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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1772 | 14 | 22 | وقال الشيطان لما قضي الأمر إن الله وعدكم وعد الحق ووعدتكم فأخلفتكم وما كان لي عليكم من سلطان إلا أن دعوتكم فاستجبتم لي فلا تلوموني ولوموا أنفسكم ما أنا بمصرخكم وما أنتم بمصرخي إني كفرت بما أشركتمون من قبل إن الظالمين لهم عذاب أليم |
| | | और जब (लोगों का) ख़ैर फैसला हो चुकेगा (और लोग शैतान को इल्ज़ाम देगें) तो शैतान कहेगा कि ख़ुदा ने तुम से सच्चा वायदा किया था (तो वह पूरा हो गया) और मैने भी वायदा तो किया था फिर मैने वायदा ख़िलाफ़ी की और मुझे कुछ तुम पर हुकूमत तो थी नहीं मगर इतनी बात थी कि मैने तुम को (बुरे कामों की तरफ) बुलाया और तुमने मेरा कहा मान लिया तो अब तुम मुझे बुंरा (भला) न कहो बल्कि (अगर कहना है तो) अपने नफ्स को बुरा कहो (आज) न तो मैं तुम्हारी फरियाद को पहुँचा सकता हूँ और न तुम मेरी फरियाद कर सकते हो मै तो उससे पहले ही बेज़ार हूँ कि तुमने मुझे (ख़ुदा का) शरीक बनाया बेशक जो लोग नाफरमान हैं उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है |
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1773 | 14 | 23 | وأدخل الذين آمنوا وعملوا الصالحات جنات تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها بإذن ربهم تحيتهم فيها سلام |
| | | और जिन लोगों ने (सदक़ दिल से) ईमान क़ुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किए वह (बेहश्त के) उन बाग़ों में दाख़िल किए जाएँगें जिनके नीचे नहरे जारी होगी और वह अपने परवरदिगार के हुक्म से हमेशा उसमें रहेगें वहाँ उन (की मुलाक़ात) का तोहफा सलाम का हो |
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1774 | 14 | 24 | ألم تر كيف ضرب الله مثلا كلمة طيبة كشجرة طيبة أصلها ثابت وفرعها في السماء |
| | | (ऐ रसूल) क्या तुमने नहीं देखा कि ख़ुदा ने अच्छी बात (मसलन कलमा तौहीद की) वैसी अच्छी मिसाल बयान की है कि (अच्छी बात) गोया एक पाकीज़ा दरख्त है कि उसकी जड़ मज़बूत है और उसकी टहनियाँ आसमान में लगी हो |
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1775 | 14 | 25 | تؤتي أكلها كل حين بإذن ربها ويضرب الله الأمثال للناس لعلهم يتذكرون |
| | | अपने परवरदिगार के हुक्म से हर वक्त फ़ला (फूला) रहता है और ख़ुदा लोगों के वास्ते (इसलिए) मिसालें बयान फरमाता है ताकि लोग नसीहत व इबरत हासिल करें |
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1776 | 14 | 26 | ومثل كلمة خبيثة كشجرة خبيثة اجتثت من فوق الأرض ما لها من قرار |
| | | और गन्दी बात (जैसे कलमाए शिर्क) की मिसाल गोया एक गन्दे दरख्त की सी है (जिसकी जड़ ऐसी कमज़ोर हो) कि ज़मीन के ऊपर ही से उखाड़ फेंका जाए (क्योंकि) उसको कुछ ठहराओ तो है नहीं |
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1777 | 14 | 27 | يثبت الله الذين آمنوا بالقول الثابت في الحياة الدنيا وفي الآخرة ويضل الله الظالمين ويفعل الله ما يشاء |
| | | जो लोग पक्की बात (कलमा तौहीद) पर (सदक़ दिल से ईमान ला चुके उनको ख़ुदा दुनिया की ज़िन्दगी में भी साबित क़दम रखता है और आख़िरत में भी साबित क़दम रखेगा (और) उन्हें सवाल व जवाब में कोई वक्त न होगा और सरकशों को ख़ुदा गुमराही में छोड़ देता है और ख़ुदा जो चाहता है करता है |
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1778 | 14 | 28 | ألم تر إلى الذين بدلوا نعمت الله كفرا وأحلوا قومهم دار البوار |
| | | (ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के हाल पर ग़ौर नहीं किया जिन्होंने मेरे एहसान के बदले नाशुक्री की एख्तियार की और अपनी क़ौम को हलाकत के घरवाहे (जहन्नुम) में झोंक दिया |
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1779 | 14 | 29 | جهنم يصلونها وبئس القرار |
| | | कि सबके सब जहन्नुम वासिल होगें और वह (क्या) बुरा ठिकाना है |
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1780 | 14 | 30 | وجعلوا لله أندادا ليضلوا عن سبيله قل تمتعوا فإن مصيركم إلى النار |
| | | और वह लोग दूसरो को ख़ुदा का हमसर (बराबर) बनाने लगे ताकि (लोगों को) उसकी राह से बहका दे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (ख़ैर चन्द रोज़ तो) चैन कर लो फिर तो तुम्हें दोज़ख की तरफ लौट कर जाना ही है |
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1781 | 14 | 31 | قل لعبادي الذين آمنوا يقيموا الصلاة وينفقوا مما رزقناهم سرا وعلانية من قبل أن يأتي يوم لا بيع فيه ولا خلال |
| | | (ऐ रसूल) मेरे वह बन्दे जो ईमान ला चुके उन से कह दो कि पाबन्दी से नमाज़ पढ़ा करें और जो कुछ हमने उन्हें रोज़ी दी है उसमें से (ख़ुदा की राह में) छिपाकर या दिखा कर ख़र्च किया करे उस दिन (क़यामत) के आने से पहल जिसमें न तो (ख़रीदो) फरोख्त ही (काम आएगी) न दोस्ती मोहब्बत काम (आएगी) |
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