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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
692 | 5 | 23 | قال رجلان من الذين يخافون أنعم الله عليهما ادخلوا عليهم الباب فإذا دخلتموه فإنكم غالبون وعلى الله فتوكلوا إن كنتم مؤمنين |
| | | (मगर) वह आदमी (यूशा कालिब) जो ख़ुदा का ख़ौफ़ रखते थे और जिनपर ख़ुदा ने ख़ास अपना फ़ज़ल (करम) किया था बेधड़क बोल उठे कि (अरे) उनपर हमला करके (बैतुल मुक़दस के फाटक में तो घुस पड़ो फिर देखो तो यह ऐसे बोदे हैं कि) इधर तुम फाटक में घुसे और (ये सब भाग खड़े हुए और) तुम्हारी जीत हो गयी और अगर सच्चे ईमानदार हो तो ख़ुदा ही पर भरोसा रखो |
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693 | 5 | 24 | قالوا يا موسى إنا لن ندخلها أبدا ما داموا فيها فاذهب أنت وربك فقاتلا إنا هاهنا قاعدون |
| | | वह कहने लगे एक मूसा (चाहे जो कुछ हो) जब तक वह लोग इसमें हैं हम तो उसमें हरगिज़ (लाख बरस) पॉव न रखेंगे हॉ तुम जाओ और तुम्हारा ख़ुदा जाए ओर दोनों (जाकर) लड़ो हम तो यहीं जमे बैठे हैं |
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694 | 5 | 25 | قال رب إني لا أملك إلا نفسي وأخي فافرق بيننا وبين القوم الفاسقين |
| | | तब मूसा ने अर्ज़ की ख़ुदावन्दा तू ख़ूब वाक़िफ़ है कि अपनी ज़ाते ख़ास और अपने भाई के सिवा किसी पर मेरा क़ाबू नहीं बस अब हमारे और उन नाफ़रमान लोगों के दरमियान जुदाई डाल दे |
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695 | 5 | 26 | قال فإنها محرمة عليهم أربعين سنة يتيهون في الأرض فلا تأس على القوم الفاسقين |
| | | हमारा उनका साथ नहीं हो सकता (ख़ुदा ने फ़रमाया) (अच्छा) तो उनकी सज़ा यह है कि उनको चालीस बरस तक की हुकूमत नसीब न होगा (और उस मुद्दते दराज़ तक) यह लोग (मिस्र के) जंगल में सरगरदॉ रहेंगे तो फिर तुम इन बदचलन बन्दों पर अफ़सोस न करना |
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696 | 5 | 27 | واتل عليهم نبأ ابني آدم بالحق إذ قربا قربانا فتقبل من أحدهما ولم يتقبل من الآخر قال لأقتلنك قال إنما يتقبل الله من المتقين |
| | | (ऐ रसूल) तुम इन लोगों से आदम के दो बेटों (हाबील, क़ाबील) का सच्चा क़स्द बयान कर दो कि जब उन दोनों ने ख़ुदा की दरगाह में नियाज़ें चढ़ाई तो (उनमें से) एक (हाबील) की (नज़र तो) क़ुबूल हुई और दूसरे (क़ाबील) की नज़र न क़ुबूल हुई तो (मारे हसद के) हाबील से कहने लगा मैं तो तुझे ज़रूर मार डालूंगा उसने जवाब दिया कि (भाई इसमें अपना क्या बस है) ख़ुदा तो सिर्फ परहेज़गारों की नज़र कुबूल करता है |
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697 | 5 | 28 | لئن بسطت إلي يدك لتقتلني ما أنا بباسط يدي إليك لأقتلك إني أخاف الله رب العالمين |
| | | अगर तुम मेरे क़त्ल के इरादे से मेरी तरफ़ अपना हाथ बढ़ाओगे (तो ख़ैर बढ़ाओ) (मगर) मैं तो तुम्हारे क़त्ल के ख्याल से अपना हाथ बढ़ाने वाला नहीं (क्योंकि) मैं तो उस ख़ुदा से जो सारे जहॉन का पालने वाला है ज़रूर डरता हूं |
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698 | 5 | 29 | إني أريد أن تبوء بإثمي وإثمك فتكون من أصحاب النار وذلك جزاء الظالمين |
| | | मैं तो ज़रूर ये चाहता हूं कि मेरे गुनाह और तेरे गुनाह दोनों तेरे सर हो जॉए तो तू (अच्छा ख़ासा) जहन्नुमी बन जाए और ज़ालिमों की तो यही सज़ा है |
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699 | 5 | 30 | فطوعت له نفسه قتل أخيه فقتله فأصبح من الخاسرين |
| | | फिर तो उसके नफ्स ने अपने भाई के क़त्ल पर उसे भड़का ही दिया आख़िर उस (कम्बख्त ने) उसको मार ही डाला तो घाटा उठाने वालों में से हो गया |
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700 | 5 | 31 | فبعث الله غرابا يبحث في الأرض ليريه كيف يواري سوءة أخيه قال يا ويلتا أعجزت أن أكون مثل هذا الغراب فأواري سوءة أخي فأصبح من النادمين |
| | | (तब उसे फ़िक्र हुई कि लाश को क्या करे) तो ख़ुदा ने एक कौवे को भेजा कि वह ज़मीन को कुरेदने लगा ताकि उसे (क़ाबील) को दिखा दे कि उसे अपने भाई की लाश क्योंकर छुपानी चाहिए (ये देखकर) वह कहने लगा हाए अफ़सोस क्या मैं उस से भी आजिज़ हूं कि उस कौवे की बराबरी कर सकॅू कि (बला से यह भी होता) तो अपने भाई की लाश छुपा देता अलगरज़ वह (अपनी हरकत से) बहुत पछताया |
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701 | 5 | 32 | من أجل ذلك كتبنا على بني إسرائيل أنه من قتل نفسا بغير نفس أو فساد في الأرض فكأنما قتل الناس جميعا ومن أحياها فكأنما أحيا الناس جميعا ولقد جاءتهم رسلنا بالبينات ثم إن كثيرا منهم بعد ذلك في الأرض لمسرفون |
| | | इसी सबब से तो हमने बनी इसराईल पर वाजिब कर दिया था कि जो शख्स किसी को न जान के बदले में और न मुल्क में फ़साद फैलाने की सज़ा में (बल्कि नाहक़) क़त्ल कर डालेगा तो गोया उसने सब लोगों को क़त्ल कर डाला और जिसने एक आदमी को जिला दिया तो गोया उसने सब लोगों को जिला लिया और उन (बनी इसराईल) के पास तो हमारे पैग़म्बर (कैसे कैसे) रौशन मौजिज़े लेकर आ चुके हैं (मगर) फिर उसके बाद भी यक़ीनन उसमें से बहुतेरे ज़मीन पर ज्यादतियॉ करते रहे |
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