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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5579 | 75 | 28 | وظن أنه الفراق |
| | | और मरने वाले ने समझा कि अब (सबसे) जुदाई है |
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5580 | 75 | 29 | والتفت الساق بالساق |
| | | और (मौत की तकलीफ़ से) पिन्डली से पिन्डली लिपट जाएगी |
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5581 | 75 | 30 | إلى ربك يومئذ المساق |
| | | उस दिन तुमको अपने परवरदिगार की बारगाह में चलना है |
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5582 | 75 | 31 | فلا صدق ولا صلى |
| | | तो उसने (ग़फलत में) न (कलामे ख़ुदा की) तसदीक़ की न नमाज़ पढ़ी |
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5583 | 75 | 32 | ولكن كذب وتولى |
| | | मगर झुठलाया और (ईमान से) मुँह फेरा |
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5584 | 75 | 33 | ثم ذهب إلى أهله يتمطى |
| | | अपने घर की तरफ इतराता हुआ चला |
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5585 | 75 | 34 | أولى لك فأولى |
| | | अफसोस है तुझ पर फिर अफसोस है फिर तुफ़ है |
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5586 | 75 | 35 | ثم أولى لك فأولى |
| | | तुझ पर फिर तुफ़ है |
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5587 | 75 | 36 | أيحسب الإنسان أن يترك سدى |
| | | क्या इन्सान ये समझता है कि वह यूँ ही छोड़ दिया जाएगा |
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5588 | 75 | 37 | ألم يك نطفة من مني يمنى |
| | | क्या वह (इब्तेदन) मनी का एक क़तरा न था जो रहम में डाली जाती है |
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