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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2865 | 25 | 10 | تبارك الذي إن شاء جعل لك خيرا من ذلك جنات تجري من تحتها الأنهار ويجعل لك قصورا |
| | | बरकतवाला है वह जो यदि चाहे तो तुम्हारे लिए इससे भी उत्तम प्रदान करे, बहत-से बाग़ जिनके नीचे नहरें बह रही हों, और तुम्हारे लिए बहुत-से महल तैया कर दे |
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2866 | 25 | 11 | بل كذبوا بالساعة وأعتدنا لمن كذب بالساعة سعيرا |
| | | नहीं, बल्कि बात यह है कि वे लोग क़ियामत की घड़ी को झुठला चुके है। और जो उस घड़ी को झुठला दे, उसके लिए दहकती आग तैयार कर रखी है |
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2867 | 25 | 12 | إذا رأتهم من مكان بعيد سمعوا لها تغيظا وزفيرا |
| | | जब वह उनको दूर से देखेगी तो वे उसके बिफरने और साँस खींचने की आवाज़ें सुनेंगे |
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2868 | 25 | 13 | وإذا ألقوا منها مكانا ضيقا مقرنين دعوا هنالك ثبورا |
| | | और जब वे उसकी किसी तंग जगह जकड़े हुए डाले जाएँगे, तो वहाँ विनाश को पुकारने लगेंगे |
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2869 | 25 | 14 | لا تدعوا اليوم ثبورا واحدا وادعوا ثبورا كثيرا |
| | | (कहा जाएगा,) "आज एक विनाश को मत पुकारो, बल्कि बहुत-से विनाशों को पुकारो!" |
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2870 | 25 | 15 | قل أذلك خير أم جنة الخلد التي وعد المتقون كانت لهم جزاء ومصيرا |
| | | कहो, "यह अच्छा है या वह शाश्वत जन्नत, जिसका वादा डर रखनेवालों से किया गया है? यह उनका बदला और अन्तिम मंज़िल होगी।" |
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2871 | 25 | 16 | لهم فيها ما يشاءون خالدين كان على ربك وعدا مسئولا |
| | | उनके लिए उसमें वह सबकुछ होगा, जो वे चाहेंगे। उसमें वे सदैव रहेंगे। यह तुम्हारे रब के ज़िम्मे एक ऐसा वादा है जो प्रार्थनीय है |
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2872 | 25 | 17 | ويوم يحشرهم وما يعبدون من دون الله فيقول أأنتم أضللتم عبادي هؤلاء أم هم ضلوا السبيل |
| | | और जिस दिन उन्हें इकट्ठा किया जाएगा और उनको भी जिन्हें वे अल्लाह को छोड़कर पूजते है, फिर वह कहेगा, "क्या मेरे बन्दों को तुमने पथभ्रष्ट किया था या वे स्वयं मार्ग छोड़ बैठे थे?" |
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2873 | 25 | 18 | قالوا سبحانك ما كان ينبغي لنا أن نتخذ من دونك من أولياء ولكن متعتهم وآباءهم حتى نسوا الذكر وكانوا قوما بورا |
| | | वे कहेंगे, "महान और उच्च है तू! यह हमसे नहीं हो सकता था कि तुझे छोड़कर दूसरे संरक्षक बनाएँ। किन्तु हुआ यह कि तूने उन्हें औऱ उनके बाप-दादा को अत्यधिक सुख-सामग्री दी, यहाँ तक कि वे अनुस्मृति को भुला बैठे और विनष्ट होनेवाले लोग होकर रहे।" |
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2874 | 25 | 19 | فقد كذبوكم بما تقولون فما تستطيعون صرفا ولا نصرا ومن يظلم منكم نذقه عذابا كبيرا |
| | | अतः इस प्रकार वे तुम्हें उस बात में, जो तुम कहते हो झूठा ठहराए हुए है। अब न तो तुम यातना को फेर सकते हो और न कोई सहायता ही पा सकते हो। जो कोई तुममें से ज़ुल्म करे उसे हम बड़ी यातना का मज़ा चखाएँगे |
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