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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
705 | 5 | 36 | إن الذين كفروا لو أن لهم ما في الأرض جميعا ومثله معه ليفتدوا به من عذاب يوم القيامة ما تقبل منهم ولهم عذاب أليم |
| | | इसमें शक नहीं कि जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया अगर उनके पास ज़मीन में जो कुछ (माल ख़ज़ाना) है (वह) सब बल्कि उतना और भी उसके साथ हो कि रोज़े क़यामत के अज़ाब का मुआवेज़ा दे दे (और ख़ुद बच जाए) तब भी (उसका ये मुआवेज़ा) कुबूल न किया जाएगा और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है |
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706 | 5 | 37 | يريدون أن يخرجوا من النار وما هم بخارجين منها ولهم عذاب مقيم |
| | | वह लोग तो चाहेंगे कि किसी तरह जहन्नुम की आग से निकल भागे मगर वहॉ से तो वह निकल ही नहीं सकते और उनके लिए तो दाएमी अज़ाब है |
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707 | 5 | 38 | والسارق والسارقة فاقطعوا أيديهما جزاء بما كسبا نكالا من الله والله عزيز حكيم |
| | | और चोर ख्वाह मर्द हो या औरत तुम उनके करतूत की सज़ा में उनका (दाहिना) हाथ काट डालो ये (उनकी सज़ा) ख़ुदा की तरफ़ से है और ख़ुदा (तो) बड़ा ज़बरदस्त हिकमत वाला है |
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708 | 5 | 39 | فمن تاب من بعد ظلمه وأصلح فإن الله يتوب عليه إن الله غفور رحيم |
| | | हॉ जो अपने गुनाह के बाद तौबा कर ले और अपने चाल चलन दुरूस्त कर लें तो बेशक ख़ुदा भी तौबा कुबूल कर लेता है क्योंकि ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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709 | 5 | 40 | ألم تعلم أن الله له ملك السماوات والأرض يعذب من يشاء ويغفر لمن يشاء والله على كل شيء قدير |
| | | ऐ शख्स क्या तू नहीं जानता कि सारे आसमान व ज़मीन (ग़रज़ दुनिया जहान) में ख़ास ख़ुदा की हुकूमत है जिसे चाहे अज़ाब करे और जिसे चाहे माफ़ कर दे और ख़ुदा तो हर चीज़ पर क़ादिर है |
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710 | 5 | 41 | يا أيها الرسول لا يحزنك الذين يسارعون في الكفر من الذين قالوا آمنا بأفواههم ولم تؤمن قلوبهم ومن الذين هادوا سماعون للكذب سماعون لقوم آخرين لم يأتوك يحرفون الكلم من بعد مواضعه يقولون إن أوتيتم هذا فخذوه وإن لم تؤتوه فاحذروا ومن يرد الله فتنته فلن تملك له من الله شيئا أولئك الذين لم يرد الله أن يطهر قلوبهم لهم في الدنيا خزي ولهم في الآخرة عذاب عظيم |
| | | ऐ रसूल जो लोग कुफ़्र की तरफ़ लपक के चले जाते हैं तुम उनका ग़म न खाओ उनमें बाज़ तो ऐसे हैं कि अपने मुंह से बे तकल्लुफ़ कह देते हैं कि हम ईमान लाए हालॉकि उनके दिल बेईमान हैं और बाज़ यहूदी ऐसे हैं कि (जासूसी की ग़रज़ से) झूठी बातें बहुत (शौक से) सुनते हैं ताकि कुफ्फ़ार के दूसरे गिरोह को जो (अभी तक) तुम्हारे पास नहीं आए हैं सुनाएं ये लोग (तौरैत के) अल्फ़ाज़ की उनके असली मायने (मालूम होने) के बाद भी तहरीफ़ करते हैं (और लोगों से) कहते हैं कि (ये तौरैत का हुक्म है) अगर मोहम्मद की तरफ़ से (भी) तुम्हें यही हुक्म दिया जाय तो उसे मान लेना और अगर यह हुक्म तुमको न दिया जाए तो उससे अलग ही रहना और (ऐ रसूल) जिसको ख़ुदा ख़राब करना चाहता है तो उसके वास्ते ख़ुदा से तुम्हारा कुछ ज़ोर नहीं चल सकता यह लोग तो वही हैं जिनके दिलों को ख़ुदा ने (गुनाहों से) पाक करने का इरादा ही नहीं किया (बल्कि) उनके लिए तो दुनिया में भी रूसवाई है और आख़ेरत में भी (उनके लिए) बड़ा (भारी) अज़ाब होगा |
