँव फिर जाएँ, जबकि अल्लाह ने हमें मार्ग पर लगा दिया है? - उस व्यक्ति की तरह जिसे शैतानों ने धरती पर भटका दिया हो और वह हैरान होकर रह गया हो। उसके कुछ साथी हो, जो उसे मार्ग की ओर बुला रहे हो कि हमारे पास चला आ!" कह दो, "मार्गदर्शन केवल अल्लाह का मार्गदर्शन है और हमें इसी बात का आदेश हुआ है कि हम सारे संसार के स्वामी को समर्पित हो जाएँ।" |
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861 | 6 | 72 | وأن أقيموا الصلاة واتقوه وهو الذي إليه تحشرون |
| | | और यह कि "नमाज़ क़ायम करो और उसका डर रखो। वही है, जिसके पास तुम इकट्ठे किए जाओगे, |
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862 | 6 | 73 | وهو الذي خلق السماوات والأرض بالحق ويوم يقول كن فيكون قوله الحق وله الملك يوم ينفخ في الصور عالم الغيب والشهادة وهو الحكيم الخبير |
| | | "और वही है जिसने आकाशों और धरती को हक़ के साथ पैदा किया। और जिस समय वह किसी चीज़ को कहे, 'हो जा', तो वह उसी समय वह हो जाती है। उसकी बात सर्वथा सत्य है और जिस दिन 'सूर' (नरसिंघा) में फूँक मारी जाएगी, राज्य उसी का होगा। वह सभी छिपी और खुली चीज़ का जाननेवाला है, और वही तत्वदर्शी, ख़बर रखनेवाला है।" |
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863 | 6 | 74 | وإذ قال إبراهيم لأبيه آزر أتتخذ أصناما آلهة إني أراك وقومك في ضلال مبين |
| | | और याद करो, जब इबराहीम ने अपने बाप आज़र से कहा था, "क्या तुम मूर्तियों को पूज्य बनाते हो? मैं तो तुम्हें और तुम्हारी क़ौम को खुली गुमराही में पड़ा देख रहा हूँ।" |
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