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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
134 | 2 | 127 | وإذ يرفع إبراهيم القواعد من البيت وإسماعيل ربنا تقبل منا إنك أنت السميع العليم |
| | | और याद करो जब इबराहीम और इसमाईल इस घर की बुनियादें उठा रहे थे, (तो उन्होंने प्रार्थना की), "ऐ हमारे रब! हमारी ओर से इसे स्वीकार कर ले, निस्संदेह तू सुनता-जानता है |
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135 | 2 | 128 | ربنا واجعلنا مسلمين لك ومن ذريتنا أمة مسلمة لك وأرنا مناسكنا وتب علينا إنك أنت التواب الرحيم |
| | | ऐ हमारे रब! हम दोनों को अपना आज्ञाकारी बना और हमारी संतान में से अपना एक आज्ञाकारी समुदाय बना; और हमें हमारे इबादत के तरीक़े बता और हमारी तौबा क़बूल कर। निस्संदेह तू तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है |
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136 | 2 | 129 | ربنا وابعث فيهم رسولا منهم يتلو عليهم آياتك ويعلمهم الكتاب والحكمة ويزكيهم إنك أنت العزيز الحكيم |
| | | ऐ हमारे रब! उनमें उन्हीं में से एक ऐसा रसूल उठा जो उन्हें तेरी आयतें सुनाए और उनको किताब और तत्वदर्शिता की शिक्षा दे और उन (की आत्मा) को विकसित करे। निस्संदेह तू प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है |
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137 | 2 | 130 | ومن يرغب عن ملة إبراهيم إلا من سفه نفسه ولقد اصطفيناه في الدنيا وإنه في الآخرة لمن الصالحين |
| | | कौन है जो इबराहीम के पंथ से मुँह मोड़े सिवाय उसके जिसने स्वयं को पतित कर लिया? और उसे तो हमने दुनिया में चुन लिया था और निस्संदेह आख़िरत में उसकी गणना योग्य लोगों में होगी |
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138 | 2 | 131 | إذ قال له ربه أسلم قال أسلمت لرب العالمين |
| | | क्योंकि जब उससे रब ने कहा, "मुस्लिम (आज्ञाकारी) हो जा।" उसने कहा, "मैं सारे संसार के रब का मुस्लिम हो गया।" |
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139 | 2 | 132 | ووصى بها إبراهيم بنيه ويعقوب يا بني إن الله اصطفى لكم الدين فلا تموتن إلا وأنتم مسلمون |
| | | और इसी की वसीयत इबराहीम ने अपने बेटों को की और याक़ूब ने भी (अपनी सन्तानों को की) कि, "ऐ मेरे बेटों! अल्लाह ने तुम्हारे लिए यही दीन (धर्म) चुना है, तो इस्लाम (ईश-आज्ञापालन) को अतिरिक्त किसी और दशा में तुम्हारी मृत्यु न हो।" |
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140 | 2 | 133 | أم كنتم شهداء إذ حضر يعقوب الموت إذ قال لبنيه ما تعبدون من بعدي قالوا نعبد إلهك وإله آبائك إبراهيم وإسماعيل وإسحاق إلها واحدا ونحن له مسلمون |
| | | (क्या तुम इबराहीम के वसीयत करते समय मौजूद थे? या तुम मौजूद थे जब याक़ूब की मृत्यु का समय आया? जब उसने बेटों से कहा, "तुम मेरे पश्चात किसकी इबादत करोगे?" उन्होंने कहा, "हम आपके इष्ट-पूज्य और आपके पूर्वज इबराहीम और इसमाईल और इसहाक़ के इष्ट-पूज्य की बन्दगी करेंगे - जो अकेला इष्ट-पूज्य है, और हम उसी के आज्ञाकारी (मुस्लिम) हैं।" |
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141 | 2 | 134 | تلك أمة قد خلت لها ما كسبت ولكم ما كسبتم ولا تسألون عما كانوا يعملون |
| | | वह एक गिरोह था जो गुज़र चुका, जो कुछ उसने कमाया वह उसका है, और जो कुछ तुमने कमाया वह तुम्हारा है। और जो कुछ वे करते रहे उसके विषय में तुमसे कोई पूछताछ न की जाएगी |
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142 | 2 | 135 | وقالوا كونوا هودا أو نصارى تهتدوا قل بل ملة إبراهيم حنيفا وما كان من المشركين |
| | | वे कहते हैं, "यहूदी या ईसाई हो जाओ तो मार्ग पर लोगे।" कहो, "नहीं, बल्कि इबराहीम का पंथ अपनाओ जो एक (अल्लाह) का हो गया था, और वह बहुदेववादियों में से न था।" |
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143 | 2 | 136 | قولوا آمنا بالله وما أنزل إلينا وما أنزل إلى إبراهيم وإسماعيل وإسحاق ويعقوب والأسباط وما أوتي موسى وعيسى وما أوتي النبيون من ربهم لا نفرق بين أحد منهم ونحن له مسلمون |
| | | कहो, "हम ईमान लाए अल्लाह पर और उस चीज़ पर जो हमारी ओर से उतरी और जो इबराहीम और इसमाईल और इसहाक़ और याक़ूब और उसकी संतान की ओर उतरी, और जो मूसा और ईसा को मिली, और जो सभी नबियों को उनके रब की ओर से प्रदान की गई। हम उनमें से किसी के बीच अन्तर नहीं करते और हम केवल उसी के आज्ञाकारी हैं।" |
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