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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1453 | 10 | 89 | قال قد أجيبت دعوتكما فاستقيما ولا تتبعان سبيل الذين لا يعلمون |
| | | कहा, "तुम दोनों की प्रार्थना स्वीकृत हो चुकी। अतः तुम दोनों जमें रहो और उन लोगों के मार्ग पर कदापि न चलना, जो जानते नहीं।" |
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1454 | 10 | 90 | وجاوزنا ببني إسرائيل البحر فأتبعهم فرعون وجنوده بغيا وعدوا حتى إذا أدركه الغرق قال آمنت أنه لا إله إلا الذي آمنت به بنو إسرائيل وأنا من المسلمين |
| | | और हमने इसराईलियों को समुद्र पार करा दिया। फिर फ़िरऔन और उसकी सेनाओं ने सरकशी और ज़्यादती के साथ उनका पीछा किया, यहाँ तक कि जब वह डूबने लगा तो पुकार उठा, "मैं ईमान ले आया कि उसके सिव कोई पूज्य-प्रभु नही, जिस पर इसराईल की सन्तान ईमान लाई। अब मैं आज्ञाकारी हूँ।" |
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1455 | 10 | 91 | آلآن وقد عصيت قبل وكنت من المفسدين |
| | | "क्या अब? हालाँकि इससे पहले तुने अवज्ञा की और बिगाड़ पैदा करनेवालों में से था |
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1456 | 10 | 92 | فاليوم ننجيك ببدنك لتكون لمن خلفك آية وإن كثيرا من الناس عن آياتنا لغافلون |
| | | "अतः आज हम तेरे शरीर को बचा लेगें, ताकि तू अपने बादवालों के लिए एक निशानी हो जाए। निश्चय ही, बहुत-से लोग हमारी निशानियों के प्रति असावधान ही रहते है।" |
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1457 | 10 | 93 | ولقد بوأنا بني إسرائيل مبوأ صدق ورزقناهم من الطيبات فما اختلفوا حتى جاءهم العلم إن ربك يقضي بينهم يوم القيامة فيما كانوا فيه يختلفون |
| | | और हमने इसराईल की सन्तान को अच्छा, सम्मानित ठिकाना दिया औ उन्हें अच्छी आजीविका प्रदान की। फिर उन्होंने उस समय विभेद किया, जबकि ज्ञान उनके पास आ चुका था। निश्चय ही तुम्हारा रब क़ियामत के दिन उनके बीच उस चीज़ का फ़ैसला कर देगा, जिसमें वे विभेद करते रहे है |
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1458 | 10 | 94 | فإن كنت في شك مما أنزلنا إليك فاسأل الذين يقرءون الكتاب من قبلك لقد جاءك الحق من ربك فلا تكونن من الممترين |
| | | अतः यदि तुम्हें उस चीज़ के बारे में कोई संदेह हो, जो हमने तुम्हारी ओर अवतरित की है, तो उनसे पूछ लो जो तुमसे पहले से किताब पढ़ रहे है। तुम्हारे पास तो तुम्हारे रब की ओर से सत्य आ चुका। अतः तुम कदापि सन्देह करनेवाले न हो |
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1459 | 10 | 95 | ولا تكونن من الذين كذبوا بآيات الله فتكون من الخاسرين |
| | | और न उन लोगों में सम्मिलित होना जिन्होंन अल्लाह की आयतों को झुठलाया, अन्यथा तुम घाटे में पड़कर रहोगे |
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1460 | 10 | 96 | إن الذين حقت عليهم كلمت ربك لا يؤمنون |
| | | निस्संदेह जिन लोगों के विषय में तुम्हारे रब की बात सच्ची होकर रही वे ईमान नहीं लाएँगे, |
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1461 | 10 | 97 | ولو جاءتهم كل آية حتى يروا العذاب الأليم |
| | | जब तक के वे दुखद यातना न देख लें, चाहे प्रत्येक निशानी उनके पास आ जाए |
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1462 | 10 | 98 | فلولا كانت قرية آمنت فنفعها إيمانها إلا قوم يونس لما آمنوا كشفنا عنهم عذاب الخزي في الحياة الدنيا ومتعناهم إلى حين |
| | | फिर ऐसी कोई बस्ती क्यों न हुई कि वह ईमान लाती और उसका ईमान उसके लिए लाभप्रद सिद्ध होता? हाँ, यूनुस की क़ौम के लोग इसके लिए अपवाद है। जब वे ईमान लाए तो हमने सांसारिक जीवन में अपमानजनक यातना को उनपर से टाल दिया और उन्हें एक अवधि तक सुखोपभोग का अवसर प्रदान किया |
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