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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3454 | 30 | 45 | ليجزي الذين آمنوا وعملوا الصالحات من فضله إنه لا يحب الكافرين |
| | | ताकि जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम किए उनको ख़ुदा अपने फज़ल व (करम) से अच्छी जज़ा अता करेगा वह यक़ीनन कुफ्फ़ार से उलफ़त नहीं रखता |
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3455 | 30 | 46 | ومن آياته أن يرسل الرياح مبشرات وليذيقكم من رحمته ولتجري الفلك بأمره ولتبتغوا من فضله ولعلكم تشكرون |
| | | उसी की (क़ुदरत) की निशानियों में से एक ये भी है कि वह हवाओं को (बारिश) की ख़ुशख़बरी के वास्ते (क़ब्ल से) भेज दिया करता है और ताकि तुम्हें अपनी रहमत की लज्ज़त चखाए और इसलिए भी कि (इसकी बदौलत) कश्तियां उसके हुक्म से चल खड़ी हो और ताकि तुम उसके फज़ल व करम से (अपनी रोज़ी) की तलाश करो और इसलिए भी ताकि तुम शुक्र करो |
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3456 | 30 | 47 | ولقد أرسلنا من قبلك رسلا إلى قومهم فجاءوهم بالبينات فانتقمنا من الذين أجرموا وكان حقا علينا نصر المؤمنين |
| | | औ (ऐ रसूल) हमने तुमसे पहले और भी बहुत से पैग़म्बर उनकी क़ौमों के पास भेजे तो वह पैग़म्बर वाज़ेए व रौशन लेकर आए (मगर उन लोगों ने न माना) तो उन मुजरिमों से हमने (खूब) बदला लिया और हम पर तो मोमिनीन की मदद करना लाज़िम था ही |
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3457 | 30 | 48 | الله الذي يرسل الرياح فتثير سحابا فيبسطه في السماء كيف يشاء ويجعله كسفا فترى الودق يخرج من خلاله فإذا أصاب به من يشاء من عباده إذا هم يستبشرون |
| | | ख़ुदा ही (क़ादिर तवाना) है जो हवाओं को भेजता है तो वह बादलों को उड़ाए उड़ाए फिरती हैं फिर वही ख़ुदा बादल को जिस तरह चाहता है आसमान में फैला देता है और (कभी) उसको टुकड़े (टुकड़े) कर देता है फिर तुम देखते हो कि बूँदियां उसके दरमियान से निकल पड़ती हैं फिर जब ख़ुदा उन्हें अपने बन्दों में से जिस पर चहता है बरसा देता है तो वह लोग खुशियाँ माानने लगते हैं |
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3458 | 30 | 49 | وإن كانوا من قبل أن ينزل عليهم من قبله لمبلسين |
| | | अगरचे ये लोग उन पर (बाराने रहमत) नाज़िल होने से पहले (बारिश से) शुरु ही से बिल्कुल मायूस (और मज़बूर) थे |
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3459 | 30 | 50 | فانظر إلى آثار رحمت الله كيف يحيي الأرض بعد موتها إن ذلك لمحيي الموتى وهو على كل شيء قدير |
| | | ग़रज़ ख़ुदा की रहमत के आसार की तरफ देखो तो कि वह क्योंकर ज़मीन को उसकी परती होने के बाद आबाद करता है बेशक यक़ीनी वही मुर्दो को ज़िन्दा करने वाला और वही हर चीज़ पर क़ादिर है |
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3460 | 30 | 51 | ولئن أرسلنا ريحا فرأوه مصفرا لظلوا من بعده يكفرون |
| | | और अगर हम (खेती की नुकसान देह) हवा भेजें फिर लोग खेती को (उसी हवा की वजह से) ज़र्द (परस मुर्दा) देखें तो वह लोग इसके बाद (फौरन) नाशुक्री करने लगें |
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3461 | 30 | 52 | فإنك لا تسمع الموتى ولا تسمع الصم الدعاء إذا ولوا مدبرين |
| | | (ऐ रसूल) तुम तो (अपनी) आवाज़ न मुर्दो ही को सुना सकते हो और न बहरों को सुना सकते हो (ख़ुसूसन) जब वह पीठ फेरकर चले जाएँ |
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3462 | 30 | 53 | وما أنت بهاد العمي عن ضلالتهم إن تسمع إلا من يؤمن بآياتنا فهم مسلمون |
| | | और न तुम अंधों को उनकी गुमराही से (फेरकर) राह पर ला सकते हो तो तुम तो बस उन्हीं लोगों को सुना (समझा) सकते हो जो हमारी आयतों को दिल से मानें फिर यही लोग इस्लाम लाने वाले हैं |
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3463 | 30 | 54 | الله الذي خلقكم من ضعف ثم جعل من بعد ضعف قوة ثم جعل من بعد قوة ضعفا وشيبة يخلق ما يشاء وهو العليم القدير |
| | | खुदा ही तो है जिसने तुम्हें (एक निहायत) कमज़ोर चीज़ (नुत्फे) से पैदा किया फिर उसी ने (तुम में) बचपने की कमज़ोरी के बाद (शबाब की) क़ूवत अता की फिर उसी ने (तुममें जवानी की) क़ूवत के बाद कमज़ोरी और बुढ़ापा पैदा कर दिया वह जो चाहता पैदा करता है-और वही बड़ा वाकिफकार और (हर चीज़ पर) क़ाबू रखता है |
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