بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
721552فترى الذين في قلوبهم مرض يسارعون فيهم يقولون نخشى أن تصيبنا دائرة فعسى الله أن يأتي بالفتح أو أمر من عنده فيصبحوا على ما أسروا في أنفسهم نادمين
तो (ऐ रसूल) जिन लोगों के दिलों में (नेफ़ाक़ की) बीमारी है तुम उन्हें देखोगे कि उनमें दौड़ दौड़ के मिले जाते हैं और तुमसे उसकी वजह यह बयान करते हैं कि हम तो इससे डरते हैं कि कहीं ऐसा न हो उनके न (मिलने से) ज़माने की गर्दिश में न मुब्तिला हो जाएं तो अनक़रीब ही ख़ुदा (मुसलमानों की) फ़तेह या कोई और बात अपनी तरफ़ से ज़ाहिर कर देगा तब यह लोग इस बदगुमानी पर जो अपने जी में छिपाते थे शर्माएंगे (
722553ويقول الذين آمنوا أهؤلاء الذين أقسموا بالله جهد أيمانهم إنهم لمعكم حبطت أعمالهم فأصبحوا خاسرين
और मोमिनीन (जब उन पर नेफ़ाक़ ज़ाहिर हो जाएगा तो) कहेंगे क्या ये वही लोग हैं जो सख्त से सख्त क़समें खाकर (हमसे) कहते थे कि हम ज़रूर तुम्हारे साथ हैं उनका सारा किया धरा अकारत हुआ और सख्त घाटे में आ गए
723554يا أيها الذين آمنوا من يرتد منكم عن دينه فسوف يأتي الله بقوم يحبهم ويحبونه أذلة على المؤمنين أعزة على الكافرين يجاهدون في سبيل الله ولا يخافون لومة لائم ذلك فضل الله يؤتيه من يشاء والله واسع عليم
ऐ ईमानदारों तुममें से जो कोई अपने दीन से फिर जाएगा तो (कुछ परवाह नहीं फिर जाए) अनक़रीब ही ख़ुदा ऐसे लोगों को ज़ाहिर कर देगा जिन्हें ख़ुदा दोस्त रखता होगा और वह उसको दोस्त रखते होंगे ईमानदारों के साथ नर्म और मुन्किर (और) काफ़िरों के साथ सख्त ख़ुदा की राह में जेहाद करेंगे और किसी मलामत करने वाले की मलामत की कुछ परवाह न करेंगे ये ख़ुदा का फ़ज़ल (व करम) है वह जिसे चाहता हे देता है और ख़ुदा तो बड़ी गुन्जाइश वाला वाक़िफ़कार है
724555إنما وليكم الله ورسوله والذين آمنوا الذين يقيمون الصلاة ويؤتون الزكاة وهم راكعون
(ऐ ईमानदारों) तुम्हारे मालिक सरपरस्त तो बस यही हैं ख़ुदा और उसका रसूल और वह मोमिनीन जो पाबन्दी से नमाज़ अदा करते हैं और हालत रूकूउ में ज़कात देते हैं
725556ومن يتول الله ورسوله والذين آمنوا فإن حزب الله هم الغالبون
और जिस शख्स ने ख़ुदा और रसूल और (उन्हीं) ईमानदारों को अपना सरपरस्त बनाया तो (ख़ुदा के लशकर में आ गया और) इसमें तो शक नहीं कि ख़ुदा ही का लशकर वर (ग़ालिब) रहता है
726557يا أيها الذين آمنوا لا تتخذوا الذين اتخذوا دينكم هزوا ولعبا من الذين أوتوا الكتاب من قبلكم والكفار أولياء واتقوا الله إن كنتم مؤمنين
ऐ ईमानदारों जिन लोगों (यहूद व नसारा) को तुम से पहले किताबे (ख़ुदा तौरेत, इन्जील) दी जा चुकी है उनमें से जिन लोगों ने तुम्हारे दीन को हॅसी खेल बना रखा है उनको और कुफ्फ़ार को अपना सरपरस्त न बनाओ और अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो ख़ुदा ही से डरते रहो
727558وإذا ناديتم إلى الصلاة اتخذوها هزوا ولعبا ذلك بأنهم قوم لا يعقلون
और (उनकी शरारत यहॉ तक पहुंची) कि जब तुम (अज़ान देकर) नमाज़ के वास्ते (लोगों को) बुलाते हो ये लोग नमाज़ को हॅसी खेल बनाते हैं ये इस वजह से कि (लोग बिल्कुल बे अक्ल हैं) और कुछ नहीं समझते
728559قل يا أهل الكتاب هل تنقمون منا إلا أن آمنا بالله وما أنزل إلينا وما أنزل من قبل وأن أكثركم فاسقون
(ऐ रसूल अहले किताब से कहो कि) आख़िर तुम हमसे इसके सिवा और क्या ऐब लगा सकते हो कि हम ख़ुदा पर और जो (किताब) हमारे पास भेजी गयी है और जो हमसे पहले भेजी गयी ईमान लाए हैं और ये तुममें के अक्सर बदकार हैं
729560قل هل أنبئكم بشر من ذلك مثوبة عند الله من لعنه الله وغضب عليه وجعل منهم القردة والخنازير وعبد الطاغوت أولئك شر مكانا وأضل عن سواء السبيل
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तुम्हें ख़ुदा के नज़दीक सज़ा में इससे कहीं बदतर ऐब बता दूं (अच्छा लो सुनो) जिसपर ख़ुदा ने लानत की हो और उस पर ग़ज़ब ढाया हो और उनमें से किसी को (मसख़ करके) बन्दर और (किसी को) सूअर बना दिया हो और (ख़ुदा को छोड़कर) शैतान की परस्तिश की हो पस ये लोग दरजे में कहीं बदतर और राहे रास्त से भटक के सबसे ज्यादा दूर जा पहुंचे हैं
730561وإذا جاءوكم قالوا آمنا وقد دخلوا بالكفر وهم قد خرجوا به والله أعلم بما كانوا يكتمون
और (मुसलमानों) जब ये लोग तुम्हारे पास आ जाते हैं तो कहते हैं कि हम तो ईमान लाए हैं हालॉकि वह कुफ़्र ही को साथ लेकर आए और फिर निकले भी तो साथ लिए हुए और जो नेफ़ाक़ वह छुपाए हुए थे ख़ुदा उसे ख़ूब जानता है


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