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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5559 | 75 | 8 | وخسف القمر |
| | | और चाँद गहन में लग जाएगा |
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5560 | 75 | 9 | وجمع الشمس والقمر |
| | | और सूरज और चाँद इकट्ठा कर दिए जाएँगे |
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5561 | 75 | 10 | يقول الإنسان يومئذ أين المفر |
| | | तो इन्सान कहेगा आज कहाँ भाग कर जाऊँ |
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5562 | 75 | 11 | كلا لا وزر |
| | | यक़ीन जानों कहीं पनाह नहीं |
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5563 | 75 | 12 | إلى ربك يومئذ المستقر |
| | | उस रोज़ तुम्हारे परवरदिगार ही के पास ठिकाना है |
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5564 | 75 | 13 | ينبأ الإنسان يومئذ بما قدم وأخر |
| | | उस दिन आदमी को जो कुछ उसके आगे पीछे किया है बता दिया जाएगा |
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5565 | 75 | 14 | بل الإنسان على نفسه بصيرة |
| | | बल्कि इन्सान तो अपने ऊपर आप गवाह है |
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5566 | 75 | 15 | ولو ألقى معاذيره |
| | | अगरचे वह अपने गुनाहों की उज्र व ज़रूर माज़ेरत पढ़ा करता रहे |
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5567 | 75 | 16 | لا تحرك به لسانك لتعجل به |
| | | (ऐ रसूल) वही के जल्दी याद करने वास्ते अपनी ज़बान को हरकत न दो |
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5568 | 75 | 17 | إن علينا جمعه وقرآنه |
| | | उसका जमा कर देना और पढ़वा देना तो यक़ीनी हमारे ज़िम्मे है |
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