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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
823 | 6 | 34 | ولقد كذبت رسل من قبلك فصبروا على ما كذبوا وأوذوا حتى أتاهم نصرنا ولا مبدل لكلمات الله ولقد جاءك من نبإ المرسلين |
| | | और (कुछ तुम ही पर नहीं) तुमसे पहले भी बहुतेरे रसूल झुठलाए जा चुके हैं तो उन्होनें अपने झुठलाए जाने और अज़ीयत (व तकलीफ) पर सब्र किया यहाँ तक कि हमारी मदद उनके पास आयी और (क्यों न आती) ख़ुदा की बातों का कोई बदलने वाला नहीं है और पैग़म्बर के हालात तो तुम्हारे पास पहुँच ही चुके हैं |
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824 | 6 | 35 | وإن كان كبر عليك إعراضهم فإن استطعت أن تبتغي نفقا في الأرض أو سلما في السماء فتأتيهم بآية ولو شاء الله لجمعهم على الهدى فلا تكونن من الجاهلين |
| | | अगरचे उन लोगों की रदगिरदानी (मुँह फेरना) तुम पर शाक़ ज़रुर है (लेकिन) अगर तुम्हारा बस चले तो ज़मीन के अन्दर कोई सुरगं ढँढ निकालो या आसमान में सीढ़ी लगाओ और उन्हें कोई मौजिज़ा ला दिखाओ (तो ये भी कर देखो) अगर ख़ुदा चाहता तो उन सब को राहे रास्त पर इकट्ठा कर देता (मगर वह तो इम्तिहान करता है) बस (देखो) तुम हरगिज़ ज़ालिमों में (शामिल) न होना |
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825 | 6 | 36 | إنما يستجيب الذين يسمعون والموتى يبعثهم الله ثم إليه يرجعون |
| | | (तुम्हारा कहना तो) सिर्फ वही लोग मानते हैं जो (दिल से) सुनते हैं और मुर्दो को तो ख़ुदा क़यामत ही में उठाएगा फिर उसी की तरफ लौटाए जाएंगें |
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826 | 6 | 37 | وقالوا لولا نزل عليه آية من ربه قل إن الله قادر على أن ينزل آية ولكن أكثرهم لا يعلمون |
| | | और कुफ्फ़ार कहते हैं कि (आख़िर) उस नबी पर उसके परवरदिगार की तरफ से कोई मौजिज़ा क्यों नहीं नाज़िल होता तो तुम (उनसे) कह दो कि ख़ुदा मौजिज़े के नाज़िल करने पर ज़रुर क़ादिर है मगर उनमें के अक्सर लोग (ख़ुदा की मसलहतों को) नहीं जानते |
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827 | 6 | 38 | وما من دابة في الأرض ولا طائر يطير بجناحيه إلا أمم أمثالكم ما فرطنا في الكتاب من شيء ثم إلى ربهم يحشرون |
| | | ज़मीन में जो चलने फिरने वाला (हैवान) या अपने दोनों परों से उड़ने वाला परिन्दा है उनकी भी तुम्हारी तरह जमाअतें हैं और सब के सब लौह महफूज़ में मौजूद (हैं) हमने किताब (क़ुरान) में कोई बात नहीं छोड़ी है फिर सब के सब (चरिन्द हों या परिन्द) अपने परवरदिगार के हुज़ूर में लाए जायेंगे। |
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828 | 6 | 39 | والذين كذبوا بآياتنا صم وبكم في الظلمات من يشإ الله يضلله ومن يشأ يجعله على صراط مستقيم |
| | | और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठला दिया गोया वह (कुफ्र के घटाटोप) ऍधेरों में गूंगें बहरे (पड़े हैं) ख़ुदा जिसे चाहे उसे गुमराही में छोड़ दे और जिसे चाहे उसे सीधे ढर्रे पर लगा दे |
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829 | 6 | 40 | قل أرأيتكم إن أتاكم عذاب الله أو أتتكم الساعة أغير الله تدعون إن كنتم صادقين |
| | | (ऐ रसूल उनसे) पूछो तो कि क्या तुम यह समझते हो कि अगर तुम्हारे सामने ख़ुदा का अज़ाब आ जाए या तुम्हारे सामने क़यामत ही आ खड़ी मौजूद हो तो तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे हो तो (बताओ कि मदद के वास्ते) क्या ख़ुदा को छोड़कर दूसरे को पुकारोगे |
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830 | 6 | 41 | بل إياه تدعون فيكشف ما تدعون إليه إن شاء وتنسون ما تشركون |
| | | (दूसरों को तो क्या) बल्कि उसी को पुकारोगे फिर अगर वह चाहेगा तो जिस के वास्ते तुमने उसको पुकारा है उसे दफा कर देगा और (उस वक्त) तुम दूसरे माबूदों को जिन्हे तुम (ख़ुदा का) शरीक समझते थे भूल जाओगे |
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831 | 6 | 42 | ولقد أرسلنا إلى أمم من قبلك فأخذناهم بالبأساء والضراء لعلهم يتضرعون |
| | | और (ऐ रसूल) जो उम्मतें तुमसे पहले गुज़र चुकी हैं हम उनके पास भी बहुतेरे रसूल भेज चुके हैं फिर (जब नाफ़रमानी की) तो हमने उनको सख्ती |
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832 | 6 | 43 | فلولا إذ جاءهم بأسنا تضرعوا ولكن قست قلوبهم وزين لهم الشيطان ما كانوا يعملون |
| | | और तकलीफ़ में गिरफ्तार किया ताकि वह लोग (हमारी बारगाह में) गिड़गिड़ाए तो जब उन (के सर) पर हमारा अज़ाब आ खड़ा हुआ तो वह लोग क्यों नहीं गिड़गिड़ाए (कि हम अज़ाब दफा कर देते) मगर उनके दिल तो सख्त हो गए थे ओर उनकी कारस्तानियों को शैतान ने आरास्ता कर दिखाया था (फिर क्योंकर गिड़गिड़ाते) |
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