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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4622 | 49 | 10 | إنما المؤمنون إخوة فأصلحوا بين أخويكم واتقوا الله لعلكم ترحمون |
| | | मोमिन तो भाई-भाई ही है। अतः अपने दो भाईयो के बीच सुलह करा दो और अल्लाह का डर रखो, ताकि तुमपर दया की जाए |
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4623 | 49 | 11 | يا أيها الذين آمنوا لا يسخر قوم من قوم عسى أن يكونوا خيرا منهم ولا نساء من نساء عسى أن يكن خيرا منهن ولا تلمزوا أنفسكم ولا تنابزوا بالألقاب بئس الاسم الفسوق بعد الإيمان ومن لم يتب فأولئك هم الظالمون |
| | | ऐ लोगो, जो ईमान लाए हो! न पुरुषों का कोई गिरोह दूसरे पुरुषों की हँसी उड़ाए, सम्भव है वे उनसे अच्छे हों और न स्त्रियाँ स्त्रियों की हँसी उड़ाए, सम्भव है वे उनसे अच्छी हों, और न अपनों पर ताने कसो और न आपस में एक-दूसरे को बुरी उपाधियों से पुकारो। ईमान के पश्चात अवज्ञाकारी का नाम जुडना बहुत ही बुरा है। और जो व्यक्ति बाज़ न आए, तो ऐसे ही व्यक्ति ज़ालिम है |
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4624 | 49 | 12 | يا أيها الذين آمنوا اجتنبوا كثيرا من الظن إن بعض الظن إثم ولا تجسسوا ولا يغتب بعضكم بعضا أيحب أحدكم أن يأكل لحم أخيه ميتا فكرهتموه واتقوا الله إن الله تواب رحيم |
| | | ऐ ईमान लानेवालो! बहुत से गुमानों से बचो, क्योंकि कतिपय गुमान गुनाह होते है। और न टोह में पड़ो और न तुममें से कोई किसी की पीठ पीछे निन्दा करे - क्या तुममें से कोई इसको पसन्द करेगा कि वह मरे हुए भाई का मांस खाए? वह तो तुम्हें अप्रिय होगी ही। - और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है |
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4625 | 49 | 13 | يا أيها الناس إنا خلقناكم من ذكر وأنثى وجعلناكم شعوبا وقبائل لتعارفوا إن أكرمكم عند الله أتقاكم إن الله عليم خبير |
| | | ऐ लोगो! हमनें तुम्हें एक पुरुष और एक स्त्री से पैदा किया और तुम्हें बिरादरियों और क़बिलों का रूप दिया, ताकि तुम एक-दूसरे को पहचानो। वास्तव में अल्लाह के यहाँ तुममें सबसे अधिक प्रतिष्ठित वह है, जो तुममे सबसे अधिक डर रखता है। निश्चय ही अल्लाह सबकुछ जाननेवाला, ख़बर रखनेवाला है |
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4626 | 49 | 14 | قالت الأعراب آمنا قل لم تؤمنوا ولكن قولوا أسلمنا ولما يدخل الإيمان في قلوبكم وإن تطيعوا الله ورسوله لا يلتكم من أعمالكم شيئا إن الله غفور رحيم |
| | | बद्दुओं ने कहा कि, "हम ईमान लाए।" कह दो, "तुम ईमान नहीं लाए। किन्तु यूँ कहो, 'हम तो आज्ञाकारी हुए' ईमान तो अभी तुम्हारे दिलों में दाख़िल ही नहीं हुआ। यदि तुम अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करो तो वह तुम्हारे कर्मों में से तुम्हारे लिए कुछ कम न करेगा। निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है।" |
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4627 | 49 | 15 | إنما المؤمنون الذين آمنوا بالله ورسوله ثم لم يرتابوا وجاهدوا بأموالهم وأنفسهم في سبيل الله أولئك هم الصادقون |
| | | मोमिन तो बस वही लोग है जो अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाए, फिर उन्होंने कोई सन्देह नहीं किया और अपने मालों और अपनी जानों से अल्लाह के मार्ग में जिहाद किया। वही लोग सच्चे है |
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4628 | 49 | 16 | قل أتعلمون الله بدينكم والله يعلم ما في السماوات وما في الأرض والله بكل شيء عليم |
| | | कहो, "क्या तुम अल्लाह को अपने धर्म की सूचना दे रहे हो। हालाँकि जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, अल्लाह सब जानता है? अल्लाह को हर चीज़ का ज्ञान है।" |
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4629 | 49 | 17 | يمنون عليك أن أسلموا قل لا تمنوا علي إسلامكم بل الله يمن عليكم أن هداكم للإيمان إن كنتم صادقين |
| | | वे तुमपर एहसान जताते है कि उन्होंने इस्लाम क़बूल कर लिया। कह दो, "मुझ पर अपने इस्लाम का एहसान न रखो, बल्कि यदि तुम सच्चे हो तो अल्लाह ही तुमपर एहसान रखता है कि उसने तुम्हें ईमान की राह दिखाई।- |
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4630 | 49 | 18 | إن الله يعلم غيب السماوات والأرض والله بصير بما تعملون |
| | | "निश्चय ही अल्लाह आकाशों और धरती के अदृष्ट को जानता है। और अल्लाह देख रहा है जो कुछ तुम करते हो।" |
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4631 | 50 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم ق والقرآن المجيد |
| | | क़ाफ़॰; गवाह है क़ुरआन मजीद! - |
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