نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
558 | 4 | 65 | فلا وربك لا يؤمنون حتى يحكموك فيما شجر بينهم ثم لا يجدوا في أنفسهم حرجا مما قضيت ويسلموا تسليما |
| | | पस (ऐ रसूल) तुम्हारे परवरदिगार की क़सम ये लोग सच्चे मोमिन न होंगे तावक्ते क़ि अपने बाहमी झगड़ों में तुमको अपना हाकिम (न) बनाएं फिर (यही नहीं बल्कि) जो कुछ तुम फैसला करो उससे किसी तरह दिलतंग भी न हों बल्कि ख़ुशी ख़ुशी उसको मान लें |
|
559 | 4 | 66 | ولو أنا كتبنا عليهم أن اقتلوا أنفسكم أو اخرجوا من دياركم ما فعلوه إلا قليل منهم ولو أنهم فعلوا ما يوعظون به لكان خيرا لهم وأشد تثبيتا |
| | | (इस्लामी शरीयत में तो उनका ये हाल है) और अगर हम बनी इसराइल की तरह उनपर ये हुक्म जारी कर देते कि तुम अपने आपको क़त्ल कर डालो या शहर बदर हो जाओ तो उनमें से चन्द आदमियों के सिवा ये लोग तो उसको न करते और अगर ये लोग इस बात पर अमल करते जिसकी उन्हें नसीहत की जाती है तो उनके हक़ में बहुत बेहतर होता |
|
560 | 4 | 67 | وإذا لآتيناهم من لدنا أجرا عظيما |
| | | और (दीन में भी) बहुत साबित क़दमी से जमे रहते और इस सूरत में हम भी अपनी तरफ़ से ज़रूर बड़ा अच्छा बदला देते |
|
561 | 4 | 68 | ولهديناهم صراطا مستقيما |
| | | और उनको राहे रास्त की भी ज़रूर हिदायत करते |
|
562 | 4 | 69 | ومن يطع الله والرسول فأولئك مع الذين أنعم الله عليهم من النبيين والصديقين والشهداء والصالحين وحسن أولئك رفيقا |
| | | और जिस शख्स ने ख़ुदा और रसूल की इताअत की तो ऐसे लोग उन (मक़बूल) बन्दों के साथ होंगे जिन्हें ख़ुदा ने अपनी नेअमतें दी हैं यानि अम्बिया और सिद्दीक़ीन और शोहदा और सालेहीन और ये लोग क्या ही अच्छे रफ़ीक़ हैं |
|
563 | 4 | 70 | ذلك الفضل من الله وكفى بالله عليما |
| | | ये ख़ुदा का फ़ज़ल (व करम) है और ख़ुदा तो वाक़िफ़कारी में बस है |
|
564 | 4 | 71 | يا أيها الذين آمنوا خذوا حذركم فانفروا ثبات أو انفروا جميعا |
| | | ऐ ईमानवालों (जिहाद के वक्त) अपनी हिफ़ाज़त के (ज़राए) अच्छी तरह देखभाल लो फिर तुम्हें इख्तेयार है ख्वाह दस्ता दस्ता निकलो या सबके सब इकट्ठे होकर निकल खड़े हो |
|
565 | 4 | 72 | وإن منكم لمن ليبطئن فإن أصابتكم مصيبة قال قد أنعم الله علي إذ لم أكن معهم شهيدا |
| | | और तुममें से बाज़ ऐसे भी हैं जो (जेहाद से) ज़रूर पीछे रहेंगे फिर अगर इत्तेफ़ाक़न तुमपर कोई मुसीबत आ पड़ी तो कहने लगे ख़ुदा ने हमपर बड़ा फ़ज़ल किया कि उनमें (मुसलमानों) के साथ मौजूद न हुआ |
|
566 | 4 | 73 | ولئن أصابكم فضل من الله ليقولن كأن لم تكن بينكم وبينه مودة يا ليتني كنت معهم فأفوز فوزا عظيما |
| | | और अगर तुमपर ख़ुदा ने फ़ज़ल किया (और दुश्मन पर ग़ालिब आए) तो इस तरह अजनबी बनके कि गोया तुममें उसमें कभी मोहब्बत ही न थी यूं कहने लगा कि ऐ काश उनके साथ होता तो मैं भी बड़ी कामयाबी हासिल करता |
|
567 | 4 | 74 | فليقاتل في سبيل الله الذين يشرون الحياة الدنيا بالآخرة ومن يقاتل في سبيل الله فيقتل أو يغلب فسوف نؤتيه أجرا عظيما |
| | | पस जो लोग दुनिया की ज़िन्दगी (जान तक) आख़ेरत के वास्ते दे डालने को मौजूद हैं उनको ख़ुदा की राह में जेहाद करना चाहिए और जिसने ख़ुदा की राह में जेहाद किया फिर शहीद हुआ तो गोया ग़ालिब आया तो (बहरहाल) हम तो अनक़रीब ही उसको बड़ा अज्र अता फ़रमायेंगे |
|