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711 | 5 | 42 | سماعون للكذب أكالون للسحت فإن جاءوك فاحكم بينهم أو أعرض عنهم وإن تعرض عنهم فلن يضروك شيئا وإن حكمت فاحكم بينهم بالقسط إن الله يحب المقسطين |
| | | ये (कम्बख्त) झूठी बातों को बड़े शौक़ से सुनने वाले और बड़े ही हरामख़ोर हैं तो (ऐ रसूल) अगर ये लोग तुम्हारे पास (कोई मामला लेकर) आए तो तुमको इख्तेयार है ख्वाह उनके दरमियान फैसला कर दो या उनसे किनाराकशी करो और अगर तुम किनाराकश रहोगे तो (कुछ ख्याल न करो) ये लोग तुम्हारा हरगिज़ कुछ बिगाड़ नहीं सकते और अगर उनमें फैसला करो तो इन्साफ़ से फैसला करो क्योंकि ख़ुदा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है |
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712 | 5 | 43 | وكيف يحكمونك وعندهم التوراة فيها حكم الله ثم يتولون من بعد ذلك وما أولئك بالمؤمنين |
| | | और जब ख़ुद उनके पास तौरेत है और उसमें ख़ुदा का हुक्म (मौजूद) है तो फिर तुम्हारे पास फैसला कराने को क्यों आते हैं और (लुत्फ़ तो ये है कि) इसके बाद फिर (तुम्हारे हुक्म से) फिर जाते हैं ओर सच तो यह है कि यह लोग ईमानदार ही नहीं हैं |
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713 | 5 | 44 | إنا أنزلنا التوراة فيها هدى ونور يحكم بها النبيون الذين أسلموا للذين هادوا والربانيون والأحبار بما استحفظوا من كتاب الله وكانوا عليه شهداء فلا تخشوا الناس واخشون ولا تشتروا بآياتي ثمنا قليلا ومن لم يحكم بما أنزل الله فأولئك هم الكافرون |
| | | बेशक हम ने तौरेत नाज़िल की जिसमें (लोगों की) हिदायत और नूर (ईमान) है उसी के मुताबिक़ ख़ुदा के फ़रमाबरदार बन्दे (अम्बियाए बनी इसराईल) यहूदियों को हुक्म देते रहे और अल्लाह वाले और उलेमाए (यहूद) भी किताबे ख़ुदा से (हुक्म देते थे) जिसके वह मुहाफ़िज़ बनाए गए थे और वह उसके गवाह भी थे पस (ऐ मुसलमानों) तुम लोगों से (ज़रा भी) न डरो (बल्कि) मुझ ही से डरो और मेरी आयतों के बदले में (दुनिया की दौलत जो दर हक़ीक़त बहुत थोड़ी क़ीमत है) न लो और (समझ लो कि) जो शख्स ख़ुदा की नाज़िल की हुई (किताब) के मुताबिक़ हुक्म न दे तो ऐसे ही लोग काफ़िर हैं |
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714 | 5 | 45 | وكتبنا عليهم فيها أن النفس بالنفس والعين بالعين والأنف بالأنف والأذن بالأذن والسن بالسن والجروح قصاص فمن تصدق به فهو كفارة له ومن لم يحكم بما أنزل الله فأولئك هم الظالمون |
| | | और हम ने तौरेत में यहूदियों पर यह हुक्म फर्ज क़र दिया था कि जान के बदले जान और ऑख के बदले ऑख और नाक के बदले नाक और कान के बदले कान और दॉत के बदले दॉत और जख्म के बदले (वैसा ही) बराबर का बदला (जख्म) है फिर जो (मज़लूम ज़ालिम की) ख़ता माफ़ कर दे तो ये उसके गुनाहों का कफ्फ़ारा हो जाएगा और जो शख्स ख़ुदा की नाज़िल की हुई (किताब) के मुवाफ़िक़ हुक्म न दे तो ऐसे ही लोग ज़ालिम हैं |
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