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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
609 | 4 | 116 | إن الله لا يغفر أن يشرك به ويغفر ما دون ذلك لمن يشاء ومن يشرك بالله فقد ضل ضلالا بعيدا |
| | | ख़ुदा बेशक उसको तो नहीं बख्शता कि उसका कोई और शरीक बनाया जाए हॉ उसके सिवा जो गुनाह हो जिसको चाहे बख्श दे और (माज़ अल्लाह) जिसने किसी को ख़ुदा का शरीक बनाया तो वह बस भटक के बहुत दूर जा पड़ा |
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610 | 4 | 117 | إن يدعون من دونه إلا إناثا وإن يدعون إلا شيطانا مريدا |
| | | मुशरेकीन ख़ुदा को छोड़कर बस औरतों ही की परसतिश करते हैं (यानी बुतों की जो उनके) ख्याल में औरतें हैं (दर हक़ीक़त) ये लोग सरकश शैतान की परसतिश करते हैं |
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611 | 4 | 118 | لعنه الله وقال لأتخذن من عبادك نصيبا مفروضا |
| | | जिसपर ख़ुदा ने लानत की है और जिसने (इब्तिदा ही में) कहा था कि (ख़ुदावन्दा) मैं तेरे बन्दों में से कुछ ख़ास लोगों को (अपनी तरफ) ज़रूर ले लूंगा |
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612 | 4 | 119 | ولأضلنهم ولأمنينهم ولآمرنهم فليبتكن آذان الأنعام ولآمرنهم فليغيرن خلق الله ومن يتخذ الشيطان وليا من دون الله فقد خسر خسرانا مبينا |
| | | और फिर उन्हें ज़रूर गुमराह करूंगा और उन्हें बड़ी बड़ी उम्मीदें भी ज़रूर दिलाऊंगा और यक़ीनन उन्हें सिखा दूंगा फिर वो (बुतों के वास्ते) जानवरों के काम ज़रूर चीर फाड़ करेंगे और अलबत्ता उनसे कह दूंगा बस फिर वो (मेरी तालीम के मुवाफ़िक़) ख़ुदा की बनाई हुई सूरत को ज़रूर बदल डालेंगे और (ये याद रहे कि) जिसने ख़ुदा को छोड़कर शैतान को अपना सरपरस्त बनाया तो उसने खुल्लम खुल्ला सख्त घाटा उठाया |
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613 | 4 | 120 | يعدهم ويمنيهم وما يعدهم الشيطان إلا غرورا |
| | | शैतान उनसे अच्छे अच्छे वायदे भी करता है (और बड़ी बड़ी) उम्मीदें भी दिलाता है और शैतान उनसे जो कुछ वायदे भी करता है वह बस निरा धोखा (ही धोखा) है |
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614 | 4 | 121 | أولئك مأواهم جهنم ولا يجدون عنها محيصا |
| | | यही तो वह लोग हैं जिनका ठिकाना बस जहन्नुम है और वहॉ से भागने की जगह भी न पाएंगे |
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615 | 4 | 122 | والذين آمنوا وعملوا الصالحات سندخلهم جنات تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها أبدا وعد الله حقا ومن أصدق من الله قيلا |
| | | और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उन्हें हम अनक़रीब ही (बेहिश्त के) उन (हरे भरे) बाग़ों में जा पहुंचाएगें जिनके (दरख्तों के) नीचे नहरें जारी होंगी और ये लोग उसमें हमेशा आबादुल आबाद तक रहेंगे (ये उनसे) ख़ुदा का पक्का वायदा है और ख़ुदा से ज्यादा (अपनी) बात में सच्चा कौन होगा |
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616 | 4 | 123 | ليس بأمانيكم ولا أماني أهل الكتاب من يعمل سوءا يجز به ولا يجد له من دون الله وليا ولا نصيرا |
| | | न तुम लोगों की आरज़ू से (कुछ काम चल सकता है) न अहले किताब की तमन्ना से कुछ हासिल हो सकता है बल्कि (जैसा काम वैसा दाम) जो बुरा काम करेगा उसे उसका बदला दिया जाएगा और फिर ख़ुदा के सिवा किसी को न तो अपना सरपरस्त पाएगा और न मददगार |
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617 | 4 | 124 | ومن يعمل من الصالحات من ذكر أو أنثى وهو مؤمن فأولئك يدخلون الجنة ولا يظلمون نقيرا |
| | | और जो शख्स अच्छे अच्छे काम करेगा (ख्वाह) मर्द हो या औरत और ईमानदार (भी) हो तो ऐसे लोग बेहिश्त में (बेखटके) जा पहुंचेंगे और उनपर तिल भी ज़ुल्म न किया जाएगा |
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618 | 4 | 125 | ومن أحسن دينا ممن أسلم وجهه لله وهو محسن واتبع ملة إبراهيم حنيفا واتخذ الله إبراهيم خليلا |
| | | और उस शख्स से दीन में बेहतर कौन होगा जिसने ख़ुदा के सामने अपना सरे तसलीम झुका दिया और नेको कार भी है और इबराहीम के तरीके पर चलता है जो बातिल से कतरा कर चलते थे और ख़ुदा ने इब्राहिम को तो अपना ख़लिस दोस्त बना लिया |
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