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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2934 | 26 | 2 | تلك آيات الكتاب المبين |
| | | ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें है |
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2935 | 26 | 3 | لعلك باخع نفسك ألا يكونوا مؤمنين |
| | | (ऐ रसूल) शायद तुम (इस फिक्र में) अपनी जान हलाक कर डालोगे कि ये (कुफ्फार) मोमिन क्यो नहीं हो जाते |
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2936 | 26 | 4 | إن نشأ ننزل عليهم من السماء آية فظلت أعناقهم لها خاضعين |
| | | अगर हम चाहें तो उन लोगों पर आसमान से कोई ऐसा मौजिज़ा नाज़िल करें कि उन लोगों की गर्दनें उसके सामने झुक जाएँ |
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2937 | 26 | 5 | وما يأتيهم من ذكر من الرحمن محدث إلا كانوا عنه معرضين |
| | | और (लोगों का क़ायदा है कि) जब उनके पास कोई कोई नसीहत की बात ख़ुदा की तरफ से आयी तो ये लोग उससे मुँह फेरे बगैर नहीं रहे |
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2938 | 26 | 6 | فقد كذبوا فسيأتيهم أنباء ما كانوا به يستهزئون |
| | | उन लोगों ने झुठलाया ज़रुर तो अनक़रीब ही (उन्हें) इस (अज़ाब) की हक़ीकत मालूम हो जाएगी जिसकी ये लोग हँसी उड़ाया करते थे |
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2939 | 26 | 7 | أولم يروا إلى الأرض كم أنبتنا فيها من كل زوج كريم |
| | | क्या इन लोगों ने ज़मीन की तरफ भी (ग़ौर से) नहीं देखा कि हमने हर रंग की उम्दा उम्दा चीजें उसमें किस कसरत से उगायी हैं |
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2940 | 26 | 8 | إن في ذلك لآية وما كان أكثرهم مؤمنين |
| | | यक़ीनन इसमें (भी क़ुदरत) ख़ुदा की एक बड़ी निशानी है मगर उनमें से अक्सर ईमान लाने वाले ही नहीं |
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2941 | 26 | 9 | وإن ربك لهو العزيز الرحيم |
| | | और इसमें शक नहीं कि तेरा परवरदिगार यक़ीनन (हर चीज़ पर) ग़ालिब (और) मेहरबान है |
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2942 | 26 | 10 | وإذ نادى ربك موسى أن ائت القوم الظالمين |
| | | (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब तुम्हारे परवरदिगार ने मूसा को आवाज़ दी कि (इन) ज़ालिमों फिरऔन की क़ौम के पास जाओ (हिदायत करो) |
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2943 | 26 | 11 | قوم فرعون ألا يتقون |
| | | क्या ये लोग (मेरे ग़ज़ब से) डरते नहीं है |
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