نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1797 | 14 | 47 | فلا تحسبن الله مخلف وعده رسله إن الله عزيز ذو انتقام |
| | | तो तुम ये ख्याल (भी) न करना कि ख़ुदा अपने रसूलों से ख़िलाफ वायदा करेगा इसमें शक़ नहीं कि ख़ुदा (सबसे) ज़बरदस्त बदला लेने वाला है |
|
1798 | 14 | 48 | يوم تبدل الأرض غير الأرض والسماوات وبرزوا لله الواحد القهار |
| | | (मगर कब) जिस दिन ये ज़मीन बदलकर दूसरी ज़मीन कर दी जाएगी और (इसी तरह) आसमान (भी बदल दिए जाएँगें) और सब लोग यकता क़हार (ज़बरदस्त) ख़ुदा के रुबरु (अपनी अपनी जगह से) निकल खड़े होगें |
|
1799 | 14 | 49 | وترى المجرمين يومئذ مقرنين في الأصفاد |
| | | और तुम उस दिन गुनेहगारों को देखोगे कि ज़ज़ीरों मे जकड़े हुए होगें |
|
1800 | 14 | 50 | سرابيلهم من قطران وتغشى وجوههم النار |
| | | उनके (बदन के) कपड़े क़तरान (तारकोल) के होगे और उनके चेहरों को आग (हर तरफ से) ढाके होगी |
|
1801 | 14 | 51 | ليجزي الله كل نفس ما كسبت إن الله سريع الحساب |
| | | ताकि ख़ुदा हर शख़्श को उसके किए का बदला दे (अच्छा तो अच्छा बुरा तो बुरा) बेशक ख़ुदा बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है |
|
1802 | 14 | 52 | هذا بلاغ للناس ولينذروا به وليعلموا أنما هو إله واحد وليذكر أولو الألباب |
| | | ये (क़ुरान) लोगों के लिए एक क़िस्म की इत्तेला (जानकारी) है ताकि लोग उसके ज़रिये से (अज़ाबे ख़ुदा से) डराए जाए और ताकि ये भी ये यक़ीन जान लें कि बस वही (ख़ुदा) एक माबूद है और ताकि जो लोग अक्ल वाले हैं नसीहत व इबरत हासिल करें |
|
1803 | 15 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم الر تلك آيات الكتاب وقرآن مبين |
| | | अलिफ़ लाम रा ये किताब (ख़ुदा) और वाजेए व रौशन क़ुरान की (चन्द) आयते हैं |
|
1804 | 15 | 2 | ربما يود الذين كفروا لو كانوا مسلمين |
| | | (एक दिन वह भी आने वाला है कि) जो लोग काफ़िर हो बैठे हैं अक्सर दिल से चाहेंगें |
|
1805 | 15 | 3 | ذرهم يأكلوا ويتمتعوا ويلههم الأمل فسوف يعلمون |
| | | काश (हम भी) मुसलमान होते (ऐ रसूल) उन्हें उनकी हालत पर रहने दो कि खा पी लें और (दुनिया के चन्द रोज़) चैन कर लें और उनकी तमन्नाएँ उन्हें खेल तमाशे में लगाए रहीं |
|
1806 | 15 | 4 | وما أهلكنا من قرية إلا ولها كتاب معلوم |
| | | अनक़रीब ही (इसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा और हमने कभी कोई बस्ती तबाह नहीं की मगर ये कि उसकी तबाही के लिए (पहले ही से) समझी बूझी मियाद मुक़र्रर लिखी हुई थी |
|