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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
672 | 5 | 3 | حرمت عليكم الميتة والدم ولحم الخنزير وما أهل لغير الله به والمنخنقة والموقوذة والمتردية والنطيحة وما أكل السبع إلا ما ذكيتم وما ذبح على النصب وأن تستقسموا بالأزلام ذلكم فسق اليوم يئس الذين كفروا من دينكم فلا تخشوهم واخشون اليوم أكملت لكم دينكم وأتممت عليكم نعمتي ورضيت لكم الإسلام دينا فمن اضطر في مخمصة غير متجانف لإثم فإن الله غفور رحيم |
| | | (लोगों) मरा हुआ जानवर और ख़ून और सुअर का गोश्त और जिस (जानवर) पर (ज़िबाह) के वक्त ख़ुदा के सिवा किसी दूसरे का नाम लिया जाए और गर्दन मरोड़ा हुआ और चोट खाकर मरा हुआ और जो कुएं (वगैरह) में गिरकर मर जाए और जो सींग से मार डाला गया हो और जिसको दरिन्दे ने फाड़ खाया हो मगर जिसे तुमने मरने के क़ब्ल ज़िबाह कर लो और (जो जानवर) बुतों (के थान) पर चढ़ा कर ज़िबाह किया जाए और जिसे तुम (पाँसे) के तीरों से बाहम हिस्सा बॉटो (ग़रज़ यह सब चीज़ें) तुम पर हराम की गयी हैं ये गुनाह की बात है (मुसलमानों) अब तो कुफ्फ़ार तुम्हारे दीन से (फिर जाने से) मायूस हो गए तो तुम उनसे तो डरो ही नहीं बल्कि सिर्फ मुझी से डरो आज मैंने तुम्हारे दीन को कामिल कर दिया और तुमपर अपनी नेअमत पूरी कर दी और तुम्हारे (इस) दीने इस्लाम को पसन्द किया पस जो शख्स भूख़ में मजबूर हो जाए और गुनाह की तरफ़ माएल भी न हो (और कोई चीज़ खा ले) तो ख़ुदा बेशक बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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673 | 5 | 4 | يسألونك ماذا أحل لهم قل أحل لكم الطيبات وما علمتم من الجوارح مكلبين تعلمونهن مما علمكم الله فكلوا مما أمسكن عليكم واذكروا اسم الله عليه واتقوا الله إن الله سريع الحساب |
| | | (ऐ रसूल) तुमसे लोग पूंछते हैं कि कौन (कौन) चीज़ उनके लिए हलाल की गयी है तुम (उनसे) कह दो कि तुम्हारे लिए पाकीज़ा चीजें हलाल की गयीं और शिकारी जानवर जो तुमने शिकार के लिए सधा रखें है और जो (तरीके) ख़ुदा ने तुम्हें बताये हैं उनमें के कुछ तुमने उन जानवरों को भी सिखाया हो तो ये शिकारी जानवर जिस शिकार को तुम्हारे लिए पकड़ रखें उसको (बेताम्मुल) खाओ और (जानवर को छोंड़ते वक्त) ख़ुदा का नाम ले लिया करो और ख़ुदा से डरते रहो (क्योंकि) इसमें तो शक ही नहीं कि ख़ुदा बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है |
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674 | 5 | 5 | اليوم أحل لكم الطيبات وطعام الذين أوتوا الكتاب حل لكم وطعامكم حل لهم والمحصنات من المؤمنات والمحصنات من الذين أوتوا الكتاب من قبلكم إذا آتيتموهن أجورهن محصنين غير مسافحين ولا متخذي أخدان ومن يكفر بالإيمان فقد حبط عمله وهو في الآخرة من الخاسرين |
| | | आज तमाम पाकीज़ा चीजें तुम्हारे लिए हलाल कर दी गयी हैं और अहले किताब की ख़ुश्क चीजें ग़ेहूं (वगैरह) तुम्हारे लिए हलाल हैं और तुम्हारी ख़ुश्क चीजें ग़ेहूं (वगैरह) उनके लिए हलाल हैं और आज़ाद पाक दामन औरतें और उन लोगों में की आज़ाद पाक दामन औरतें जिनको तुमसे पहले किताब दी जा चुकी है जब तुम उनको उनके मेहर दे दो (और) पाक दामिनी का इरादा करो न तो खुल्लम खुल्ला ज़िनाकारी का और न चोरी छिपे से आशनाई का और जिस शख्स ने ईमान से इन्कार किया तो उसका सब किया (धरा) अकारत हो गया और (तुल्फ़ तो ये है कि) आख़ेरत में भी वही घाटे में रहेगा |
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675 | 5 | 6 | يا أيها الذين آمنوا إذا قمتم إلى الصلاة فاغسلوا وجوهكم وأيديكم إلى المرافق وامسحوا برءوسكم وأرجلكم إلى الكعبين وإن كنتم جنبا فاطهروا وإن كنتم مرضى أو على سفر أو جاء أحد منكم من الغائط أو لامستم النساء فلم تجدوا ماء فتيمموا صعيدا طيبا فامسحوا بوجوهكم وأيديكم منه ما يريد الله ليجعل عليكم من حرج ولكن يريد ليطهركم وليتم نعمته عليكم لعلكم تشكرون |
