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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
772 | 5 | 103 | ما جعل الله من بحيرة ولا سائبة ولا وصيلة ولا حام ولكن الذين كفروا يفترون على الله الكذب وأكثرهم لا يعقلون |
| | | फिर (जब बरदाश्त न हो सका तो) उसके मुन्किर हो गए ख़ुदा ने न तो कोई बहीरा (कान फटी ऊँटनी) मुक़र्रर किया है न सायवा (साँढ़) न वसीला (जुडवा बच्चे) न हाम (बुढ़ा साँढ़) मुक़र्रर किया है मगर कुफ्फ़ार ख़ुदा पर ख्वाह मा ख्वाह झूठ (मूठ) बोहतान बाँधते हैं और उनमें के अक्सर नहीं समझते |
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773 | 5 | 104 | وإذا قيل لهم تعالوا إلى ما أنزل الله وإلى الرسول قالوا حسبنا ما وجدنا عليه آباءنا أولو كان آباؤهم لا يعلمون شيئا ولا يهتدون |
| | | और जब उनसे कहा जाता है कि जो (क़ुरान) ख़ुदा ने नाज़िल फरमाया है उसकी तरफ और रसूल की आओ (और जो कुछ कहे उसे मानों तो कहते हैं कि हमने जिस (रंग) में अपने बाप दादा को पाया वही हमारे लिए काफी है क्या (ये लोग लकीर के फकीर ही रहेंगे) अगरचे उनके बाप दादा न कुछ जानते ही हों न हिदायत ही पायी हो |
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774 | 5 | 105 | يا أيها الذين آمنوا عليكم أنفسكم لا يضركم من ضل إذا اهتديتم إلى الله مرجعكم جميعا فينبئكم بما كنتم تعملون |
| | | ऐ ईमान वालों तुम अपनी ख़बर लो जब तुम राहे रास्त पर हो तो कोई गुमराह हुआ करे तुम्हें नुक़सान नहीं पहुँचा सकता तुम सबके सबको ख़ुदा ही की तरफ लौट कर जाना है तब (उस वक्त नेक व बद) जो कुछ (दुनिया में) करते थे तुम्हें बता देगा |
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775 | 5 | 106 | يا أيها الذين آمنوا شهادة بينكم إذا حضر أحدكم الموت حين الوصية اثنان ذوا عدل منكم أو آخران من غيركم إن أنتم ضربتم في الأرض فأصابتكم مصيبة الموت تحبسونهما من بعد الصلاة فيقسمان بالله إن ارتبتم لا نشتري به ثمنا ولو كان ذا قربى ولا نكتم شهادة الله إنا إذا لمن الآثمين |
| | | ऐ ईमान वालों जब तुममें से किसी (के सर) पर मौत खड़ी हो तो वसीयत के वक्त तुम (मोमिन) में से दो आदिलों की गवाही होनी ज़रुरी है और जब तुम इत्तेफाक़न कहीं का सफर करो और (सफर ही में) तुमको मौत की मुसीबत का सामना हो तो (भी) दो गवाह ग़ैर (मोमिन) सही (और) अगर तुम्हें शक़ हो तो उन दोनों को नमाज़ के बाद रोक लो फिर वह दोनों ख़ुदा की क़सम खाएँ कि हम इस (गवाही) के (ऐवज़ कुछ दाम नहीं लेंगे अगरचे हम जिसकी गवाही देते हैं हमारा अज़ीज़ ही क्यों न) हो और हम खुदा लगती गवाही न छुपाएँगे अगर ऐसा करें तो हम बेशक गुनाहगार हैं |
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776 | 5 | 107 | فإن عثر على أنهما استحقا إثما فآخران يقومان مقامهما من الذين استحق عليهم الأوليان فيقسمان بالله لشهادتنا أحق من شهادتهما وما اعتدينا إنا إذا لمن الظالمين |
| | | अगर इस पर मालूम हो जाए कि वह दोनों (दरोग़ हलफ़ी (झूठी कसम) से) गुनाह के मुस्तहक़ हो गए तो दूसरे दो आदमी उन लोगों में से जिनका हक़ दबाया गया है और (मय्यत) के ज्यादा क़राबतदार हैं (उनकी तरवीद में) उनकी जगह खड़े हो जाएँ फिर दो नए गवाह ख़ुदा की क़सम खाएँ कि पहले दो गवाहों की निस्बत हमारी गवाही ज्यादा सच्ची है और हमने (हक़) नहीं छुपाया और अगर ऐसा किया हो तो उस वक्त बेशक हम ज़ालिम हैं |
