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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3037 | 26 | 105 | كذبت قوم نوح المرسلين |
| | | (यूँ ही) नूह की क़ौम ने पैग़म्बरो को झुठलाया |
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3038 | 26 | 106 | إذ قال لهم أخوهم نوح ألا تتقون |
| | | कि जब उनसे उन के भाई नूह ने कहा कि तुम लोग (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते मै तो तुम्हारा यक़ीनी अमानत दार पैग़म्बर हूँ |
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3039 | 26 | 107 | إني لكم رسول أمين |
| | | तुम खुदा से डरो और मेरी इताअत करो |
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3040 | 26 | 108 | فاتقوا الله وأطيعون |
| | | और मैं इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ उजरत तो माँगता नहीं |
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3041 | 26 | 109 | وما أسألكم عليه من أجر إن أجري إلا على رب العالمين |
| | | मेरी उजरत तो बस सारे जहाँ के पालने वाले ख़ुदा पर है |
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3042 | 26 | 110 | فاتقوا الله وأطيعون |
| | | तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो वह लोग बोले जब कमीनो मज़दूरों वग़ैरह ने (लालच से) तुम्हारी पैरवी कर ली है |
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3043 | 26 | 111 | قالوا أنؤمن لك واتبعك الأرذلون |
| | | तो हम तुम पर क्या ईमान लाएं |
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3044 | 26 | 112 | قال وما علمي بما كانوا يعملون |
| | | नूह ने कहा ये लोग जो कुछ करते थे मुझे क्या ख़बर (और क्या ग़रज़) |
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3045 | 26 | 113 | إن حسابهم إلا على ربي لو تشعرون |
| | | इन लोगों का हिसाब तो मेरे परवरदिगार के ज़िम्मे है |
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3046 | 26 | 114 | وما أنا بطارد المؤمنين |
| | | काश तुम (इतनी) समझ रखते और मै तो ईमानदारों को अपने पास से निकालने वाला नहीं |
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