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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
832 | 6 | 43 | فلولا إذ جاءهم بأسنا تضرعوا ولكن قست قلوبهم وزين لهم الشيطان ما كانوا يعملون |
| | | और तकलीफ़ में गिरफ्तार किया ताकि वह लोग (हमारी बारगाह में) गिड़गिड़ाए तो जब उन (के सर) पर हमारा अज़ाब आ खड़ा हुआ तो वह लोग क्यों नहीं गिड़गिड़ाए (कि हम अज़ाब दफा कर देते) मगर उनके दिल तो सख्त हो गए थे ओर उनकी कारस्तानियों को शैतान ने आरास्ता कर दिखाया था (फिर क्योंकर गिड़गिड़ाते) |
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833 | 6 | 44 | فلما نسوا ما ذكروا به فتحنا عليهم أبواب كل شيء حتى إذا فرحوا بما أوتوا أخذناهم بغتة فإذا هم مبلسون |
| | | फिर जिसकी उन्हें नसीहत की गयी थी जब उसको भूल गए तो हमने उन पर (ढील देने के लिए) हर तरह की (दुनियावी) नेअमतों के दरवाज़े खोल दिए यहाँ तक कि जो नेअमतें उनको दी गयी थी जब उनको पाकर ख़ुश हुए तो हमने उन्हें नागाहाँ (एक दम) ले डाला तो उस वक्त वह नाउम्मीद होकर रह गए |
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834 | 6 | 45 | فقطع دابر القوم الذين ظلموا والحمد لله رب العالمين |
| | | फिर ज़ालिम लोगों की जड़ काट दी गयी और सारे जहाँन के मालिक ख़ुदा का शुक्र है |
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835 | 6 | 46 | قل أرأيتم إن أخذ الله سمعكم وأبصاركم وختم على قلوبكم من إله غير الله يأتيكم به انظر كيف نصرف الآيات ثم هم يصدفون |
| | | (कि क़िस्सा पाक हुआ) (ऐ रसूल) उनसे पूछो तो कि क्या तुम ये समझते हो कि अगर ख़ुदा तुम्हारे कान और तुम्हारी ऑंखे लें ले और तुम्हारे दिलों पर मोहर कर दे तो ख़ुदा के सिवा और कौन मौजूद है जो (फिर) तुम्हें ये नेअमतें (वापस) दे (ऐ रसूल) देखो तो हम किस किस तरह अपनी दलीले बयान करते हैं इस पर भी वह लोग मुँह मोडे ज़ाते हैं |
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836 | 6 | 47 | قل أرأيتكم إن أتاكم عذاب الله بغتة أو جهرة هل يهلك إلا القوم الظالمون |
| | | (ऐ रसूल) उनसे पूछो कि क्या तुम ये समझते हो कि अगर तुम्हारे सर पर ख़ुदा का अज़ाब बेख़बरी में या जानकारी में आ जाए तो क्या गुनाहगारों के सिवा और लोग भी हलाक़ किए जाएंगें (हरगिज़ नहीं) |
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837 | 6 | 48 | وما نرسل المرسلين إلا مبشرين ومنذرين فمن آمن وأصلح فلا خوف عليهم ولا هم يحزنون |
| | | और हम तो रसूलों को सिर्फ इस ग़रज़ से भेजते हैं कि (नेको को जन्नत की) खुशख़बरी दें और (बदो को अज़ाब जहन्नुम से) डराएं फिर जिसने ईमान कुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए तो ऐसे लोगों पर (क़यामत में) न कोई ख़ौफ होगा और न वह ग़मग़ीन होगें |
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838 | 6 | 49 | والذين كذبوا بآياتنا يمسهم العذاب بما كانوا يفسقون |
| | | और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया तो चूंकि बदकारी करते थे (हमारा) अज़ाब उनको पलट जाएगा |
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839 | 6 | 50 | قل لا أقول لكم عندي خزائن الله ولا أعلم الغيب ولا أقول لكم إني ملك إن أتبع إلا ما يوحى إلي قل هل يستوي الأعمى والبصير أفلا تتفكرون |
| | | (ऐ रसूल) उनसे कह दो कि मै तो ये नहीं कहता कि मेरे पास ख़ुदा के ख़ज़ाने हैं (कि ईमान लाने पर दे दूंगा) और न मै गैब के (कुल हालात) जानता हूँ और न मै तुमसे ये कहता हूँ कि मै फरिश्ता हूँ मै तो बस जो (ख़ुदा की तरफ से) मेरे पास वही की जाती है उसी का पाबन्द हूँ (उनसे पूछो तो) कि अन्धा और ऑंख वाला बराबर हो सकता है तो क्या तुम (इतना भी) नहीं सोचते |
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840 | 6 | 51 | وأنذر به الذين يخافون أن يحشروا إلى ربهم ليس لهم من دونه ولي ولا شفيع لعلهم يتقون |
| | | और इस क़ुरान के ज़रिए से तुम उन लोगों को डराओ जो इस बात का ख़ौफ रखते हैं कि वह (मरने के बाद) अपने ख़ुदा के सामने जमा किये जायेंगे (और यह समझते है कि) उनका ख़ुदा के सिवा न कोई सरपरस्त हे और न कोई सिफारिश करने वाला ताकि ये लोग परहेज़गार बन जाएं |
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841 | 6 | 52 | ولا تطرد الذين يدعون ربهم بالغداة والعشي يريدون وجهه ما عليك من حسابهم من شيء وما من حسابك عليهم من شيء فتطردهم فتكون من الظالمين |
| | | और (ऐ रसूल) जो लोग सुबह व शाम अपने परवरदिगार से उसकी ख़ुशनूदी की तमन्ना में दुऑए मॉगा करते हैं- उनको अपने पास से न धुत्कारो-न उनके (हिसाब किताब की) जवाब देही कुछ उनके ज़िम्मे है ताकि तुम उन्हें (इस ख्याल से) धुत्कार बताओ तो तुम ज़ालिम (के शुमार) में हो जाओगे |
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