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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
263 | 2 | 256 | لا إكراه في الدين قد تبين الرشد من الغي فمن يكفر بالطاغوت ويؤمن بالله فقد استمسك بالعروة الوثقى لا انفصام لها والله سميع عليم |
| | | धर्म के विषय में कोई ज़बरदस्ती नहीं। सही बात नासमझी की बात से अलग होकर स्पष्ट हो गई है। तो अब जो कोई बढ़े हुए सरकश को ठुकरा दे और अल्लाह पर ईमान लाए, उसने ऐसा मज़बूत सहारा थाम लिया जो कभी टूटनेवाला नहीं। अल्लाह सब कुछ सुनने, जाननेवाला है |
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264 | 2 | 257 | الله ولي الذين آمنوا يخرجهم من الظلمات إلى النور والذين كفروا أولياؤهم الطاغوت يخرجونهم من النور إلى الظلمات أولئك أصحاب النار هم فيها خالدون |
| | | जो लोग ईमान लाते है, अल्लाह उनका रक्षक और सहायक है। वह उन्हें अँधेरों से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाता है। रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया तो उनके संरक्षक बढ़े हुए सरकश है। वे उन्हें प्रकाश से निकालकर अँधेरों की ओर ले जाते है। वही आग (जहन्नम) में पड़नेवाले है। वे उसी में सदैव रहेंगे |
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265 | 2 | 258 | ألم تر إلى الذي حاج إبراهيم في ربه أن آتاه الله الملك إذ قال إبراهيم ربي الذي يحيي ويميت قال أنا أحيي وأميت قال إبراهيم فإن الله يأتي بالشمس من المشرق فأت بها من المغرب فبهت الذي كفر والله لا يهدي القوم الظالمين |
| | | क्या तुमने उनको नहीं देखा, जिसने इबराहीम से उसके 'रब' के सिलसिले में झगड़ा किया था, इस कारण कि अल्लाह ने उसको राज्य दे रखा था? जब इबराहीम ने कहा, "मेरा 'रब' वह है जो जिलाता और मारता है।" उसने कहा, "मैं भी तो जिलाता और मारता हूँ।" इबराहीम ने कहा, "अच्छा तो अल्लाह सूर्य को पूरब से लाता है, तो तू उसे पश्चिम से ले आ।" इसपर वह अधर्मी चकित रह गया। अल्लाह ज़ालिम लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता |
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266 | 2 | 259 | أو كالذي مر على قرية وهي خاوية على عروشها قال أنى يحيي هذه الله بعد موتها فأماته الله مائة عام ثم بعثه قال كم لبثت قال لبثت يوما أو بعض يوم قال بل لبثت مائة عام فانظر إلى طعامك وشرابك لم يتسنه وانظر إلى حمارك ولنجعلك آية للناس وانظر إلى العظام كيف ننشزها ثم نكسوها لحما فلما تبين له قال أعلم أن الله على كل شيء قدير |
| | | या उस जैसे (व्यक्ति) को नहीं देखा, जिसका एक ऐसी बस्ती पर से गुज़र हुआ, जो अपनी छतों के बल गिरी हुई थी। उसने कहा, "अल्लाह इसके विनष्ट हो जाने के पश्चात इसे किस प्रकार जीवन प्रदान करेगा?" तो अल्लाह ने उसे सौ वर्ष की मृत्यु दे दी, फिर उसे उठा खड़ा किया। कहा, "तू कितनी अवधि तक इस अवस्था नें रहा।" उसने कहा, "मैं एक या दिन का कुछ हिस्सा रहा।" कहा, "नहीं, बल्कि तू सौ वर्ष रहा है। अब अपने खाने और पीने की चीज़ों को देख ले, उन पर समय का कोई प्रभाव नहीं, और अपने गधे को भी देख, और यह इसलिए कह रहे है ताकि हम तुझे लोगों के लिए एक निशानी बना दें और हड्डियों को देख कि किस प्रकार हम उन्हें उभारते है, फिर, उनपर माँस चढ़ाते है।" तो जब वास्तविकता उस पर प्रकट हो गई तो वह पुकार उठा, " मैं जानता हूँ कि अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।" |
