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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1719 | 13 | 12 | هو الذي يريكم البرق خوفا وطمعا وينشئ السحاب الثقال |
| | | वह वही तो है जो तुम्हें डराने और लालच देने के वास्ते बिजली की चमक दिखाता है और पानी से भरे बोझल बादलों को पैदा करता है |
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1720 | 13 | 13 | ويسبح الرعد بحمده والملائكة من خيفته ويرسل الصواعق فيصيب بها من يشاء وهم يجادلون في الله وهو شديد المحال |
| | | और ग़र्ज और फरिश्ते उसके ख़ौफ से उसकी हम्दो सना की तस्बीह किया करते हैं वही (आसमान से) बिजलियों को भेजता है फिर उसे जिस पर चाहता है गिरा भी देता है और ये लोग ख़ुदा के बारे में (ख्वामाख्वाह) झगड़े करते हैं हालॉकि वह बड़ा सख्त क़ूवत वाला है |
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1721 | 13 | 14 | له دعوة الحق والذين يدعون من دونه لا يستجيبون لهم بشيء إلا كباسط كفيه إلى الماء ليبلغ فاه وما هو ببالغه وما دعاء الكافرين إلا في ضلال |
| | | (मुसीबत के वक्त) उसी का (पुकारना) ठीक पुकारना है और जो लोग उसे छोड़कर (दूसरों को) पुकारते हैं वह तो उनकी कुछ सुनते तक नहीं मगर जिस तरह कोई शख़्श (बग़ैर उंगलियां मिलाए) अपनी दोनों हथेलियाँ पानी की तरफ फैलाए ताकि पानी उसके मुँह में पहुँच जाए हालॉकि वह किसी तरह पहुँचने वाला नहीं और (इसी तरह) काफिरों की दुआ गुमराही में (पड़ी बहकी फिरा करती है) |
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1722 | 13 | 15 | ولله يسجد من في السماوات والأرض طوعا وكرها وظلالهم بالغدو والآصال |
| | | और आसमानों और ज़मीन में (मख़लूक़ात से) जो कोई भी है खुशी से या ज़बरदस्ती सब (अल्लाह के आगे सर बसजूद हैं और (इसी तरह) उनके साए भी सुबह व शाम (सजदा करते हैं) (15) (सजदा) |
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1723 | 13 | 16 | قل من رب السماوات والأرض قل الله قل أفاتخذتم من دونه أولياء لا يملكون لأنفسهم نفعا ولا ضرا قل هل يستوي الأعمى والبصير أم هل تستوي الظلمات والنور أم جعلوا لله شركاء خلقوا كخلقه فتشابه الخلق عليهم قل الله خالق كل شيء وهو الواحد القهار |
| | | (ऐ रसूल) तुम पूछो कि (आख़िर) आसमान और ज़मीन का परवरदिगार कौन है (ये क्या जवाब देगें) तुम कह दो कि अल्लाह है (ये भी कह दो कि क्या तुमने उसके सिवा दूसरे कारसाज़ बना रखे हैं जो अपने लिए आप न तो नफे पर क़ाबू रखते हैं न ज़रर (नुकसान) पर (ये भी तो) पूछो कि भला (कहीं) अन्धा और ऑंखों वाला बराबर हो सकता है (हरगिज़ नहीं) (या कहीं) अंधेरा और उजाला बराबर हो सकता है (हरगिज़ नहीं) इन लोगों ने ख़ुदा के कुछ शरीक़ ठहरा रखे हैं क्या उन्होनें ख़ुदा ही की सी मख़लूक़ पैदा कर रखी है जिनके सबब मख़लूकात उन पर मुशतबा हो गई है (और उनकी खुदाई के क़ायल हो गए) तुम कह दो कि ख़ुदा ही हर चीज़ का पैदा करने वाला और वही यकता और सिपर (सब पर) ग़ालिब है |
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1724 | 13 | 17 | أنزل من السماء ماء فسالت أودية بقدرها فاحتمل السيل زبدا رابيا ومما يوقدون عليه في النار ابتغاء حلية أو متاع زبد مثله كذلك يضرب الله الحق والباطل فأما الزبد فيذهب جفاء وأما ما ينفع الناس فيمكث في الأرض كذلك يضرب الله الأمثال |
| | | उसी ने आसमान से पानी बरसाया फिर अपने अपने अन्दाज़े से नाले बह निकले फिर पानी के रेले पर (जोश खाकर) फूला हुआ झाग (फेन) आ गया और उस चीज़ (धातु) से भी जिसे ये लोग ज़ेवर या कोई असबाब बनाने की ग़रज़ से आग में तपाते हैं इसी तरह फेन आ जाता है (फिर अलग हो जाता है) युं ख़ुदा हक़ व बातिल की मसले बयान फरमाता है (कि पानी हक़ की मिसाल और फेन बातिल की) ग़रज़ फेन तो खुश्क होकर ग़ायब हो जाता है जिससे लोगों को नफा पहुँचता है (पानी) वह ज़मीन में ठहरा रहता है युं ख़ुदा (लोगों के समझाने के वास्ते) मसले बयान फरमाता है |
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1725 | 13 | 18 | للذين استجابوا لربهم الحسنى والذين لم يستجيبوا له لو أن لهم ما في الأرض جميعا ومثله معه لافتدوا به أولئك لهم سوء الحساب ومأواهم جهنم وبئس المهاد |
| | | जिन लोगों ने अपने परवरदिगार का कहना माना उनके लिए बहुत बेहतरी है और जिन लोगों ने उसका कहा न माना (क़यामत में उनकी ये हालत होगी) कि अगर उन्हें रुए ज़मीन के सब ख़ज़ाने बल्कि उसके साथ इतना और मिल जाए तो ये लोग अपनी नजात के बदले उसको (ये खुशी) दे डालें (मगर फिर भी कोई फायदा नहीं) यही लोग हैं जिनसे बुरी तरह हिसाब लिया जाएगा और आख़िर उन का ठिकाना जहन्नुम है और वह क्या बुरी जगह है |
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1726 | 13 | 19 | أفمن يعلم أنما أنزل إليك من ربك الحق كمن هو أعمى إنما يتذكر أولو الألباب |
| | | (ऐ रसूल) भला वह शख़्श जो ये जानता है कि जो कुछ तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर नाज़िल हुआ है बिल्कुल ठीक है कभी उस शख़्श के बराबर हो सकता है जो मुत्तलिक़ (पूरा) अंधा है (हरगिज़ नहीं) |
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1727 | 13 | 20 | الذين يوفون بعهد الله ولا ينقضون الميثاق |
| | | इससे तो बस कुछ समझदार लोग ही नसीहत हासिल करते हैं वह लोग है कि ख़ुदा से जो एहद किया उसे पूरा करते हैं और अपने पैमान को नहीं तोड़ते |
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1728 | 13 | 21 | والذين يصلون ما أمر الله به أن يوصل ويخشون ربهم ويخافون سوء الحساب |
| | | (ये) वह लोग हैं कि जिन (ताल्लुक़ात) के क़ायम रखने का ख़ुदा ने हुक्म दिया उन्हें क़ायम रखते हैं और अपने परवरदिगार से डरते हैं और (क़यामत के दिन) बुरी तरह हिसाब लिए जाने से ख़ौफ खाते हैं |
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