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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1387 | 10 | 23 | فلما أنجاهم إذا هم يبغون في الأرض بغير الحق يا أيها الناس إنما بغيكم على أنفسكم متاع الحياة الدنيا ثم إلينا مرجعكم فننبئكم بما كنتم تعملون |
| | | फिर जब ख़ुदा ने उन्हें नजात दी तो वह लोग ज़मीन पर (कदम रखते ही) फौरन नाहक़ सरकशी करने लगते हैं (ऐ लोगों तुम्हारी सरकशी का वबाल) तो तुम्हारी ही जान पर है - (ये भी) दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी का फायदा है फिर आख़िर हमारी (ही) तरफ तुमको लौटकर आना है तो (उस वक्त) हम तुमको जो कुछ (दुनिया में) करते थे बता देगे |
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1388 | 10 | 24 | إنما مثل الحياة الدنيا كماء أنزلناه من السماء فاختلط به نبات الأرض مما يأكل الناس والأنعام حتى إذا أخذت الأرض زخرفها وازينت وظن أهلها أنهم قادرون عليها أتاها أمرنا ليلا أو نهارا فجعلناها حصيدا كأن لم تغن بالأمس كذلك نفصل الآيات لقوم يتفكرون |
| | | दुनियावी ज़िदगी की मसल तो बस पानी की सी है कि हमने उसको आसमान से बरसाया फिर ज़मीन के साग पात जिसको लोग और चौपाए खा जाते हैं (उसके साथ मिल जुलकर निकले यहाँ तक कि जब ज़मीन ने (फसल की चीज़ों से) अपना बनाओ सिंगार कर लिया और (हर तरह) आरास्ता हो गई और खेत वालों ने समझ लिया कि अब वह उस पर यक़ीनन क़ाबू पा गए (जब चाहेंगे काट लेगे) यकायक हमारा हुक्म व अज़ाब रात या दिन को आ पहुँचा तो हमने उस खेत को ऐसा साफ कटा हुआ बना दिया कि गोया कुल उसमें कुछ था ही नहीं जो लोग ग़ौर व फिक्र करते हैं उनके वास्ते हम आयतों को यूँ तफसीलदार बयान करते है |
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1389 | 10 | 25 | والله يدعو إلى دار السلام ويهدي من يشاء إلى صراط مستقيم |
| | | और ख़ुदा तो आराम के घर (बेहश्त) की तरफ बुलाता है और जिसको चाहता है सीधे रास्ते की हिदायत करता है |
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1390 | 10 | 26 | للذين أحسنوا الحسنى وزيادة ولا يرهق وجوههم قتر ولا ذلة أولئك أصحاب الجنة هم فيها خالدون |
| | | जिन लोगों ने दुनिया में भलाई की उनके लिए (आख़िरत में भी) भलाई है (बल्कि) और कुछ बढ़कर और न (गुनेहगारों की तरह) उनके चेहरों पर कालिक लगी हुई होगी और न (उन्हें ज़िल्लत होगी यही लोग जन्नती हैं कि उसमें हमेशा रहा सहा करेंगे |
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1391 | 10 | 27 | والذين كسبوا السيئات جزاء سيئة بمثلها وترهقهم ذلة ما لهم من الله من عاصم كأنما أغشيت وجوههم قطعا من الليل مظلما أولئك أصحاب النار هم فيها خالدون |
| | | और जिन लोगों ने बुरे काम किए हैं तो गुनाह की सज़ा उसके बराबर है और उन पर रुसवाई छाई होगी ख़ुदा (के अज़ाब) से उनका कोई बचाने वाला न होगा (उनके मुह ऐसे काले होंगे) गोया उनके चेहरे यबों यज़ूर (अंधेरी रात) के टुकड़े से ढक दिए गए हैं यही लोग जहन्नुमी हैं कि ये उसमें हमेशा रहेंगे |
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1392 | 10 | 28 | ويوم نحشرهم جميعا ثم نقول للذين أشركوا مكانكم أنتم وشركاؤكم فزيلنا بينهم وقال شركاؤهم ما كنتم إيانا تعبدون |
| | | (ऐ रसूल उस दिन से डराओ) जिस दिन सब को इकट्ठा करेगें-फिर मुशरेकीन से कहेंगें कि तुम और तुम्हारे (बनाए हुए ख़ुदा के) शरीक ज़रा अपनी जगह ठहरो फिर हम वाहम उनमें फूट डाल देगें और उनके शरीक उनसे कहेंगे कि तुम तो हमारी परसतिश करते न थे |
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1393 | 10 | 29 | فكفى بالله شهيدا بيننا وبينكم إن كنا عن عبادتكم لغافلين |
| | | तो (अब) हमारे और तुम्हारे दरमियान गवाही के वास्ते ख़ुदा ही काफी है हम को तुम्हारी परसतिश की ख़बर ही न थी |
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1394 | 10 | 30 | هنالك تبلو كل نفس ما أسلفت وردوا إلى الله مولاهم الحق وضل عنهم ما كانوا يفترون |
| | | (ग़रज़) वहाँ हर शख़्श जो कुछ जिसने पहले (दुनिया में) किया है जाँच लेगा और वह सब के सब अपने सच्चे मालिक ख़ुदा की बारगाह में लौटकर लाए जाएँगें और (दुनिया में) जो कुछ इफ़तेरा परदाज़िया (झूठी बातें) करते थे सब उनके पास से चल चंपत हो जाएगें |
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1395 | 10 | 31 | قل من يرزقكم من السماء والأرض أمن يملك السمع والأبصار ومن يخرج الحي من الميت ويخرج الميت من الحي ومن يدبر الأمر فسيقولون الله فقل أفلا تتقون |
| | | ऐ रसूल तुम उने ज़रा पूछो तो कि तुम्हें आसमान व ज़मीन से कौन रोज़ी देता है या (तुम्हारे) कान और (तुम्हारी) ऑंखों का कौन मालिक है और कौन शख़्श मुर्दे से ज़िन्दा को निकालता है और ज़िन्दा से मुर्दे को निकालता है और हर अम्र (काम) का बन्दोबस्त कौन करता है तो फौरन बोल उठेंगे कि ख़ुदा (ऐ रसूल) तुम कहो तो क्या तुम इस पर भी (उससे) नहीं डरते हो |
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1396 | 10 | 32 | فذلكم الله ربكم الحق فماذا بعد الحق إلا الضلال فأنى تصرفون |
| | | फिर वही ख़ुदा तो तुम्हारा सच्चा रब है फिर हक़ बात के बाद गुमराही के सिवा और क्या है फिर तुम कहाँ फिरे चले जा रहे हो |
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