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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
509 | 4 | 16 | واللذان يأتيانها منكم فآذوهما فإن تابا وأصلحا فأعرضوا عنهما إن الله كان توابا رحيما |
| | | और तुममें से जो दो पुरुष यह कर्म करें, उन्हें प्रताड़ित करो, फिर यदि वे तौबा कर ले और अपने आपको सुधार लें, तो उन्हें छोड़ दो। अल्लाह तौबा क़बूल करनेवाला, दयावान है |
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510 | 4 | 17 | إنما التوبة على الله للذين يعملون السوء بجهالة ثم يتوبون من قريب فأولئك يتوب الله عليهم وكان الله عليما حكيما |
| | | उन्ही लोगों की तौबा क़बूल करना अल्लाह के ज़िम्मे है जो भावनाओं में बह कर नादानी से कोई बुराई कर बैठे, फिर जल्द ही तौबा कर लें, ऐसे ही लोग है जिनकी तौबा अल्लाह क़बूल करता है। अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है |
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511 | 4 | 18 | وليست التوبة للذين يعملون السيئات حتى إذا حضر أحدهم الموت قال إني تبت الآن ولا الذين يموتون وهم كفار أولئك أعتدنا لهم عذابا أليما |
| | | और ऐसे लोगों की तौबा नहीं जो बुरे काम किए चले जाते है, यहाँ तक कि जब उनमें से किसी की मृत्यु का समय आ जाता है तो कहने लगता है, "अब मैं तौबा करता हूँ।" और इसी प्रकार तौबा उनकी भी नहीं है, जो मरते दम तक इनकार करनेवाले ही रहे। ऐसे लोगों के लिए हमने दुखद यातना तैयार कर रखी है |
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512 | 4 | 19 | يا أيها الذين آمنوا لا يحل لكم أن ترثوا النساء كرها ولا تعضلوهن لتذهبوا ببعض ما آتيتموهن إلا أن يأتين بفاحشة مبينة وعاشروهن بالمعروف فإن كرهتموهن فعسى أن تكرهوا شيئا ويجعل الله فيه خيرا كثيرا |
| | | ऐ ईमान लानेवालो! तुम्हारे लिए वैध नहीं कि स्त्रियों के माल के ज़बरदस्ती वारिस बन बैठो, और न यह वैध है कि उन्हें इसलिए रोको और तंग करो कि जो कुछ तुमने उन्हें दिया है, उसमें से कुछ ले उड़ो। परन्तु यदि वे खुले रूप में अशिष्ट कर्म कर बैठे तो दूसरी बात है। और उनके साथ भले तरीक़े से रहो-सहो। फिर यदि वे तुम्हें पसन्द न हों, तो सम्भव है कि एक चीज़ तुम्हें पसन्द न हो और अल्लाह उसमें बहुत कुछ भलाई रख दे |
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513 | 4 | 20 | وإن أردتم استبدال زوج مكان زوج وآتيتم إحداهن قنطارا فلا تأخذوا منه شيئا أتأخذونه بهتانا وإثما مبينا |
| | | और यदि तुम एक पत्ऩी की जगह दूसरी पत्ऩी लाना चाहो तो, चाहे तुमने उनमें किसी को ढेरों माल दे दिया हो, उसमें से कुछ मत लेना। क्या तुम उसपर झूठा आरोप लगाकर और खुले रूप में हक़ मारकर उसे लोगे? |
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514 | 4 | 21 | وكيف تأخذونه وقد أفضى بعضكم إلى بعض وأخذن منكم ميثاقا غليظا |
| | | और तुम उसे किस तरह ले सकते हो, जबकि तुम एक-दूसरे से मिल चुके हो और वे तुमसे दृढ़ प्रतिज्ञा भी ले चुकी है? |
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515 | 4 | 22 | ولا تنكحوا ما نكح آباؤكم من النساء إلا ما قد سلف إنه كان فاحشة ومقتا وساء سبيلا |
| | | और उन स्त्रियों से विवाह न करो, जिनसे तुम्हारे बाप विवाह कर चुके हों, परन्तु जो पहले हो चुका सो हो चुका। निस्संदेह यह एक अश्लील और अत्यन्त अप्रिय कर्म है, और बुरी रीति है |
