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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5529 | 74 | 34 | والصبح إذا أسفر |
| | | और सुबह की जब रौशन हो जाए |
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5530 | 74 | 35 | إنها لإحدى الكبر |
| | | कि वह (जहन्नुम) भी एक बहुत बड़ी (आफ़त) है |
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5531 | 74 | 36 | نذيرا للبشر |
| | | (और) लोगों के डराने वाली है |
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5532 | 74 | 37 | لمن شاء منكم أن يتقدم أو يتأخر |
| | | (सबके लिए नहीें बल्कि) तुममें से वह जो शख़्श (नेकी की तरफ़) आगे बढ़ना |
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5533 | 74 | 38 | كل نفس بما كسبت رهينة |
| | | और (बुराई से) पीछे हटना चाहे हर शख़्श अपने आमाल के बदले गिर्द है |
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5534 | 74 | 39 | إلا أصحاب اليمين |
| | | मगर दाहिने हाथ (में नामए अमल लेने) वाले |
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5535 | 74 | 40 | في جنات يتساءلون |
| | | (बेहिश्त के) बाग़ों में गुनेहगारों से बाहम पूछ रहे होंगे |
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5536 | 74 | 41 | عن المجرمين |
| | | कि आख़िर तुम्हें दोज़ख़ में कौन सी चीज़ (घसीट) लायी |
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5537 | 74 | 42 | ما سلككم في سقر |
| | | वह लोग कहेंगे |
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5538 | 74 | 43 | قالوا لم نك من المصلين |
| | | कि हम न तो नमाज़ पढ़ा करते थे |
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