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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2606 | 22 | 11 | ومن الناس من يعبد الله على حرف فإن أصابه خير اطمأن به وإن أصابته فتنة انقلب على وجهه خسر الدنيا والآخرة ذلك هو الخسران المبين |
| | | और लोगों में कोई ऐसा है, जो एक किनारे पर रहकर अल्लाह की बन्दगी करता है। यदि उसे लाभ पहुँचा तो उससे सन्तुष्ट हो गया और यदि उसे कोई आज़माइश पेश आ गई तो औंधा होकर पलट गया। दुनिया भी खोई और आख़िरत भी। यही है खुला घाटा |
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2607 | 22 | 12 | يدعو من دون الله ما لا يضره وما لا ينفعه ذلك هو الضلال البعيد |
| | | वह अल्लाह को छोड़कर उसे पुकारता है, जो न उसे हानि पहुँचा सके और न उसे लाभ पहुँचा सके। यही हैं परले दर्जे की गुमराही |
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2608 | 22 | 13 | يدعو لمن ضره أقرب من نفعه لبئس المولى ولبئس العشير |
| | | वह उसको पुकारता है जिससे पहुँचनेवाली हानि उससे अपेक्षित लाभ की अपेक्षा अधिक निकट है। बहुत ही बुरा संरक्षक है वह और बहुत ही बुरा साथी! |
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2609 | 22 | 14 | إن الله يدخل الذين آمنوا وعملوا الصالحات جنات تجري من تحتها الأنهار إن الله يفعل ما يريد |
| | | निश्चय ही अल्लाह उन लोगों को, जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, ऐसे बाग़ों में दाखिल करेगा, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। निस्संदेह अल्लाह जो चाहे करे |
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2610 | 22 | 15 | من كان يظن أن لن ينصره الله في الدنيا والآخرة فليمدد بسبب إلى السماء ثم ليقطع فلينظر هل يذهبن كيده ما يغيظ |
| | | जो कोई यह समझता है कि अल्लाह दुनिया औऱ आख़िरत में उसकी (रसूल की) कदापि कोई सहायता न करेगा तो उसे चाहिए कि वह आकाश की ओर एक रस्सी ताने, फिर (अल्लाह की सहायता के सिलसिले को) काट दे। फिर देख ले कि क्या उसका उपाय उस चीज़ को दूर कर सकता है जो उसे क्रोध में डाले हुए है |
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2611 | 22 | 16 | وكذلك أنزلناه آيات بينات وأن الله يهدي من يريد |
| | | इसी प्रकार हमने इस (क़ुरआन) को स्पष्ट आयतों के रूप में अवतरित किया। और बात यह है कि अल्लाह जिसे चाहता है मार्ग दिखाता है |
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2612 | 22 | 17 | إن الذين آمنوا والذين هادوا والصابئين والنصارى والمجوس والذين أشركوا إن الله يفصل بينهم يوم القيامة إن الله على كل شيء شهيد |
| | | जो लोग ईमान लाए और जो यहूदी हुए और साबिई और ईसाई और मजूस और जिन लोगों ने शिर्क किया - इस सबके बीच अल्लाह क़ियामत के दिन फ़ैसला कर देगा। निस्संदेह अल्लाह की दृष्टि में हर चीज़ है |
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2613 | 22 | 18 | ألم تر أن الله يسجد له من في السماوات ومن في الأرض والشمس والقمر والنجوم والجبال والشجر والدواب وكثير من الناس وكثير حق عليه العذاب ومن يهن الله فما له من مكرم إن الله يفعل ما يشاء |
| | | क्या तुमनें देखा नहीं कि अल्लाह ही को सजदा करते है वे सब जो आकाशों में है और जो धरती में है, और सूर्य, चन्द्रमा, तारे पहाड़, वृक्ष, जानवर और बहुत-से मनुष्य? और बहुत-से ऐसे है जिनपर यातना का औचित्य सिद्ध हो चुका है, और जिसे अल्लाह अपमानित करे उस सम्मानित करनेवाला कोई नहीं। निस्संदेह अल्लाह जो चाहे करता है |
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2614 | 22 | 19 | هذان خصمان اختصموا في ربهم فالذين كفروا قطعت لهم ثياب من نار يصب من فوق رءوسهم الحميم |
| | | ये दो विवादी हैं, जो अपने रब के विषय में आपस में झगड़े। अतः जिन लोगों ने कुफ्र किया उनके लिए आग के वस्त्र काटे जा चुके है। उनके सिरों पर खौलता हुआ पानी डाला जाएगा |
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2615 | 22 | 20 | يصهر به ما في بطونهم والجلود |
| | | इससे जो कुछ उनके पेटों में है, वह पिघल जाएगा और खालें भी |
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