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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4851 | 54 | 5 | حكمة بالغة فما تغن النذر |
| | | और इन्तेहा दर्जे की दानाई मगर (उनको तो) डराना कुछ फ़ायदा नहीं देता |
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4852 | 54 | 6 | فتول عنهم يوم يدع الداع إلى شيء نكر |
| | | तो (ऐ रसूल) तुम भी उनसे किनाराकश रहो, जिस दिन एक बुलाने वाला (इसराफ़ील) एक अजनबी और नागवार चीज़ की तरफ़ बुलाएगा |
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4853 | 54 | 7 | خشعا أبصارهم يخرجون من الأجداث كأنهم جراد منتشر |
| | | तो (निदामत से) ऑंखें नीचे किए हुए कब्रों से निकल पड़ेंगे गोया वह फैली हुई टिड्डियाँ हैं |
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4854 | 54 | 8 | مهطعين إلى الداع يقول الكافرون هذا يوم عسر |
| | | (और) बुलाने वाले की तरफ गर्दनें बढ़ाए दौड़ते जाते होंगे, कुफ्फ़ार कहेंगे ये तो बड़ा सख्त दिन है |
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4855 | 54 | 9 | كذبت قبلهم قوم نوح فكذبوا عبدنا وقالوا مجنون وازدجر |
| | | इनसे पहले नूह की क़ौम ने भी झुठलाया था, तो उन्होने हमारे (ख़ास) बन्दे (नूह) को झुठलाया, और कहने लगे ये तो दीवाना है |
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4856 | 54 | 10 | فدعا ربه أني مغلوب فانتصر |
| | | और उनको झिड़कियाँ भी दी गयीं, तो उन्होंने अपने परवरदिगार से दुआ की कि (बारे इलाहा मैं) इनके मुक़ाबले में कमज़ोर हूँ |
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4857 | 54 | 11 | ففتحنا أبواب السماء بماء منهمر |
| | | तो अब तू ही (इनसे) बदला ले तो हमने मूसलाधार पानी से आसमान के दरवाज़े खोल दिए |
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4858 | 54 | 12 | وفجرنا الأرض عيونا فالتقى الماء على أمر قد قدر |
| | | और ज़मीन से चश्में जारी कर दिए, तो एक काम के लिए जो मुक़र्रर हो चुका था (दोनों) पानी मिलकर एक हो गया |
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4859 | 54 | 13 | وحملناه على ذات ألواح ودسر |
| | | और हमने एक कश्ती पर जो तख्तों और कीलों से तैयार की गयी थी सवार किया |
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4860 | 54 | 14 | تجري بأعيننا جزاء لمن كان كفر |
| | | और वह हमारी निगरानी में चल रही थी (ये) उस शख़्श (नूह) का बदला लेने के लिए जिसको लोग न मानते थे |
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