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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
981 | 7 | 27 | يا بني آدم لا يفتننكم الشيطان كما أخرج أبويكم من الجنة ينزع عنهما لباسهما ليريهما سوآتهما إنه يراكم هو وقبيله من حيث لا ترونهم إنا جعلنا الشياطين أولياء للذين لا يؤمنون |
| | | ताकि लोग नसीहत व इबरत हासिल करें ऐ औलादे आदम (होशियार रहो) कहीं तुम्हें शैतान बहका न दे जिस तरह उसने तुम्हारे बाप माँ आदम व हव्वा को बेहश्त से निकलवा छोड़ा उसी ने उन दोनों से (बेहश्ती) पोशाक उतरवाई ताकि उन दोनों को उनकी शर्मगाहें दिखा दे वह और उसका क़ुनबा ज़रूर तुम्हें इस तरह देखता रहता है कि तुम उन्हे नहीं देखने पाते हमने शैतानों को उन्हीं लोगों का रफीक़ क़रार दिया है |
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982 | 7 | 28 | وإذا فعلوا فاحشة قالوا وجدنا عليها آباءنا والله أمرنا بها قل إن الله لا يأمر بالفحشاء أتقولون على الله ما لا تعلمون |
| | | जो ईमान नही रखते और वह लोग जब कोई बुरा काम करते हैं कि हमने उस तरीके पर अपने बाप दादाओं को पाया और ख़ुदा ने (भी) यही हुक्म दिया है (ऐ रसूल) तुम साफ कह दो कि ख़ुदा ने (भी) यही हुक्म दिया है (ऐ रसूल) तुम (साफ) कह दो कि ख़ुदा हरगिज़ बुरे काम का हुक्म नहीं देता क्या तुम लोग ख़ुदा पर (इफ्तिरा करके) वह बातें कहते हो जो तुम नहीं जानते |
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983 | 7 | 29 | قل أمر ربي بالقسط وأقيموا وجوهكم عند كل مسجد وادعوه مخلصين له الدين كما بدأكم تعودون |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मेरे परवरदिगार ने तो इन्साफ का हुक्म दिया है और (ये भी क़रार दिया है कि) हर नमाज़ के वक्त अपने अपने मुँह (क़िबले की तरफ़) सीधे कर लिया करो और इसके लिए निरी खरी इबादत करके उससे दुआ मांगो जिस तरह उसने तुम्हें शुरू शुरू पैदा किया था |
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984 | 7 | 30 | فريقا هدى وفريقا حق عليهم الضلالة إنهم اتخذوا الشياطين أولياء من دون الله ويحسبون أنهم مهتدون |
| | | उसी तरह फिर (दोबारा) ज़िन्दा किये जाओगे उसी ने एक फरीक़ की हिदायत की और एक गिरोह (के सर) पर गुमराही सवार हो गई उन लोगों ने ख़ुदा को छोड़कर शैतानों को अपना सरपरस्त बना लिया और बावजूद उसके गुमराह करते हैं कि वह राह रास्ते पर है |
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985 | 7 | 31 | يا بني آدم خذوا زينتكم عند كل مسجد وكلوا واشربوا ولا تسرفوا إنه لا يحب المسرفين |
| | | ऐ औलाद आदम हर नमाज़ के वक्त बन सवर के निखर जाया करो और खाओ और पियो और फिज़ूल ख़र्ची मत करो (क्योंकि) ख़ुदा फिज़ूल ख़र्च करने वालों को दोस्त नहीं रखता |
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986 | 7 | 32 | قل من حرم زينة الله التي أخرج لعباده والطيبات من الرزق قل هي للذين آمنوا في الحياة الدنيا خالصة يوم القيامة كذلك نفصل الآيات لقوم يعلمون |
| | | (ऐ रसूल से) पूछो तो कि जो ज़ीनत (के साज़ों सामान) और खाने की साफ सुथरी चीज़ें ख़ुदा ने अपने बन्दो के वास्ते पैदा की हैं किसने हराम कर दी तुम ख़ुद कह दो कि सब पाक़ीज़ा चीज़े क़यामत के दिन उन लोगों के लिए ख़ास हैं जो दुनिया की (ज़रा सी) ज़िन्दगी में ईमान लाते थे हम यूँ अपनी आयतें समझदार लोगों के वास्ते तफसीलदार बयान करतें हैं |
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987 | 7 | 33 | قل إنما حرم ربي الفواحش ما ظهر منها وما بطن والإثم والبغي بغير الحق وأن تشركوا بالله ما لم ينزل به سلطانا وأن تقولوا على الله ما لا تعلمون |
| | | (ऐ रसूल) तुम साफ कह दो कि हमारे परवरदिगार ने तो तमाम बदकारियों को ख्वाह (चाहे) ज़ाहिरी हो या बातिनी और गुनाह और नाहक़ ज्यादती करने को हराम किया है और इस बात को कि तुम किसी को ख़ुदा का शरीक बनाओ जिनकी उनसे कोई दलील न ही नाज़िल फरमाई और ये भी कि बे समझे बूझे ख़ुदा पर बोहतान बॉधों |
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988 | 7 | 34 | ولكل أمة أجل فإذا جاء أجلهم لا يستأخرون ساعة ولا يستقدمون |
| | | और हर गिरोह (के न पैदा होने) का एक ख़ास वक्त है फिर जब उनका वक्त आ पहुंचता है तो न एक घड़ी पीछे रह सकते हैं और न आगे बढ़ सकते हैं |
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989 | 7 | 35 | يا بني آدم إما يأتينكم رسل منكم يقصون عليكم آياتي فمن اتقى وأصلح فلا خوف عليهم ولا هم يحزنون |
| | | ऐ औलादे आदम जब तुम में के (हमारे) पैग़म्बर तुम्हारे पास आए और तुमसे हमारे एहकाम बयान करे तो (उनकी इताअत करना क्योंकि जो शख्स परहेज़गारी और नेक काम करेगा तो ऐसे लोगों पर न तो (क़यामत में) कोई ख़ौफ़ होगा और न वह आर्ज़दा ख़ातिर (परेशान) होंगे |
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990 | 7 | 36 | والذين كذبوا بآياتنا واستكبروا عنها أولئك أصحاب النار هم فيها خالدون |
| | | और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया और उनसे सरताबी कर बैठे वह लोग जहन्नुमी हैं कि वह उसमें हमेशा रहेगें |
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