بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
2254194قال رب إني وهن العظم مني واشتعل الرأس شيبا ولم أكن بدعائك رب شقيا
उसने कहा, "मेरे रब! मेरी हड्डियाँ कमज़ोर हो गई और सिर बुढापे से भड़क उठा। और मेरे रब! तुझे पुकारकर मैं कभी बेनसीब नहीं रहा
2255195وإني خفت الموالي من ورائي وكانت امرأتي عاقرا فهب لي من لدنك وليا
मुझे अपने पीछे अपने भाई-बन्धुओं की ओर से भय है और मेरी पत्नी बाँझ है। अतः तू मुझे अपने पास से एक उत्ताराधिकारी प्रदान कर,
2256196يرثني ويرث من آل يعقوب واجعله رب رضيا
जो मेरा भी उत्तराधिकारी हो और याक़ूब के वशंज का भी उत्तराधिकारी हो। और उसे मेरे रब! वांछनीय बना।"
2257197يا زكريا إنا نبشرك بغلام اسمه يحيى لم نجعل له من قبل سميا
(उत्तर मिला,) "ऐ ज़करीया! हम तुझे एक लड़के की शुभ सूचना देते है, जिसका नाम यह्यार होगा। हमने उससे पहले किसी को उसके जैसा नहीं बनाया।"
2258198قال رب أنى يكون لي غلام وكانت امرأتي عاقرا وقد بلغت من الكبر عتيا
उसने कहा, "मेरे रब! मेरे लड़का कहाँ से होगा, जबकि मेरी पत्नी बाँझ है और मैं बुढ़ापे की अन्तिम अवस्था को पहुँच चुका हूँ?"
2259199قال كذلك قال ربك هو علي هين وقد خلقتك من قبل ولم تك شيئا
कहा, "ऐसा ही होगा। तेरे रब ने कहा कि यह मेरे लिए सरल है। इससे पहले मैं तुझे पैदा कर चुका हूँ, जबकि तू कुछ भी न था।"
22601910قال رب اجعل لي آية قال آيتك ألا تكلم الناس ثلاث ليال سويا
उसने कहा, "मेरे रब! मेरे लिए कोई निशानी निश्चित कर दे।" कहा, "तेरी निशानी यह है कि तू भला-चंगा रहकर भी तीन रात (और दिन) लोगों से बात न करे।"
22611911فخرج على قومه من المحراب فأوحى إليهم أن سبحوا بكرة وعشيا
अतः वह मेहराब से निकलकर अपने लोगों के पास आया और उनसे संकेतों में कहा, "प्रातः काल और सन्ध्या समय तसबीह करते रहो।"
22621912يا يحيى خذ الكتاب بقوة وآتيناه الحكم صبيا
"ऐ यह्याऔ! किताब को मज़बूत थाम ले।" हमने उसे बचपन ही में निर्णय-शक्ति प्रदान की,
22631913وحنانا من لدنا وزكاة وكان تقيا
और अपने पास से नरमी और शौक़ और आत्मविश्वास। और वह बड़ा डरनेवाला था


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