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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1035 | 7 | 81 | إنكم لتأتون الرجال شهوة من دون النساء بل أنتم قوم مسرفون |
| | | तुम स्त्रियों को छोड़कर मर्दों से कामेच्छा पूरी करते हो, बल्कि तुम नितान्त मर्यादाहीन लोग हो |
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1036 | 7 | 82 | وما كان جواب قومه إلا أن قالوا أخرجوهم من قريتكم إنهم أناس يتطهرون |
| | | उसकी क़ौम के लोगों का उत्तर इसके अतिरिक्त और कुछ न था कि वे बोले, "निकालो, उन लोगों को अपनी बस्ती से। ये ऐसे लोग है जो बड़े पाक-साफ़ है!" |
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1037 | 7 | 83 | فأنجيناه وأهله إلا امرأته كانت من الغابرين |
| | | फिर हमने उसे और उसके लोगों को छुटकारा दिया, सिवाय उसकी स्त्री के कि वह पीछे रह जानेवालों में से थी |
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1038 | 7 | 84 | وأمطرنا عليهم مطرا فانظر كيف كان عاقبة المجرمين |
| | | और हमने उनपर एक बरसात बरसाई, तो देखो अपराधियों का कैसा परिणाम हुआ |
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1039 | 7 | 85 | وإلى مدين أخاهم شعيبا قال يا قوم اعبدوا الله ما لكم من إله غيره قد جاءتكم بينة من ربكم فأوفوا الكيل والميزان ولا تبخسوا الناس أشياءهم ولا تفسدوا في الأرض بعد إصلاحها ذلكم خير لكم إن كنتم مؤمنين |
| | | और मदयनवालों की ओर हमने उनके भाई शुऐब को भेजा। उसने कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगों! अल्लाह की बन्दगी करो। उसके अतिरिक्त तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण आ चुका है। तो तुम नाप और तौल पूरी-पूरी करो, और लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो, और धरती में उसकी सुधार के पश्चात बिगाड़ पैदा न करो। यही तुम्हारे लिए अच्छा है, यदि तुम ईमानवाले हो |
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1040 | 7 | 86 | ولا تقعدوا بكل صراط توعدون وتصدون عن سبيل الله من آمن به وتبغونها عوجا واذكروا إذ كنتم قليلا فكثركم وانظروا كيف كان عاقبة المفسدين |
| | | "और प्रत्येक मार्ग पर इसलिए न बैठो कि धमकियाँ दो और उस व्यक्ति को अल्लाह के मार्ग से रोकने लगो जो उसपर ईमान रखता हो और न उस मार्ग को टेढ़ा करने में लग जाओ। याद करो, वह समय जब तुम थोड़े थे, फिर उसने तुम्हें अधिक कर दिया। और देखो, बिगाड़ पैदा करनेवालो का कैसा परिणाम हुआ |
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1041 | 7 | 87 | وإن كان طائفة منكم آمنوا بالذي أرسلت به وطائفة لم يؤمنوا فاصبروا حتى يحكم الله بيننا وهو خير الحاكمين |
| | | "और यदि तुममें एक गिरोह ऐसा है, जो उसपर ईमान लाया है, जिसके साथ मैं भेजा गया हूँ और एक गिरोह ऐसा है, जो उसपर ईमान लाया है, जिसके साथ मैं भेजा गया हूँ और एक गिरोह ईमान नहीं लाया, तो धैर्य से काम लो, यहाँ तक कि अल्लाह हमारे बीच फ़ैसला कर दे। और वह सबसे अच्छा फ़ैसला करनेवाला है।" |
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1042 | 7 | 88 | قال الملأ الذين استكبروا من قومه لنخرجنك يا شعيب والذين آمنوا معك من قريتنا أو لتعودن في ملتنا قال أولو كنا كارهين |
| | | उनकी क़ौम के सरदारों ने, जो घमंड में पड़े थे, कहा, "ऐ शुऐब! हम तुझे और तेरे साथ उन लोगों को, जो ईमान लाए है, अपनी बस्ती से निकालकर रहेंगे। या फिर तुम हमारे पन्थ में लौट आओ।" उसने कहा, "क्या (तुम यही चाहोगे) यद्यपि यह हमें अप्रिय हो जब भी? |
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1043 | 7 | 89 | قد افترينا على الله كذبا إن عدنا في ملتكم بعد إذ نجانا الله منها وما يكون لنا أن نعود فيها إلا أن يشاء الله ربنا وسع ربنا كل شيء علما على الله توكلنا ربنا افتح بيننا وبين قومنا بالحق وأنت خير الفاتحين |
| | | "हम अल्लाह पर झूठ घड़नेवाले ठहरेंगे, यदि तुम्हारे पन्थ में लौट आएँ, इसके बाद कि अल्लाह ने हमें उससे छुटकारा दे दिया है। यह हमसे तो होने का नहीं कि हम उसमें पलट कर जाएँ, बल्कि हमारे रब अल्लाह की इच्छा ही क्रियान्वित है। ज्ञान की स्पष्ट से हमारा रब हर चीज़ को अपने घेरे में लिए हुए है। हमने अल्लाह ही पर भरोसा किया है। हमारे रब, हमारे और हमारी क़ौम के बीच निश्चित अटल फ़ैसला कर दे। और तू सबसे अच्छा फ़ैसला करनेवाला है।" |
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1044 | 7 | 90 | وقال الملأ الذين كفروا من قومه لئن اتبعتم شعيبا إنكم إذا لخاسرون |
| | | और क़ौम के सरदार, जिन्होंने इनकार किया था, बोले, "यदि तुम शुऐब के अनुयायी बने तो तुम घाटे में पड़ जाओगे।" |
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