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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2529 | 21 | 46 | ولئن مستهم نفحة من عذاب ربك ليقولن يا ويلنا إنا كنا ظالمين |
| | | और (ऐ रसूल) अगर कहीं उनको तुम्हारे परवरदिगार के अज़ाब की ज़रा सी हवा भी लग गई तो वे सख्त! बोल उठे हाय अफसोस वाक़ई हम ही ज़ालिम थे |
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2530 | 21 | 47 | ونضع الموازين القسط ليوم القيامة فلا تظلم نفس شيئا وإن كان مثقال حبة من خردل أتينا بها وكفى بنا حاسبين |
| | | और क़यामत के दिन तो हम (बन्दों के भले बुरे आमाल तौलने के लिए) इन्साफ़ की तराज़ू में खड़ी कर देंगे तो फिर किसी शख्स पर कुछ भी ज़ुल्म न किया जाएगा और अगर राई के दाने के बराबर भी किसी का (अमल) होगा तो तुम उसे ला हाज़िर करेंगे और हम हिसाब करने के वास्ते बहुत काफ़ी हैं |
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2531 | 21 | 48 | ولقد آتينا موسى وهارون الفرقان وضياء وذكرا للمتقين |
| | | और हम ही ने यक़ीनन मूसा और हारून को (हक़ व बातिल की) जुदा करने वाली किताब (तौरेत) और परहेज़गारों के लिए अज़सरतापा बनूँ और नसीहत अता की |
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2532 | 21 | 49 | الذين يخشون ربهم بالغيب وهم من الساعة مشفقون |
| | | जो बे देखे अपने परवरदिगार से ख़ौफ खाते हैं और ये लोग रोज़े क़यामत से भी डरते हैं |
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2533 | 21 | 50 | وهذا ذكر مبارك أنزلناه أفأنتم له منكرون |
| | | और ये (कुरान भी) एक बाबरकत तज़किरा है जिसको हमने उतारा है तो क्या तुम लोग इसको नहीं मानते |
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2534 | 21 | 51 | ولقد آتينا إبراهيم رشده من قبل وكنا به عالمين |
| | | और इसमें भी शक नहीं कि हमने इबराहीम को पहले ही से फ़हेम सलीम अता की थी और हम उन (की हालत) से खूब वाक़िफ थे |
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2535 | 21 | 52 | إذ قال لأبيه وقومه ما هذه التماثيل التي أنتم لها عاكفون |
| | | जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा ये मूर्ते जिनकी तुम लोग मुजाबिरी करते हो आख़िर क्या (बला) है |
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2536 | 21 | 53 | قالوا وجدنا آباءنا لها عابدين |
| | | वह लोग बोले (और तो कुछ नहीं जानते मगर) अपने बडे बूढ़ों को इनही की परसतिश करते देखा है |
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2537 | 21 | 54 | قال لقد كنتم أنتم وآباؤكم في ضلال مبين |
| | | इबराहीम ने कहा यक़ीनन तुम भी और तुम्हारे बुर्जुग़ भी खुली हुईगुमराही में पड़े हुए थे |
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2538 | 21 | 55 | قالوا أجئتنا بالحق أم أنت من اللاعبين |
| | | वह लोग कहने लगे तो क्या तुम हमारे पास हक़ बात लेकर आए हो या तुम भी (यूँ ही) दिल्लगी करते हो |
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