| | | ऐ ईमानदारों जब तुम नमाज़ के लिये आमादा हो तो अपने मुंह और कोहनियों तक हाथ धो लिया करो और अपने सरों का और टखनों तक पॉवों का मसाह कर लिया करो और अगर तुम हालते जनाबत में हो तो तुम तहारत (ग़ुस्ल) कर लो (हॉ) और अगर तुम बीमार हो या सफ़र में हो या तुममें से किसी को पैख़ाना निकल आए या औरतों से हमबिस्तरी की हो और तुमको पानी न मिल सके तो पाक ख़ाक से तैमूम कर लो यानि (दोनों हाथ मारकर) उससे अपने मुंह और अपने हाथों का मसा कर लो (देखो तो ख़ुदा ने कैसी आसानी कर दी) ख़ुदा तो ये चाहता ही नहीं कि तुम पर किसी तरह की तंगी करे बल्कि वो ये चाहता है कि पाक व पाकीज़ा कर दे और तुमपर अपनी नेअमते पूरी कर दे ताकि तुम शुक्रगुज़ार बन जाओ |
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676 | 5 | 7 | واذكروا نعمة الله عليكم وميثاقه الذي واثقكم به إذ قلتم سمعنا وأطعنا واتقوا الله إن الله عليم بذات الصدور |
| | | और जो एहसानात ख़ुदा ने तुमपर किए हैं उनको और उस (एहद व पैमान) को याद करो जिसका तुमसे पक्का इक़रार ले चुका है जब तुमने कहा था कि हमने (एहकामे ख़ुदा को) सुना और दिल से मान लिया और ख़ुदा से डरते रहो क्योंकि इसमें ज़रा भी शक नहीं कि ख़ुदा दिलों के राज़ से भी बाख़बर है |
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677 | 5 | 8 | يا أيها الذين آمنوا كونوا قوامين لله شهداء بالقسط ولا يجرمنكم شنآن قوم على ألا تعدلوا اعدلوا هو أقرب للتقوى واتقوا الله إن الله خبير بما تعملون |
| | | ऐ ईमानदारों ख़ुदा (की ख़ुशनूदी) के लिए इन्साफ़ के साथ गवाही देने के लिए तैयार रहो और तुम्हें किसी क़बीले की अदावत इस जुर्म में न फॅसवा दे कि तुम नाइन्साफी करने लगो (ख़बरदार बल्कि) तुम (हर हाल में) इन्साफ़ करो यही परहेज़गारी से बहुत क़रीब है और ख़ुदा से डरो क्योंकि जो कुछ तुम करते हो (अच्छा या बुरा) ख़ुदा उसे ज़रूर जानता है |
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678 | 5 | 9 | وعد الله الذين آمنوا وعملوا الصالحات لهم مغفرة وأجر عظيم |
| | | और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए ख़ुदा ने वायदा किया है कि उनके लिए (आख़िरत में) मग़फेरत और बड़ा सवाब है |
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679 | 5 | 10 | والذين كفروا وكذبوا بآياتنا أولئك أصحاب الجحيم |
| | | और जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया और हमारी आयतों को झुठलाया वह जहन्नुमी हैं ( |
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680 | 5 | 11 | يا أيها الذين آمنوا اذكروا نعمت الله عليكم إذ هم قوم أن يبسطوا إليكم أيديهم فكف أيديهم عنكم واتقوا الله وعلى الله فليتوكل المؤمنون |
| | | ऐ ईमानदारों ख़ुदा ने जो एहसानात तुमपर किए हैं उनको याद करो और ख़ूसूसन जब एक क़बीले ने तुम पर दस्त दराज़ी का इरादा किया था तो ख़ुदा ने उनके हाथों को तुम तक पहुंचने से रोक दिया और ख़ुदा से डरते रहो और मोमिनीन को ख़ुदा ही पर भरोसा रखना चाहिए |
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681 | 5 | 12 | ولقد أخذ الله ميثاق بني إسرائيل وبعثنا منهم اثني عشر نقيبا وقال الله إني معكم لئن أقمتم الصلاة وآتيتم الزكاة وآمنتم برسلي وعزرتموهم وأقرضتم الله قرضا حسنا لأكفرن عنكم سيئاتكم ولأدخلنكم جنات تجري من تحتها الأنهار فمن كفر بعد ذلك منكم فقد ضل سواء السبيل |
| | | और इसमें भी शक नहीं कि ख़ुदा ने बनी इसराईल से (भी ईमान का) एहद व पैमान ले लिया था और हम (ख़ुदा) ने इनमें के बारह सरदार उनपर मुक़र्रर किए और ख़ुदा ने बनी इसराईल से फ़रमाया था कि मैं तो यक़ीनन तुम्हारे साथ हूं अगर तुम भी पाबन्दी से नमाज़ पढ़ते और ज़कात देते रहो और हमारे पैग़म्बरों पर ईमान लाओ और उनकी मदद करते रहो और ख़ुदा (की ख़ुशनूदी के वास्ते लोगों को) क़र्जे हसना देते रहो तो मैं भी तुम्हारे गुनाह तुमसे ज़रूर दूर करूंगा और तुमको बेहिश्त के उन (हरे भरे ) बाग़ों में जा पहुंचाऊॅगा जिनके (दरख्तों के) नीचे नहरें जारी हैं फिर तुममें से जो शख्स इसके बाद भी इन्कार करे तो यक़ीनन वह राहे रास्त से भटक गया |
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