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777 | 5 | 108 | ذلك أدنى أن يأتوا بالشهادة على وجهها أو يخافوا أن ترد أيمان بعد أيمانهم واتقوا الله واسمعوا والله لا يهدي القوم الفاسقين |
| | | ये ज्यादा क़रीन क़यास है कि इस तरह पर (आख़ेरत के डर से) ठीक ठीक गवाही दें या (दुनिया की रूसवाई का) अन्देशा हो कि कहीं हमारी क़समें दूसरे फरीक़ की क़समों के बाद रद न कर दी जाएँ मुसलमानों ख़ुदा से डरो और (जी लगा कर) सुन लो और ख़ुदा बदचलन लोगों को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाता |
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778 | 5 | 109 | يوم يجمع الله الرسل فيقول ماذا أجبتم قالوا لا علم لنا إنك أنت علام الغيوب |
| | | (उस वक्त क़ो याद करो) जिस दिन ख़ुदा अपने पैग़म्बरों को जमा करके पूछेगा कि (तुम्हारी उममत की तरफ से तबलीग़े एहकाम का) क्या जवाब दिया गया तो अर्ज क़रेगें कि हम तो (चन्द ज़ाहिरी बातों के सिवा) कुछ नहीं जानते तू तो खुद बड़ा ग़ैब वॉ है |
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779 | 5 | 110 | إذ قال الله يا عيسى ابن مريم اذكر نعمتي عليك وعلى والدتك إذ أيدتك بروح القدس تكلم الناس في المهد وكهلا وإذ علمتك الكتاب والحكمة والتوراة والإنجيل وإذ تخلق من الطين كهيئة الطير بإذني فتنفخ فيها فتكون طيرا بإذني وتبرئ الأكمه والأبرص بإذني وإذ تخرج الموتى بإذني وإذ كففت بني إسرائيل عنك إذ جئتهم بالبينات فقال الذين كفروا منهم إن هذا إلا سحر مبين |
| | | (वह वक्त याद करो) जब ख़ुदा फरमाएगा कि ये मरियम के बेटे ईसा हमने जो एहसानात तुम पर और तुम्हारी माँ पर किये उन्हे याद करो जब हमने रूहुलक़ुदूस (जिबरील) से तुम्हारी ताईद की कि तुम झूले में (पड़े पड़े) और अधेड़ होकर (शक़ सा बातें) करने लगे और जब हमने तुम्हें लिखना और अक़ल व दानाई की बातें और (तौरेत व इन्जील (ये सब चीजे) सिखायी और जब तुम मेरे हुक्म से मिट्टी से चिड़िया की मूरत बनाते फिर उस पर कुछ दम कर देते तो वह मेरे हुक्म से (सचमुच) चिड़िया बन जाती थी और मेरे हुक्म से मादरज़ाद (पैदायशी) अंधे और कोढ़ी को अच्छा कर देते थे और जब तुम मेरे हुक्म से मुर्दों को ज़िन्दा (करके क़ब्रों से) निकाल खड़ा करते थे और जिस वक्त तुम बनी इसराईल के पास मौजिज़े लेकर आए और उस वक्त मैने उनको तुम (पर दस्त दराज़ी करने) से रोका तो उनमें से बाज़ कुफ्फ़ार कहने लगे ये तो बस खुला हुआ जादू है |
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780 | 5 | 111 | وإذ أوحيت إلى الحواريين أن آمنوا بي وبرسولي قالوا آمنا واشهد بأننا مسلمون |
| | | और जब मैने हवारियों से इलहाम किया कि मुझ पर और मेरे रसूल पर ईमान लाओ तो अर्ज़ करने लगे हम ईमान लाए और तू गवाह रहना कि हम तेरे फरमाबरदार बन्दे हैं |
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781 | 5 | 112 | إذ قال الحواريون يا عيسى ابن مريم هل يستطيع ربك أن ينزل علينا مائدة من السماء قال اتقوا الله إن كنتم مؤمنين |
| | | (वह वक्त याद करो) जब हवारियों ने ईसा से अर्ज़ की कि ऐ मरियम के बेटे ईसा क्या आप का ख़ुदा उस पर क़ादिर है कि हम पर आसमान से (नेअमत की) एक ख्वान नाज़िल फरमाए ईसा ने कहा अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो ख़ुदा से डरो (ऐसी फरमाइश जिसमें इम्तेहान मालूम हो न करो) |
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