نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5549 | 74 | 54 | كلا إنه تذكرة |
| | | हाँ हाँ बेशक ये (क़ुरान सरा सर) नसीहत है |
|
5550 | 74 | 55 | فمن شاء ذكره |
| | | तो जो चाहे उसे याद रखे |
|
5551 | 74 | 56 | وما يذكرون إلا أن يشاء الله هو أهل التقوى وأهل المغفرة |
| | | और ख़ुदा की मशीयत के बग़ैर ये लोग याद रखने वाले नहीं वही (बन्दों के) डराने के क़ाबिल और बख्यिश का मालिक है |
|
5552 | 75 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم لا أقسم بيوم القيامة |
| | | मैं रोजे क़यामत की क़सम खाता हूँ |
|
5553 | 75 | 2 | ولا أقسم بالنفس اللوامة |
| | | (और बुराई से) मलामत करने वाले जी की क़सम खाता हूँ (कि तुम सब दोबारा) ज़रूर ज़िन्दा किए जाओगे |
|
5554 | 75 | 3 | أيحسب الإنسان ألن نجمع عظامه |
| | | क्या इन्सान ये ख्याल करता है (कि हम उसकी हड्डियों को बोसीदा होने के बाद) जमा न करेंगे हाँ (ज़रूर करेंगें) |
|
5555 | 75 | 4 | بلى قادرين على أن نسوي بنانه |
| | | हम इस पर क़ादिर हैं कि हम उसकी पोर पोर दुरूस्त करें |
|
5556 | 75 | 5 | بل يريد الإنسان ليفجر أمامه |
| | | मगर इन्सान तो ये जानता है कि अपने आगे भी (हमेशा) बुराई करता जाए |
|
5557 | 75 | 6 | يسأل أيان يوم القيامة |
| | | पूछता है कि क़यामत का दिन कब होगा |
|
5558 | 75 | 7 | فإذا برق البصر |
| | | तो जब ऑंखे चकाचौन्ध में आ जाएँगी |
|