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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2732 | 23 | 59 | والذين هم بربهم لا يشركون |
| | | और अपने परवरदिगार का किसी को शरीक नही बनाते |
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2733 | 23 | 60 | والذين يؤتون ما آتوا وقلوبهم وجلة أنهم إلى ربهم راجعون |
| | | और जो लोग (ख़ुदा की राह में) जो कुछ बन पड़ता है देते हैं और फिर उनके दिल को इस बात का खटका लगा हुआ है कि उन्हें अपने परवरदिगार के सामने लौट कर जाना है |
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2734 | 23 | 61 | أولئك يسارعون في الخيرات وهم لها سابقون |
| | | (देखिये क्या होता है) यही लोग अलबत्ता नेकियों में जल्दी करते हैं और भलाई की तरफ (दूसरों से) लपक के आगे बढ़ जाते हैं |
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2735 | 23 | 62 | ولا نكلف نفسا إلا وسعها ولدينا كتاب ينطق بالحق وهم لا يظلمون |
| | | और हम तो किसी शख्स को उसकी क़ूवत से बढ़के तकलीफ देते ही नहीं और हमारे पास तो (लोगों के आमाल की) किताब है जो बिल्कुल ठीक (हाल बताती है) और उन लोगों की (ज़र्रा बराबर) हक़ तलफी नहीं की जाएगी |
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2736 | 23 | 63 | بل قلوبهم في غمرة من هذا ولهم أعمال من دون ذلك هم لها عاملون |
| | | उनके दिल उसकी तरफ से ग़फलत में पडे हैं इसके अलावा उन के बहुत से आमाल हैं जिन्हें ये (बराबर किया करते है) और बाज़ नहीं आते |
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2737 | 23 | 64 | حتى إذا أخذنا مترفيهم بالعذاب إذا هم يجأرون |
| | | यहाँ तक कि जब हम उनके मालदारों को अज़ाब में गिरफ््तार करेंगे तो ये लोग वावैला करने लगेंगें |
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2738 | 23 | 65 | لا تجأروا اليوم إنكم منا لا تنصرون |
| | | (उस वक्त क़हा जाएगा) आज वावैला मत करों तुमको अब हमारी तरफ से मदद नहीं मिल सकती |
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2739 | 23 | 66 | قد كانت آياتي تتلى عليكم فكنتم على أعقابكم تنكصون |
| | | (जब) हमारी आयतें तुम्हारे सामने पढ़ी जाती थीं तो तुम अकड़ते किस्सा कहते बकते हुए उन से उलटे पाँव फिर जाते |
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2740 | 23 | 67 | مستكبرين به سامرا تهجرون |
| | | तो क्या उन लोगों ने (हमारी) बात (कुरान) पर ग़ौर नहीं किया |
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2741 | 23 | 68 | أفلم يدبروا القول أم جاءهم ما لم يأت آباءهم الأولين |
| | | उनके पास कोई ऐसी नयी चीज़ आयी जो उनके अगले बाप दादाओं के पास नहीं आयी थी |
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