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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2254 | 19 | 4 | قال رب إني وهن العظم مني واشتعل الرأس شيبا ولم أكن بدعائك رب شقيا |
| | | उसने कहा, "मेरे रब! मेरी हड्डियाँ कमज़ोर हो गई और सिर बुढापे से भड़क उठा। और मेरे रब! तुझे पुकारकर मैं कभी बेनसीब नहीं रहा |
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2255 | 19 | 5 | وإني خفت الموالي من ورائي وكانت امرأتي عاقرا فهب لي من لدنك وليا |
| | | मुझे अपने पीछे अपने भाई-बन्धुओं की ओर से भय है और मेरी पत्नी बाँझ है। अतः तू मुझे अपने पास से एक उत्ताराधिकारी प्रदान कर, |
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2256 | 19 | 6 | يرثني ويرث من آل يعقوب واجعله رب رضيا |
| | | जो मेरा भी उत्तराधिकारी हो और याक़ूब के वशंज का भी उत्तराधिकारी हो। और उसे मेरे रब! वांछनीय बना।" |
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2257 | 19 | 7 | يا زكريا إنا نبشرك بغلام اسمه يحيى لم نجعل له من قبل سميا |
| | | (उत्तर मिला,) "ऐ ज़करीया! हम तुझे एक लड़के की शुभ सूचना देते है, जिसका नाम यह्यार होगा। हमने उससे पहले किसी को उसके जैसा नहीं बनाया।" |
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2258 | 19 | 8 | قال رب أنى يكون لي غلام وكانت امرأتي عاقرا وقد بلغت من الكبر عتيا |
| | | उसने कहा, "मेरे रब! मेरे लड़का कहाँ से होगा, जबकि मेरी पत्नी बाँझ है और मैं बुढ़ापे की अन्तिम अवस्था को पहुँच चुका हूँ?" |
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2259 | 19 | 9 | قال كذلك قال ربك هو علي هين وقد خلقتك من قبل ولم تك شيئا |
| | | कहा, "ऐसा ही होगा। तेरे रब ने कहा कि यह मेरे लिए सरल है। इससे पहले मैं तुझे पैदा कर चुका हूँ, जबकि तू कुछ भी न था।" |
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2260 | 19 | 10 | قال رب اجعل لي آية قال آيتك ألا تكلم الناس ثلاث ليال سويا |
| | | उसने कहा, "मेरे रब! मेरे लिए कोई निशानी निश्चित कर दे।" कहा, "तेरी निशानी यह है कि तू भला-चंगा रहकर भी तीन रात (और दिन) लोगों से बात न करे।" |
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2261 | 19 | 11 | فخرج على قومه من المحراب فأوحى إليهم أن سبحوا بكرة وعشيا |
| | | अतः वह मेहराब से निकलकर अपने लोगों के पास आया और उनसे संकेतों में कहा, "प्रातः काल और सन्ध्या समय तसबीह करते रहो।" |
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2262 | 19 | 12 | يا يحيى خذ الكتاب بقوة وآتيناه الحكم صبيا |
| | | "ऐ यह्याऔ! किताब को मज़बूत थाम ले।" हमने उसे बचपन ही में निर्णय-शक्ति प्रदान की, |
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2263 | 19 | 13 | وحنانا من لدنا وزكاة وكان تقيا |
| | | और अपने पास से नरमी और शौक़ और आत्मविश्वास। और वह बड़ा डरनेवाला था |
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