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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4296 | 42 | 24 | أم يقولون افترى على الله كذبا فإن يشإ الله يختم على قلبك ويمح الله الباطل ويحق الحق بكلماته إنه عليم بذات الصدور |
| | | क्या ये लोग (तुम्हारी निस्बत कहते हैं कि इस (रसूल) ने ख़ुदा पर झूठा बोहतान बाँधा है तो अगर (ऐसा) होता तो) ख़ुदा चाहता तो तुम्हारे दिल पर मोहर लगा देता (कि तुम बात ही न कर सकते) और ख़ुदा तो झूठ को नेस्तनाबूद और अपनी बातों से हक़ को साबित करता है वह यक़ीनी दिलों के राज़ से ख़ूब वाक़िफ है |
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4297 | 42 | 25 | وهو الذي يقبل التوبة عن عباده ويعفو عن السيئات ويعلم ما تفعلون |
| | | और वही तो है जो अपने बन्दों की तौबा क़ुबूल करता है और गुनाहों को माफ़ करता है और तुम लोग जो कुछ भी करते हो वह जानता है |
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4298 | 42 | 26 | ويستجيب الذين آمنوا وعملوا الصالحات ويزيدهم من فضله والكافرون لهم عذاب شديد |
| | | और जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम करते रहे उनकी (दुआ) क़ुबूल करता है फज़ल व क़रम से उनको बढ़ कर देता है और काफिरों के लिए सख्त अज़ाब है |
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4299 | 42 | 27 | ولو بسط الله الرزق لعباده لبغوا في الأرض ولكن ينزل بقدر ما يشاء إنه بعباده خبير بصير |
| | | और अगर ख़ुदा ने अपने बन्दों की रोज़ी में फराख़ी कर दे तो वह लोग ज़रूर (रूए) ज़मीन से सरकशी करने लगें मगर वह तो बाक़दरे मुनासिब जिसकी रोज़ी (जितनी) चाहता है नाज़िल करता है वह बेशक अपने बन्दों से ख़बरदार (और उनको) देखता है |
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4300 | 42 | 28 | وهو الذي ينزل الغيث من بعد ما قنطوا وينشر رحمته وهو الولي الحميد |
| | | और वही तो है जो लोगों के नाउम्मीद हो जाने के बाद मेंह बरसाता है और अपनी रहमत (बारिश की बरकतों) को फैला देता है और वही कारसाज़ (और) हम्द व सना के लायक़ है |
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4301 | 42 | 29 | ومن آياته خلق السماوات والأرض وما بث فيهما من دابة وهو على جمعهم إذا يشاء قدير |
| | | और उसी की (क़ुदरत की) निशानियों में से सारे आसमान व ज़मीन का पैदा करना और उन जानदारों का भी जो उसने आसमान व ज़मीन में फैला रखे हैं और जब चाहे उनके जमा कर लेने पर (भी) क़ादिर है |
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4302 | 42 | 30 | وما أصابكم من مصيبة فبما كسبت أيديكم ويعفو عن كثير |
| | | और जो मुसीबत तुम पर पड़ती है वह तुम्हारे अपने ही हाथों की करतूत से और (उस पर भी) वह बहुत कुछ माफ कर देता है |
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4303 | 42 | 31 | وما أنتم بمعجزين في الأرض وما لكم من دون الله من ولي ولا نصير |
| | | और तुम लोग ज़मीन में (रह कर) तो ख़ुदा को किसी तरह हरा नहीं सकते और ख़ुदा के सिवा तुम्हारा न कोई दोस्त है और न मददगार |
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4304 | 42 | 32 | ومن آياته الجوار في البحر كالأعلام |
| | | और उसी की (क़ुदरत) की निशानियों में से समन्दर में (चलने वाले) (बादबानी जहाज़) है जो गोया पहाड़ हैं |
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4305 | 42 | 33 | إن يشأ يسكن الريح فيظللن رواكد على ظهره إن في ذلك لآيات لكل صبار شكور |
| | | अगर ख़ुदा चाहे तो हवा को ठहरा दे तो जहाज़ भी समन्दर की सतह पर (खड़े के खड़े) रह जाएँ बेशक तमाम सब्र और शुक्र करने वालों के वास्ते इन बातों में (ख़ुदा की क़ुदरत की) बहुत सी निशानियाँ हैं |
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