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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3351 | 29 | 11 | وليعلمن الله الذين آمنوا وليعلمن المنافقين |
| | | और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया ख़ुदा उनको यक़ीनन जानता है और मुनाफेक़ीन को भी ज़रुर जानता है |
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3352 | 29 | 12 | وقال الذين كفروا للذين آمنوا اتبعوا سبيلنا ولنحمل خطاياكم وما هم بحاملين من خطاياهم من شيء إنهم لكاذبون |
| | | और कुफ्फार ईमान वालों से कहने लगे कि हमारे तरीक़े पर चलो और (क़यामत में) तुम्हारे गुनाहों (के बोझ) को हम (अपने सर) ले लेंगे हालॉकि ये लोग ज़रा भी तो उनके गुनाह उठाने वाले नहीं ये लोग यक़ीनी झूठे हैं |
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3353 | 29 | 13 | وليحملن أثقالهم وأثقالا مع أثقالهم وليسألن يوم القيامة عما كانوا يفترون |
| | | और (हाँ) ये लोग अपने (गुनाह के) बोझे तो यक़ीनी उठाएँगें ही और अपने बोझो के साथ जिन्हें गुमराह किया उनके बोझे भी उठाएँगे और जो इफ़ितेरा परदाज़िया ये लोग करते रहे हैं क़यामत के दिन उन से ज़रुर उसकी बाज़पुर्स होगी |
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3354 | 29 | 14 | ولقد أرسلنا نوحا إلى قومه فلبث فيهم ألف سنة إلا خمسين عاما فأخذهم الطوفان وهم ظالمون |
| | | और हमने नूह को उनकी क़ौम के पास (पैग़म्बर बनाकर) भेजा तो वह उनमें पचास कम हज़ार बरस रहे (और हिदायत किया किए और जब न माना) तो आख़िर तूफान ने उन्हें ले डाला और वह उस वक्त भी सरकश ही थे |
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3355 | 29 | 15 | فأنجيناه وأصحاب السفينة وجعلناها آية للعالمين |
| | | फिर हमने नूह और कश्ती में रहने वालों को बचा लिया और हमने इस वाक़िये को सारी ख़ुदाई के वास्ते (अपनी क़ुदरत की) निशानी क़रार दी |
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3356 | 29 | 16 | وإبراهيم إذ قال لقومه اعبدوا الله واتقوه ذلكم خير لكم إن كنتم تعلمون |
| | | और इबराहीम को (याद करो) जब उन्होंने कहा कि (भाईयों) ख़ुदा की इबादत करो और उससे डरो अगर तुम समझते बूझते हो तो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है |
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3357 | 29 | 17 | إنما تعبدون من دون الله أوثانا وتخلقون إفكا إن الذين تعبدون من دون الله لا يملكون لكم رزقا فابتغوا عند الله الرزق واعبدوه واشكروا له إليه ترجعون |
| | | (मगर) तुम लोग तो ख़ुदा को छोड़कर सिर्फ बुतों की परसतिश करते हैं और झूठी बातें (अपने दिल से) गढ़ते हो इसमें तो शक ही नहीं कि ख़ुदा को छोड़कर जिन लोगों की तुम परसतिश करते हो वह तुम्हारी रोज़ी का एख्तेयार नही रखते-बस ख़ुदा ही से रोज़ी भी माँगों और उसकी इबादत भी करो उसका शुक्र करो (क्योंकि) तुम लोग (एक दिन) उसी की तरफ लौटाए जाओगे |
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3358 | 29 | 18 | وإن تكذبوا فقد كذب أمم من قبلكم وما على الرسول إلا البلاغ المبين |
| | | और (ऐ अहले मक्का) अगर तुमने (मेरे रसूल को) झुठलाया तो (कुछ परवाह नहीं) तुमसे पहले भी तो बहुतेरी उम्मते (अपने पैग़म्बरों को) झुठला चुकी हैं और रसूल के ज़िम्मे तो सिर्फ (एहक़ाम का) पहुँचा देना है |
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3359 | 29 | 19 | أولم يروا كيف يبدئ الله الخلق ثم يعيده إن ذلك على الله يسير |
| | | बस क्या उन लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया कि ख़ुदा किस तरह मख़लूकात को पहले पहल पैदा करता है और फिर उसको दोबारा पैदा करेगा ये तो ख़ुदा के नज़दीक बहुत आसान बात है |
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3360 | 29 | 20 | قل سيروا في الأرض فانظروا كيف بدأ الخلق ثم الله ينشئ النشأة الآخرة إن الله على كل شيء قدير |
| | | (ऐ रसूल इन लोगों से) तुम कह दो कि ज़रा रुए ज़मीन पर चलफिर कर देखो तो कि ख़ुदा ने किस तरह पहले पहल मख़लूक को पैदा किया फिर (उसी तरह वही) ख़ुदा (क़यामत के दिन) आखिरी पैदाइश पैदा करेगा- बेशक ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है |
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