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267 | 2 | 260 | وإذ قال إبراهيم رب أرني كيف تحيي الموتى قال أولم تؤمن قال بلى ولكن ليطمئن قلبي قال فخذ أربعة من الطير فصرهن إليك ثم اجعل على كل جبل منهن جزءا ثم ادعهن يأتينك سعيا واعلم أن الله عزيز حكيم |
| | | और याद करो जब इबराहीम ने कहा, "ऐ मेरे रब! मुझे दिखा दे, तू मुर्दों को कैसे जीवित करेगा?" कहा," क्या तुझे विश्वास नहीं?" उसने कहा,"क्यों नहीं, किन्तु निवेदन इसलिए है कि मेरा दिल संतुष्ट हो जाए।" कहा, "अच्छा, तो चार पक्षी ले, फिर उन्हें अपने साथ भली-भाँति हिला-मिला से, फिर उनमें से प्रत्येक को एक-एक पर्वत पर रख दे, फिर उनको पुकार, वे तेरे पास लपककर आएँगे। और जान ले कि अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।" |
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268 | 2 | 261 | مثل الذين ينفقون أموالهم في سبيل الله كمثل حبة أنبتت سبع سنابل في كل سنبلة مائة حبة والله يضاعف لمن يشاء والله واسع عليم |
| | | जो लोग अपने माल अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करते है, उनकी उपमा ऐसी है, जैसे एक दाना हो, जिससे सात बालें निकलें और प्रत्येक बाल में सौ दाने हो। अल्लाह जिसे चाहता है बढ़ोतरी प्रदान करता है। अल्लाह बड़ी समाईवाला, जाननेवाला है |
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269 | 2 | 262 | الذين ينفقون أموالهم في سبيل الله ثم لا يتبعون ما أنفقوا منا ولا أذى لهم أجرهم عند ربهم ولا خوف عليهم ولا هم يحزنون |
| | | जो लोग अपने माल अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करते है, फिर ख़र्च करके उसका न एहसान जताते है और न दिल दुखाते है, उनका बदला उनके अपने रब के पास है। और न तो उनके लिए कोई भय होगा और न वे दुखी होंगे |
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270 | 2 | 263 | قول معروف ومغفرة خير من صدقة يتبعها أذى والله غني حليم |
| | | एक भली बात कहनी और क्षमा से काम लेना उस सदक़े से अच्छा है, जिसके पीछे दुख हो। और अल्लाह अत्यन्कृत निस्पृह (बेनियाज़), सहनशील है |
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271 | 2 | 264 | يا أيها الذين آمنوا لا تبطلوا صدقاتكم بالمن والأذى كالذي ينفق ماله رئاء الناس ولا يؤمن بالله واليوم الآخر فمثله كمثل صفوان عليه تراب فأصابه وابل فتركه صلدا لا يقدرون على شيء مما كسبوا والله لا يهدي القوم الكافرين |
| | | ऐ ईमानवालो! अपने सदक़ो को एहसान जताकर और दुख देकर उस व्यक्ति की तरह नष्ट न करो जो लोगों को दिखाने के लिए अपना माल ख़र्च करता है और अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान नहीं रखता। तो उसकी हालत उस चट्टान जैसी है जिसपर कुछ मिट्टी पड़ी हुई थी, फिर उस पर ज़ोर की वर्षा हुई और उसे साफ़ चट्टान की दशा में छोड़ गई। ऐसे लोग अपनी कमाई कुछ भी प्राप्त नहीं करते। और अल्लाह इनकार की नीति अपनानेवालों को मार्ग नहीं दिखाता |
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272 | 2 | 265 | ومثل الذين ينفقون أموالهم ابتغاء مرضات الله وتثبيتا من أنفسهم كمثل جنة بربوة أصابها وابل فآتت أكلها ضعفين فإن لم يصبها وابل فطل والله بما تعملون بصير |
| | | और जो लोग अपने माल अल्लाह की प्रसन्नता के संसाधनों की तलब में और अपने दिलों को जमाव प्रदान करने के कारण ख़र्च करते है उनकी हालत उस बाग़़ की तरह है जो किसी अच्छी और उर्वर भूमि पर हो। उस पर घोर वर्षा हुई तो उसमें दुगुने फल आए। फिर यदि घोर वर्षा उस पर नहीं हुई, तो फुहार ही पर्याप्त होगी। तुम जो कुछ भी करते हो अल्लाह उसे देख रहा है |
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