بسم الله الرحمن الرحيم

نتائج البحث: 6236
ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
548455فمنهم من آمن به ومنهم من صد عنه وكفى بجهنم سعيرا
फिर कुछ लोग तो इस (किताब) पर ईमान लाए और कुछ लोगों ने उससे इन्कार किया और इसकी सज़ा के लिए जहन्नुम की दहकती हुई आग काफ़ी है
549456إن الذين كفروا بآياتنا سوف نصليهم نارا كلما نضجت جلودهم بدلناهم جلودا غيرها ليذوقوا العذاب إن الله كان عزيزا حكيما
(याद रहे) कि जिन लोगों ने हमारी आयतों से इन्कार किया उन्हें ज़रूर अनक़रीब जहन्नुम की आग में झोंक देंगे (और जब उनकी खालें जल कर) जल जाएंगी तो हम उनके लिए दूसरी खालें बदल कर पैदा करे देंगे ताकि वह अच्छी तरह अज़ाब का मज़ा चखें बेशक ख़ुदा हरचीज़ पर ग़ालिब और हिकमत वाला है
550457والذين آمنوا وعملوا الصالحات سندخلهم جنات تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها أبدا لهم فيها أزواج مطهرة وندخلهم ظلا ظليلا
और जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम किए हम उनको अनक़रीब ही (बेहिश्त के) ऐसे ऐसे (हरे भरे) बाग़ों में जा पहुंचाएंगे जिन के नीचे नहरें जारी होंगी और उनमें हमेशा रहेंगे वहां उनकी साफ़ सुथरी बीवियॉ होंगी और उन्हे घनी छॉव में ले जाकर रखेंगे
551458إن الله يأمركم أن تؤدوا الأمانات إلى أهلها وإذا حكمتم بين الناس أن تحكموا بالعدل إن الله نعما يعظكم به إن الله كان سميعا بصيرا
ऐ ईमानदारों ख़ुदा तुम्हें हुक्म देता है कि लोगों की अमानतें अमानत रखने वालों के हवाले कर दो और जब लोगों के बाहमी झगड़ों का फैसला करने लगो तो इन्साफ़ से फैसला करो (ख़ुदा तुमको) इसकी क्या ही अच्छी नसीहत करता है इसमें तो शक नहीं कि ख़ुदा सबकी सुनता है (और सब कुछ) देखता है
552459يا أيها الذين آمنوا أطيعوا الله وأطيعوا الرسول وأولي الأمر منكم فإن تنازعتم في شيء فردوه إلى الله والرسول إن كنتم تؤمنون بالله واليوم الآخر ذلك خير وأحسن تأويلا
ऐ ईमानदारों ख़ुदा की इताअत करो और रसूल की और जो तुममें से साहेबाने हुकूमत हों उनकी इताअत करो और अगर तुम किसी बात में झगड़ा करो पस अगर तुम ख़ुदा और रोज़े आख़िरत पर ईमान रखते हो तो इस अम्र में ख़ुदा और रसूल की तरफ़ रूजू करो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है और अन्जाम की राह से बहुत अच्छा है
553460ألم تر إلى الذين يزعمون أنهم آمنوا بما أنزل إليك وما أنزل من قبلك يريدون أن يتحاكموا إلى الطاغوت وقد أمروا أن يكفروا به ويريد الشيطان أن يضلهم ضلالا بعيدا
(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों की (हालत) पर नज़र नहीं की जो ये ख्याली पुलाओ पकाते हैं कि जो किताब तुझ पर नाज़िल की गयी और जो किताबें तुम से पहले नाज़िल की गयी (सब पर ईमान है) लाए और दिली तमन्ना ये है कि सरकशों को अपना हाकिम बनाएं हालॉकि उनको हुक्म दिया गया कि उसकी बात न मानें और शैतान तो यह चाहता है कि उन्हें बहका के बहुत दूर ले जाए
554461وإذا قيل لهم تعالوا إلى ما أنزل الله وإلى الرسول رأيت المنافقين يصدون عنك صدودا
और जब उनसे कहा जाता है कि ख़ुदा ने जो किताब नाज़िल की है उसकी तरफ़ और रसूल की तरफ़ रूजू करो तो तुम मुनाफ़िक़ीन को देखते हो कि तुमसे किस तरह मुंह फेर लेते हैं
555462فكيف إذا أصابتهم مصيبة بما قدمت أيديهم ثم جاءوك يحلفون بالله إن أردنا إلا إحسانا وتوفيقا
कि जब उनपर उनके करतूत की वजह से कोई मुसीबत पड़ती है तो क्योंकर तुम्हारे पास ख़ुदा की क़समें खाते हैं कि हमारा मतलब नेकी और मेल मिलाप के सिवा कुछ न था ये वह लोग हैं कि कुछ ख़ुदा ही उनके दिल की हालत ख़ूब जानता है
556463أولئك الذين يعلم الله ما في قلوبهم فأعرض عنهم وعظهم وقل لهم في أنفسهم قولا بليغا
पस तुम उनसे दरगुज़र करो और उनको नसीहत करो और उनसे उनके दिल में असर करने वाली बात कहो और हमने कोई रसूल नहीं भेजा मगर इस वास्ते कि ख़ुदा के हुक्म से लोग उसकी इताअत करें
557464وما أرسلنا من رسول إلا ليطاع بإذن الله ولو أنهم إذ ظلموا أنفسهم جاءوك فاستغفروا الله واستغفر لهم الرسول لوجدوا الله توابا رحيما
और (रसूल) जब उन लोगों ने (नाफ़रमानी करके) अपनी जानों पर जुल्म किया था अगर तुम्हारे पास चले आते और ख़ुदा से माफ़ी मॉगते और रसूल (तुम) भी उनकी मग़फ़िरत चाहते तो बेशक वह लोग ख़ुदा को बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान पाते


0 ... 44.7 45.7 46.7 47.7 48.7 49.7 50.7 51.7 52.7 53.7 55.7 56.7 57.7 58.7 59.7 60.7 61.7 62.7 63.7 ... 623

إنتاج هذه المادة أخد: 0.02 ثانية


المغرب.كووم © ٢٠٠٩ - ١٤٣٠ © الحـمـد لله الـذي سـخـر لـنا هـذا :: وقف لله تعالى وصدقة جارية

484358155485611562551018329876296174