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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
782 | 5 | 113 | قالوا نريد أن نأكل منها وتطمئن قلوبنا ونعلم أن قد صدقتنا ونكون عليها من الشاهدين |
| | | वह अर्ज़ करने लगे हम तो फक़त ये चाहते है कि इसमें से (बरतकन) कुछ खाएँ और हमारे दिल को (आपकी रिसालत का पूरा पूरा) इत्मेनान हो जाए और यक़ीन कर लें कि आपने हमसे (जो कुछ कहा था) सच फरमाया था और हम लोग इस पर गवाह रहें |
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783 | 5 | 114 | قال عيسى ابن مريم اللهم ربنا أنزل علينا مائدة من السماء تكون لنا عيدا لأولنا وآخرنا وآية منك وارزقنا وأنت خير الرازقين |
| | | (तब) मरियम के बेटे ईसा ने (बारगाहे ख़ुदा में) अर्ज़ की ख़ुदा वन्दा ऐ हमारे पालने वाले हम पर आसमान से एक ख्वान (नेअमत) नाज़िल फरमा कि वह दिन हम लोगों के लिए हमारे अगलों के लिए और हमारे पिछलों के लिए ईद का करार पाए (और हमारे हक़ में) तेरी तरफ से एक बड़ी निशानी हो और तू हमें रोज़ी दे और तू सब रोज़ी देने वालो से बेहतर है |
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784 | 5 | 115 | قال الله إني منزلها عليكم فمن يكفر بعد منكم فإني أعذبه عذابا لا أعذبه أحدا من العالمين |
| | | खुदा ने फरमाया मै ख्वान तो तुम पर ज़रुर नाज़िल करुगाँ (मगर याद रहे कि) फिर तुममें से जो भी शख़्श उसके बाद काफ़िर हुआ तो मै उसको यक़ीन ऐसे सख्त अज़ाब की सज़ा दूँगा कि सारी ख़ुदायी में किसी एक पर भी वैसा (सख्त) अज़ाब न करुगाँ |
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785 | 5 | 116 | وإذ قال الله يا عيسى ابن مريم أأنت قلت للناس اتخذوني وأمي إلهين من دون الله قال سبحانك ما يكون لي أن أقول ما ليس لي بحق إن كنت قلته فقد علمته تعلم ما في نفسي ولا أعلم ما في نفسك إنك أنت علام الغيوب |
| | | और (वह वक्त भी याद करो) जब क़यामत में ईसा से ख़ुदा फरमाएग कि (क्यों) ऐ मरियम के बेटे ईसा क्या तुमने लोगों से ये कह दिया था कि ख़ुदा को छोड़कर मुझ को और मेरी माँ को ख़ुदा बना लो ईसा अर्ज़ करेगें सुबहान अल्लाह मेरी तो ये मजाल न थी कि मै ऐसी बात मुँह से निकालूं जिसका मुझे कोई हक़ न हो (अच्छा) अगर मैने कहा होगा तो तुझको ज़रुर मालूम ही होगा क्योंकि तू मेरे दिल की (सब बात) जानता है हाँ अलबत्ता मै तेरे जी की बात नहीं जानता (क्योंकि) इसमें तो शक़ ही नहीं कि तू ही ग़ैब की बातें ख़ूब जानता है |
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786 | 5 | 117 | ما قلت لهم إلا ما أمرتني به أن اعبدوا الله ربي وربكم وكنت عليهم شهيدا ما دمت فيهم فلما توفيتني كنت أنت الرقيب عليهم وأنت على كل شيء شهيد |
| | | तूने मुझे जो कुछ हुक्म दिया उसके सिवा तो मैने उनसे कुछ भी नहीं कहा यही कि ख़ुदा ही की इबादत करो जो मेरा और तुम्हारा सबका पालने वाला है और जब तक मैं उनमें रहा उन की देखभाल करता रहा फिर जब तूने मुझे (दुनिया से) उठा लिया तो तू ही उनका निगेहबान था और तू तो ख़ुद हर चीज़ का गवाह (मौजूद) है |
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787 | 5 | 118 | إن تعذبهم فإنهم عبادك وإن تغفر لهم فإنك أنت العزيز الحكيم |
| | | तू अगर उन पर अज़ाब करेगा तो (तू मालिक है) ये तेरे बन्दे हैं और अगर उन्हें बख्श देगा तो (कोई तेरा हाथ नहीं पकड़ सकता क्योंकि) बेशक तू ज़बरदस्त हिकमत वाला है |
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788 | 5 | 119 | قال الله هذا يوم ينفع الصادقين صدقهم لهم جنات تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها أبدا رضي الله عنهم ورضوا عنه ذلك الفوز العظيم |
| | | ख़ुदा फरमाएगा कि ये वह दिन है कि सच्चे बन्दों को उनकी सच्चाई (आज) काम आएगी उनके लिए (हरे भरे बेहिश्त के) वह बाग़ात है जिनके (दरख्तो के) नीचे नहरे जारी हैं (और) वह उसमें अबादुल आबाद तक रहेंगे ख़ुदा उनसे राज़ी और वह ख़ुदा से खुश यही बहुत बड़ी कामयाबी है |
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789 | 5 | 120 | لله ملك السماوات والأرض وما فيهن وهو على كل شيء قدير |
| | | सारे आसमान व ज़मीन और जो कुछ उनमें है सब ख़ुदा ही की सल्तनत है और वह हर चीज़ पर क़ादिर (व तवाना) है |
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790 | 6 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم الحمد لله الذي خلق السماوات والأرض وجعل الظلمات والنور ثم الذين كفروا بربهم يعدلون |
| | | सब तारीफ ख़ुदा ही को (सज़ावार) है जिसने बहुतेरे आसमान और ज़मीन को पैदा किया और उसमें मुख्तलिफ क़िस्मों की तारीकी रोशनी बनाई फिर (बावजूद उसके) कुफ्फार (औरों को) अपने परवरदिगार के बराबर करते हैं |
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791 | 6 | 2 | هو الذي خلقكم من طين ثم قضى أجلا وأجل مسمى عنده ثم أنتم تمترون |
| | | वह तो वही ख़ुदा है जिसने तुमको मिट्टी से पैदा किया फिर (फिर तुम्हारे मरने का) एक वक्त मुक़र्रर कर दिया और (अगरचे तुमको मालूम नहीं मगर) उसके नज़दीक (क़यामत) का वक्त मुक़र्रर है |
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