بسم الله الرحمن الرحيم

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248020132وأمر أهلك بالصلاة واصطبر عليها لا نسألك رزقا نحن نرزقك والعاقبة للتقوى
और अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म दो और तुम खुद भी उसके पाबन्द रहो हम तुम से रोज़ी तो तलब करते नहीं (बल्कि) हम तो खुद तुमको रोज़ी देते हैं और परहेज़गारी ही का तो अन्जाम बखैर है
248120133وقالوا لولا يأتينا بآية من ربه أولم تأتهم بينة ما في الصحف الأولى
और (अहले मक्का) कहते हैं कि अपने परवरदिगार की तरफ से हमारे पास कोई मौजिज़ा हमारी मर्ज़ी के मुवाफिक़ क्यों नहीं लाते तो क्या जो (पेशीव गोइयाँ) अगली किताबों (तौरेत, इन्जील) में (इसकी) गवाह हैं वह भी उनके पास नहीं पहुँची
248220134ولو أنا أهلكناهم بعذاب من قبله لقالوا ربنا لولا أرسلت إلينا رسولا فنتبع آياتك من قبل أن نذل ونخزى
और अगर हम उनको इस रसूल से पहले अज़ाब से हलाक कर डालते तो ज़रूर कहते कि ऐ हमारे पालने वाले तूने हमारे पास (अपना) रसूल क्यों न भेजा तो हम अपने ज़लील व रूसवा होने से पहले तेरी आयतों की पैरवी ज़रूर करते
248320135قل كل متربص فتربصوا فستعلمون من أصحاب الصراط السوي ومن اهتدى
रसूल तुम कह दो कि हर शख्स (अपने अन्जामकार का) मुन्तिज़र है तो तुम भी इन्तिज़ार करो फिर तो तुम्हें बहुत जल्द मालूम हो जाएगा कि सीधी राह वाले कौन हैं (और कज़ी पर कौन हैं) हिदायत याफ़ता कौन है और गुमराह कौन है।
2484211بسم الله الرحمن الرحيم اقترب للناس حسابهم وهم في غفلة معرضون
लोगों के पास उनका हिसाब (उसका वक्त) अा पहुँचा और वह है कि गफ़लत में पड़े मुँह मोड़े ही जाते हैं
2485212ما يأتيهم من ذكر من ربهم محدث إلا استمعوه وهم يلعبون
जब उनके परवरदिगार की तरफ से उनके पास कोई नया हुक्म आता है तो उसे सिर्फ कान लगाकर सुन लेते हैं और (फिर उसका) हँसी खेल उड़ाते हैं
2486213لاهية قلوبهم وأسروا النجوى الذين ظلموا هل هذا إلا بشر مثلكم أفتأتون السحر وأنتم تبصرون
उनके दिल (आख़िरत के ख्याल से) बिल्कुल बेख़बर हैं और ये ज़ालिम चुपके-चुपके कानाफूसी किया करते हैं कि ये शख्स (मोहम्मद कुछ भी नहीं) बस तुम्हारे ही सा आदमी है तो क्या तुम दीन व दानिस्ता जादू में फँसते हो
2487214قال ربي يعلم القول في السماء والأرض وهو السميع العليم
(तो उस पर) रसूल ने कहा कि मेरा परवरदिगार जितनी बातें आसमान और ज़मीन में होती हैं खूब जानता है (फिर क्यों कानाफूसी करते हो) और वह तो बड़ा सुनने वाला वाक़िफ़कार है
2488215بل قالوا أضغاث أحلام بل افتراه بل هو شاعر فليأتنا بآية كما أرسل الأولون
(उस पर भी उन लोगों ने इक्तिफ़ा न की) बल्कि कहने लगे (ये कुरान तो) ख़ाबहाय परीशाँ का मजमूआ है बल्कि उसने खुद अपने जी से झूट-मूट गढ़ लिया है बल्कि ये शख्स शायर है और अगर हक़ीकतन रसूल है) तो जिस तरह अगले पैग़म्बर मौजिज़ों के साथ भेजे गए थे
2489216ما آمنت قبلهم من قرية أهلكناها أفهم يؤمنون
उसी तरह ये भी कोई मौजिज़ा (जैसा हम कहें) हमारे पास भला लाए तो सही इनसे पहले जिन बस्तियों को तबाह कर डाला (मौजिज़े भी देखकर तो) ईमान न लाए


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