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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
802 | 6 | 13 | وله ما سكن في الليل والنهار وهو السميع العليم |
| | | हालॉकि (ये नहीं समझते कि) जो कुछ रात को और दिन को (रुए ज़मीन पर) रहता (सहता) है (सब) ख़ास उसी का है और वही (सब की) सुनता (और सब कुछ) जानता है |
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803 | 6 | 14 | قل أغير الله أتخذ وليا فاطر السماوات والأرض وهو يطعم ولا يطعم قل إني أمرت أن أكون أول من أسلم ولا تكونن من المشركين |
| | | ऐ रसूल) तुम कह दो कि क्या ख़ुदा को जो सारे आसमान व ज़मीन का पैदा करने वाला है छोड़ कर दूसरे को (अपना) सरपरस्त बनाओ और वही (सब को) रोज़ी देता है और उसको कोई रोज़ी नहीं देता (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मुझे हुक्म दिया गया है कि सब से पहले इस्लाम लाने वाला मैं हूँ और (ये भी कि ख़बरदार) मुशरेकीन से न होना |
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804 | 6 | 15 | قل إني أخاف إن عصيت ربي عذاب يوم عظيم |
| | | (ऐ रसूल) तुम कहो कि अगर मैं नाफरमानी करुँ तो बेशक एक बड़े (सख्त) दिल के अज़ाब से डरता हूँ |
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805 | 6 | 16 | من يصرف عنه يومئذ فقد رحمه وذلك الفوز المبين |
| | | उस दिन जिस (के सर) से अज़ाब टल गया तो (समझो कि) ख़ुदा ने उस पर (बड़ा) रहम किया और यही तो सरीही कामयाबी है |
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806 | 6 | 17 | وإن يمسسك الله بضر فلا كاشف له إلا هو وإن يمسسك بخير فهو على كل شيء قدير |
| | | और अगर ख़ुदा तुम को किसी क़िस्म की तकलीफ पहुचाए तो उसके सिवा कोई उसका दफा करने वाला नहीं है और अगर तुम्हें कुछ फायदा) पहुंचाए तो भी (कोई रोक नहीं सकता क्योंकि) वह हर चीज़ पर क़ादिर है |
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807 | 6 | 18 | وهو القاهر فوق عباده وهو الحكيم الخبير |
| | | वही अपने तमाम बन्दों पर ग़ालिब है और वह वाक़िफकार हकीम है |
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808 | 6 | 19 | قل أي شيء أكبر شهادة قل الله شهيد بيني وبينكم وأوحي إلي هذا القرآن لأنذركم به ومن بلغ أئنكم لتشهدون أن مع الله آلهة أخرى قل لا أشهد قل إنما هو إله واحد وإنني بريء مما تشركون |
| | | (ऐ रसूल) तुम पूछो कि गवाही में सबसे बढ़के कौन चीज़ है तुम खुद ही कह दो कि मेरे और तुम्हारे दरमियान ख़ुदा गवाह है और मेरे पास ये क़ुरान वही के तौर पर इसलिए नाज़िल किया गया ताकि मैं तुम्हें और जिसे (उसकी) ख़बर पहुँचे उसके ज़रिए से डराओ क्या तुम यक़ीनन यह गवाही दे सकते हो कि अल्लाह के साथ और दूसरे माबूद भी हैं (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै तो उसकी गवाही नहीं देता (तुम दिया करो) तुम (उन लोगों से) कहो कि वह तो बस एक ही ख़ुदा है और जिन चीज़ों को तुम (ख़ुदा का) शरीक बनाते हो |
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809 | 6 | 20 | الذين آتيناهم الكتاب يعرفونه كما يعرفون أبناءهم الذين خسروا أنفسهم فهم لا يؤمنون |
| | | मै तो उनसे बेज़र हूँ जिन लोगों को हमने किताब अता फरमाई है (यहूद व नसारा) वह तो जिस तरह अपने बाल बच्चों को पहचानते है उसी तरह उस नबी (मोहम्मद) को भी पहचानते हैं (मगर) जिन लोगों ने अपना आप नुक़सान किया वह तो (किसी तरह) ईमान न लाएंगें |
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810 | 6 | 21 | ومن أظلم ممن افترى على الله كذبا أو كذب بآياته إنه لا يفلح الظالمون |
| | | और जो शख़्श ख़ुदा पर झूठ बोहतान बॉधे या उसकी आयतों को झुठलाए उससे बढ़के ज़ालिम कौन होगा और ज़ालिमों को हरगिज़ नजात न होगी |
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811 | 6 | 22 | ويوم نحشرهم جميعا ثم نقول للذين أشركوا أين شركاؤكم الذين كنتم تزعمون |
| | | और (उस दिन को याद करो) जिस दिन हम उन सबको जमा करेंगे फिर जिन लोगों ने शिर्क किया उनसे पूछेगें कि जिनको तुम (ख़ुदा का) शरीक ख्याल करते थे कहाँ हैं |
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