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516 | 4 | 23 | حرمت عليكم أمهاتكم وبناتكم وأخواتكم وعماتكم وخالاتكم وبنات الأخ وبنات الأخت وأمهاتكم اللاتي أرضعنكم وأخواتكم من الرضاعة وأمهات نسائكم وربائبكم اللاتي في حجوركم من نسائكم اللاتي دخلتم بهن فإن لم تكونوا دخلتم بهن فلا جناح عليكم وحلائل أبنائكم الذين من أصلابكم وأن تجمعوا بين الأختين إلا ما قد سلف إن الله كان غفورا رحيما |
| | | तुम्हारे लिए हराम है तुम्हारी माएँ, बेटियाँ, बहनें, फूफियाँ, मौसियाँ, भतीतियाँ, भाँजिया, और तुम्हारी वे माएँ जिन्होंने तुम्हें दूध पिलाया हो और दूध के रिश्ते से तुम्हारी बहनें और तुम्हारी सासें और तुम्हारी पत्ऩियों की बेटियाँ जिनसे तुम सम्भोग कर चुक हो। परन्तु यदि सम्भोग नहीं किया है तो इसमें तुमपर कोई गुनाह नहीं - और तुम्हारे उन बेटों की पत्ऩियाँ जो तुमसे पैदा हों और यह भी कि तुम दो बहनों को इकट्ठा करो; जो पहले जो हो चुका सो हो चुका। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है |
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517 | 4 | 24 | والمحصنات من النساء إلا ما ملكت أيمانكم كتاب الله عليكم وأحل لكم ما وراء ذلكم أن تبتغوا بأموالكم محصنين غير مسافحين فما استمتعتم به منهن فآتوهن أجورهن فريضة ولا جناح عليكم فيما تراضيتم به من بعد الفريضة إن الله كان عليما حكيما |
| | | और विवाहित स्त्रियाँ भी वर्जित है, सिवाय उनके जो तुम्हारी लौंडी हों। यह अल्लाह ने तुम्हारे लिए अनिवार्य कर दिया है। इनके अतिरिक्त शेष स्त्रियाँ तुम्हारे लिए वैध है कि तुम अपने माल के द्वारा उन्हें प्राप्त करो उनकी पाकदामनी की सुरक्षा के लिए, न कि यह काम स्वच्छन्द काम-तृप्ति के लिए हो। फिर उनसे दाम्पत्य जीवन का आनन्द लो तो उसके बदले उनका निश्चित किया हुए हक़ (मह्रि) अदा करो और यदि हक़ निश्चित हो जाने के पश्चात तुम आपम में अपनी प्रसन्नता से कोई समझौता कर लो, तो इसमें तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं। निस्संदेह अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है |
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518 | 4 | 25 | ومن لم يستطع منكم طولا أن ينكح المحصنات المؤمنات فمن ما ملكت أيمانكم من فتياتكم المؤمنات والله أعلم بإيمانكم بعضكم من بعض فانكحوهن بإذن أهلهن وآتوهن أجورهن بالمعروف محصنات غير مسافحات ولا متخذات أخدان فإذا أحصن فإن أتين بفاحشة فعليهن نصف ما على المحصنات من العذاب ذلك لمن خشي العنت منكم وأن تصبروا خير لكم والله غفور رحيم |
| | | और तुममें से जिस किसी की इतनी सामर्थ्य न हो कि पाकदामन, स्वतंत्र, ईमानवाली स्त्रियों से विवाह कर सके, तो तुम्हारी वे ईमानवाली जवान लौडियाँ ही सही जो तुम्हारे क़ब्ज़े में हो। और अल्लाह तुम्हारे ईमान को भली-भाँति जानता है। तुम सब आपस में एक ही हो, तो उनके मालिकों की अनुमति से तुम उनसे विवाह कर लो और सामान्य नियम के अनुसार उन्हें उनका हक़ भी दो। वे पाकदामनी की सुरक्षा करनेवाली हों, स्वच्छन्द काम-तृप्ति न करनेवाली हों और न वे चोरी-छिपे ग़ैरो से प्रेम करनेवाली हों। फिर जब वे विवाहिता बना ली जाएँ और उसके पश्चात कोई अश्लील कर्म कर बैठें, तो जो दंड सम्मानित स्त्रियों के लिए है, उसका आधा उनके लिए होगा। यह तुममें से उस व्यक्ति के लिए है, जिसे ख़राबी में पड़ जाने का भय हो, और यह कि तुम धैर्य से काम लो तो यह तुम्हारे लिए अधिक अच्छा है। निस्संदेह अल्लाह बहुत क्षमाशील, दयावान है |
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